सप्ताह में 90 घंटे काम क्यों आवश्यक है?
क्या देश में सबसे लंबी ड्यूटी करते हैं कर्मचारी
नारायण मूर्ति ने भी की 70 घंटे काम की वकालत
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
प्रोफेसर के जवाब पर मिल रहीं यूजर्स की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं
- कजुरी के इस जवाब पर यूजर्स की प्रतिक्रियाएं मिल रही है। एक यूजर ने कजुरी के पोस्ट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि अगर भारत हर सप्ताह 40 प्लस घंटे काम करने वाले लोगों को ओवरटाइम वेतन देने के नियम का सख्ती से पालन करे, तो काफी चीजें सकारात्मक रूप से बदल जाएंगी।
- हालांकि एक अन्य यूजर ने आईआईटी प्रोफेसर की प्रतिक्रिया पर उन्हें आड़े हाथों लिया है। यूजर ने कहा कि कार्य के घंटों की संख्या का वेतन से कोई लेना देना नहीं है। काम के घंटे और वेतन एक सरकार मानसिकता है। कंपनियां उन कर्मचारियों को पुरस्कृत करेंगी जो जिनके कार्य के घंटे कपंनियों को ज्यादा रेवेन्यू देते हैं।
नारायण मूर्ति ने दी थी 70 घंटे काम की सलाह
बता दें कि लार्सन एंड टूब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने एम्प्लॉइज के साथ ऑनलाइन बातचीत में एक सप्ताह में 90 घंटे काम करने की वकालत की थी। उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि रविवार को भी काम करना चाहिए। इससे पहले इंफोसिस के फाउंडरपर्सन नारायण मूर्ति ने भी चीन का हवाला देते हुए कॉर्पोरेट कर्मियों के एक सप्ताह में 70 घंटे काम करने की वकालत की थी।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर बहस खूब हो रही है। नारायण मूर्ति ने सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाद दी थी। अब प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने भी इस तरह की मांग को मूर्खतापूर्ण करार दिया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि लंबे वक्त तक कर्मचारियों से काम कराना कितना सही है? आइए जानते हैं अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के आकड़े क्या कहते हैं।
शीर्ष देशों में भारत भी शामिल
ये हैं सबसे अधिक काम करने वाले
- भूटान: एक हफ्ते में सबसे अधिक काम भूटान में कर्मचारी करते हैं। यहां कर्मचारी औसतन 54.4 घंटे हर हफ्ते ड्यूटी करते हैं।
- संयुक्त अरब अमीरात: दूसरे नंबर पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का नाम आता है। यहां कर्मचारी प्रति सप्ताह 50.9 घंटे काम करते हैं।
- लेसोथो: सूची में तीसरा नाम लेसोथो का है। यहां कर्मचारियों को औसतन 50.4 घंटे काम करना पड़ता है।
- कांगो: प्रत्येक हफ्ते 48.6 घंटे काम के साथ कांगो चौथे स्थान पर है।
- कतर: इस देश का नाम पांचवें स्थान पर आता है। यहां 48 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती है।
देश | काम के घंटे (सप्ताह में) | स्थान |
लाइबेरिया | 47.7 | छठा |
मॉरिटानिया | 47.6 | सातवां |
लेबनान | 47.6 | आठवां |
मंगोलिया | 47.3 | नौवां |
जॉर्डन | 47 | दसवां |
सबसे कम घंटे काम वाले देश
2024 में कर्मचारियों को सप्ताह में सबसे कम काम वानुअतु देश में करना पड़ा। यहां कर्मचारियों ने हफ्ते में औसतन 24.7 घंटे की ड्यूटी की है। किरबाती में हर हफ्ते 27.3, माइक्रोनेशिया में 30.4 रवांडा में 30.4, सोमालिया 31.4, नीदरलैंड 31.6, इराक में 31.7 घंटे काम करना पड़ा है।
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