हिन्दू आचार संहिता का पालन करें सभी हिन्दू – परमाराध्य शङ्कराचार्य जी महाराज

हिन्दू आचार संहिता का पालन करें सभी हिन्दू – परमाराध्य शङ्कराचार्य जी महाराज

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
0
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
0
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी

प्रयागराज,16.1.25 / आज परमधर्मसंसद् 1008 में हिन्दु शब्द विचार एवं हिन्दु आचार संहिता विषय पर चर्चा चली और परम धर्मादेश जारी किया गया।कुंभक्षेत्र प्रयागराजः परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती १००८ की मौजूदगी में संवत् २०८१ माघ कृष्ण द्वितिया 15 जनवरी बुधवार को परम धर्म संसद में प्रश्नोत्तर काल के बाद विचार हुआ कि हिंदू शब्द को परिभाषित करने के पीछे का कारण है भ्रांति निर्मूलन है।भारत के विभाजन के समय हिन्दू शब्द के दुष्प्रचार से कई लोगों ने अपने को हिन्दू न गिनवाकर आर्य आदि गिनवाया,फलस्वरूप हिन्दुओं की संख्या कम होने पर पंजाब का वह प्रान्त जो हिन्दुस्थान में रहना चाहिए था,पाकिस्तान में चला गया।

अतः हिंदू शब्द को आधुनिक या विदेशियों की देन समझने वालों के आक्षेप या भ्रांतिका निरसन करना अत्यावश्यक है।हिंदू शब्द प्राचीन ही नहीं वेदों को भी मान्य है।वेदों तत्पश्चात् स्मृतियों,पुराणों एवं तंत्र साहित्यमें भी परिलक्षित-परिभाषित हुआ है।
परमाराध्य ने कहा कि परमधर्म संसद् १००८ समस्त सनातन वैदिक हिन्दू आर्य परमधर्म के मानने वालोंके लिए यह परमधर्मादेश जारी करती है कि-हिन्दू शब्द वैदिक है और वेदों से ही व्युत्पन्न हुआ है।एक मात्र हिन्द संस्कृति में ही यज्ञ यागादि सर्वविध इष्टापूर्त सम्बन्धी अनुष्ठानोंमें,श्राद्धादि पितृकार्य में,आयुर्वेदिक उपचारों में सवत्सा गायका वत्सपान अवशिष्ट दूध ही ग्राह्य माना जाता है।अन्य लोग तो केवल दूध मात्र के इच्छुक हैं फिर चाहे वह पशु को डरा-धमका कर अथवा मशीनों के द्वारा ही बलात् क्यों न सूता गया हो।’हिङ्‌कृण्वती दुहाम्’ शब्दोंमें वत्सदर्शनसंजातहर्षा-अतएव प्रसन्नता सूचक ‘हिं हिं’शब्द करती हुई गायका दोहन करनेवाली हिन्द जातिका निर्वचन पूर्वक हिं-दु शब्द बना है।हिंकार करती गायको दुहने वाली जाति हिन्दु है।

हिङ्‌कृण्वती दुहामश्विभ्याम् (अथर्व० ६।१०।५
-स्मृतिके अनुसार हिंसा से जो दुःखित होता है,सदाचार के लिए जो तत्पर है ऐसे गाय, वेद और प्रतिमा की सेवा करने वाले वर्णाश्रमधर्मी हिन्दु हैं।अतः हिन्दू वह है जो हिंसा से दूर रहे,सदाचार में तत्पर हो,गो सेवक, वेदनिष्ठ,मूर्तिपूजा में श्रद्धान्वित और वर्णाश्रम पालक हो-हिंसया दूयते यश्च सदाचरण तत्परः। गो-वेद-प्रतिमा-सेवी स हिन्दुमुखवर्णभाक्।वृद्ध-स्मृति तैत्तिरीय उपनिषद् की शिक्षावल्ली १.११ आधारित सनातन वैदिक हिन्दू धर्मकी आचार संहिता,जिसमें आचार्य स्नातक को माता-पिता-आचार्य–अतिथि को देव मानकर उनकी सेवा करने का,आचार्य के अनिंदनीय कार्य का अनुसरण करने का तथा वर्णोचित कन्या का परिग्रहण कर गृहस्थ धर्म में प्रवेश कर प्रजातंतु के संवाहक बनने का; यज्ञ-यज्ञादिसे देवताओं को,श्राद्धादि से पितरों को,वेदाध्ययन/अध्यापन से ऋषियोंके प्रति कर्तव्य का निर्वहन करने का उपदेश करते हैंl यह हिंदुओं की आचार संहिता का मूल है lहिन्दुओं को इसी अनुसार वेद, स्मृति और सदाचार के अनुसार आचरण करना चाहिए l

हिन्दू धर्म के दो रूप हैं -सामान्य और विशेष।हर हिन्दू को सामान्य धर्मों का पालन करने के साथ-साथ अपना नाम,अपने पिता, दादा आदि का नाम,आस्पद,गोत्र,प्रवर,वेद, शाखा,शिखा,सूत्र, कुलदेवी-देवता आदि की जानकारी होना, कम से कम(कण्ठी या जनेऊ) एक संस्कार करवाना,तिलक चोटी धारण करना और हिन्दू तिथि से मनाए जाने वाले अपने पर्व/उत्सव ही मनाया जाना अनिवार्य है।सदन में दयाशंकर जी महाराज,आशु पांडे जी, संजय जैन जी,विदिशा मध्यप्रदेश से अशोक कुमार जी व अन्य कई धर्मांसदों ने चर्चा में भाग लिया।प्रश्न काल में उठाए गए प्रश्नों का समाधान परमाराध्य ने किया।

अतिथि वक्ता के रूप में हिन्दी भाषा में कई ग्रंथ लिखने वाले कमलेश कमल जी,गोभक्त गोकृपाकांक्षी गोपाल मणि जी महाराज,गुजरात से गायों के पेरोकार जी के पोपट,जिन्होंने गायों को बूचड़खाने से बचाने के लिए 700 से ज्यादा केस लड़े हैं व संस्कृत महाविद्यालय के प्राद्यापक वाराणसी से कमला कांत जी त्रिपाठी ने भी अपने विचार रखे।हरिमोहन दास जी ने परमाराध्य को गौमाता की मूर्ति भेंट की।संसद का शुभारम्भ जयघोष से हुआ। संसदीय सचिव के रूप में देवेन्द्र पाण्डेय जी उपस्थित रहे। प्रवर धर्माधीश किशोर दवे जी रहे।उक्त जानकारी शंकराचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी सजंय पाण्डेय के माध्यम से प्राप्त हुई है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!