संभल दंगों का मामला विधान परिषद में क्यों उठा था?

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 संभल में 1978 में हुए दंगों की जांच कराने की मांग विधान परिषद सदस्य श्रीचंद्र शर्मा ने की थी

1978 के संभल दंगों की नए सिरे से होगी जांच

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

1978 में हुए दंगे की आख्या तैयार करने के लिए पुलिस-प्रशासन जुटने का दावा कर रहा है, लेकिन सवाल ये है कि आखिर उस समय के गवाहों को पुलिस कैसे तलाशेगी। उसके बारे में पुलिस अभी कुछ नहीं कह रही है, लेकिन गवाहों की तलाश किसी चुनौती से कम नहीं है। यह आख्या तैयार करने की जिम्मेदारी अपर पुलिस अधीक्षक श्रीश्चंद्र व अपर जिलाधिकारी प्रदीप वर्मा को सौंपी गई है।

एमएलसी श्रीचंद्र शर्मा ने उठाया था मुद्दा

बता दें कि मेरठ-सहारनपुर के एमएलसी श्रीचंद्र शर्मा के द्वारा 17 दिसंबर को सदन में विधान परिषद सत्र के दौरान कहा गया था कि सन 1978 में संभल में हुए सांप्रदायिक दंगों के कारण दर्जनों हिंदुओं को जिंदा जलाया गया था एवं सैकड़ों लोगों की हत्या कर उनके मकान एवं दुकानों पर कब्जा कर लिया गया था।

इस कारण सैकड़ों हिंदू परिवार पलायन करने के लिए मजबूर हो गए थे, जिन्हें आज तक न्याय नहीं मिला और हाल ही में प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाते समय वहां एक मंदिर भी मिला है, जिस पर 46 वर्षों से ताला लगा हुआ था। जिसके प्रांगण पर लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है।
वहां पर कुआं की खोदाई में भगवान की टूटी हुई मूर्तियां निकल रही हैं, जिससे प्रतीत होता है कि वहां उस समय हिंदुओं एवं हिंदू धर्म पर किस प्रकार अत्याचार किए गए थे। अतः उक्त सांप्रदायिक दंगे में पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने हेतु मैं सदन के माध्यम से जनहित में जनपद संभल में सन 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच कराये जाने एवं दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई किए जाने की मांग करता हूं। 

 

इसी सिलसिले में शासन ने संभल प्रशासन को एक पत्र जारी कर उस दंगे की आख्या मांगी है। जिसे सात दिन में प्रस्तुत करने की बात कही है। इस आख्या के लिए शासन से अपर पुलिस अधीक्षक को नामित किया है। फिर पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिश्नोई की तरफ से डीएम को लिखे गए पत्र पर संयुक्त जांच के लिए डीएम ने अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व को नामित किया गया है। अब दोनों अधिकारियों के द्वारा संयुक्त जांच की जा रही है।खास बात यह है कि उस दंगे से जुड़े अभिलेख अभी तक सामने नहीं आए हैं। सिर्फ कोतवाली में एक रजिस्टर है, जिसमें नौ लोगों की मौत का जिक्र है। दीगर बात यह है कि पुलिस के लिए यह तलाशा काफी मुश्किल होगा कि उस समय के गवाह कौन-कौन थे।

विधान परिषद सदस्य श्रीश चंद्र शर्मा ने 1978 में हुए दंगे की सूचना मांगी थी। यह जानकारी जुटाई जा रही है। अपर जिलाधिकारी को आख्या तैयार करने के लिए नामित गया है। जल्द ही आख्या शासन को भेज दी जाएगी।

-डाॅ. राजेंद्र पैंसिया, डीएम संभल।

इस प्रकरण की जांच आख्या तैयार करने का जिम्मा अपर पुलिस अधीक्षक को सौंपा गया है। वो, इसमें लगे हुए हैं। कैसे-कैसे, क्या-क्या इस आख्या में तैयार हो रहा है। यह बता पाना अभी संभव नहीं है।

कृष्ण कुमार बिश्नोई, एसपी संभल।

प्रकरण संज्ञान में आया है, लेकिन जिलाधिकारी द्वारा मुझे नामित आदेश नहीं मिला है। क्योंकि मैं अवकाश पर आया हुआ हूं। वहां पहुंचकर इस मामले को देखेंगे।

-प्रदीप वर्मा, एडीएम वित्त एवं राजस्व, संभल।

1978 के संभल दंगों की नए सिरे से होगी जांच

उत्तर प्रदेश सरकार ने संभल में 1978 के दंगों की नए सिरे से जांच के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही पुलिस से एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। पुलिस अधीक्षक (एसपी) को गृह (पुलिस) विभाग के उप सचिव से एक पत्र मिला, जिसमें जांच का नेतृत्व करने के लिए एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, एसपी ने जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को पत्र लिखकर संयुक्त जांच के लिए एक प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति का अनुरोध किया है।
7 जनवरी को संभल के एसपी केके बिश्नोई ने संभल के जिला अधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया को एक पत्र लिखा और बताया कि यूपी विधान परिषद सदस्य श्रीचंद्र शर्मा ने संभल में 1978 के दंगों की जांच की मांग की है। इस पर उन्हें यूपी के उप सचिव गृह और पुलिस अधीक्षक (मानवाधिकार) की ओर से पत्र मिला है। ऐसे में पुलिस की ओर से जांच में संभल के एसपी होंगे।

दंगों में हुई थी बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी

संभल में 1978 के दंगों ने कथित तौर पर महत्वपूर्ण सांप्रदायिक अशांति पैदा की, जिसके कारण बड़े पैमाने पर हिंसा, आगजनी हुई और कई हिंदू परिवारों को विस्थापित होना पड़ा। बचे हुए लोगों ने बताया है कि दंगों के दौरान कई हिंदू मारे गए, जिससे उन्हें क्षेत्र से भागने पर मजबूर होना पड़ा।

 

प्राचीन कार्ति‍क महादेव मंद‍िर के खुलने के बाद दंगों की जांच की द‍िलचस्‍पी

दंगों में यह नई दिलचस्पी संभल में प्राचीन कार्तिक महादेव मंदिर के फिर से खुलने के कुछ समय बाद आई है, जो 46 साल से बंद था। मंदिर को फिर से खोलने का फैसला 24 नवंबर, 2024 को शाही जामा मस्जिद में एक सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसक घटना के बाद लिया गया है।

पलायन कर चुके लोगों ने क्‍या कहा?

दंगों के कारण पलायन कर चुके पूर्व निवासियों ने अपने भयावह अनुभवों को साझा किया और मंदिर के पुनः खुलने का स्वागत किया, जिसके बारे में उनका मानना ​​है कि यह न्याय और सुलह की दिशा में एक कदम है। संयुक्त जांच का उद्देश्य 1978 की घटनाओं पर प्रकाश डालना और हिंसा के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करना है।

 

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