संकटों के सफलतापूर्वक सामना का संदेश देता है गणेश चौथ पूजन

संकटों के सफलतापूर्वक सामना का संदेश देता है गणेश चौथ पूजन

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हमारी संस्कृति में भगवान गणेश विघ्न के हरण और चंद्रमा शीतलता के रहे हैं पर्याय

✍️डॉ गणेश दत्त पाठक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान। सनातनी परंपरा में सभी त्योहार कुछ विशिष्ट संदेशों को प्रसारित करते हैं। गणेश चौथ पूजन की शताब्दियों पुरानी परंपरा रही है। जिसमें नारी शक्ति निर्जला व्रत रहकर भगवान गणेश की पूजन और चंद्रमा को दूध का अर्घ्य देकर अपने परिवार के सदस्यों के दीर्घायु होने की कामना करती हैं। विद्वतगण बताते हैं कि मूल रूप से गणेश चौथ का पूजन हमें संकटों का सामना सफलतापूर्वक करने का संदेश देता है।

इस पूजन में भगवान गणेश की पूजा की जाती है और चंद्रमा के उदय होने पर अर्घ्य देने की परंपरा रही है। सनातन परंपरा में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है। उनके मंगल आशीष से सभी काम निर्विघ्न सम्पन्न होने की मान्यता रही है। साथ ही चंद्रमा शीतलता के पर्याय रहे हैं। जब भी संकट आता है तो मानसिक शीतलता के कारण हम संकट का मजबूती से सामना कर पाते हैं।

इस पूजन के लिए नारी शक्ति निर्जला व्रत करती हैं और संध्या में भगवान गणेश का विधि विधान से पूजन कर अपनी संतान के लिए मंगलकामना करती हैं। गणेश जी के पूजन में धुर्वा सहित सोलह उपचार पूजन के उपरांत चंद्रमा के उदय होने पर उन्हें अर्घ्य समर्पित किया जाता है। गणेश पूजन में तिल आदि लड्डू का भोग भगवान गणेश को दिया जाता है। फिर नारी शक्ति फलाहार ग्रहण करती है। इस अवसर पर गणेश पूजन के उपरांत कथा श्रवण का विधान भी पाया जाता है।

परंपरानुसार नारी शक्ति अपने संतान की रक्षा की कामना के लिए गणेश चौथ पूजन करती रही हैं। इस पूजन के लिए वे निर्जल व्रत के माध्यम से भगवान गणेश का पूजन करती है। इस त्यौहार का मूल संदेश यह है कि इस पूजन के माध्यम से जिंदगी में आनेवाले संकटों का दृढ़तापूर्वक सामना किया जाए। विघ्नहर्ता के तौर पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है और विश्वास मन में रखा जाता है कि जब भी संकट आएगा मंगलमूर्ति अपने मंगल आशीष से हमारी रक्षा करेंगे। परिवर्तन प्रकृति का नियम है और संकट जिंदगी की हकीकत।

गणेश चौथ पूजन के दौरान नारी शक्ति निर्जल व्रत का पालन करती हैं। आधुनिक शोधों में यह बात कई बार सामने आ चुकी है कि व्रत उपवास करने से आरोग्य को बेहतर बनाने में मदद मिलता है।

सनातनी परंपरा में भगवान गणपति को सुख समृद्धि का प्रतीक और विघ्नों का नाश करने वाला माना जाता रहा है। माना जाता है कि भगवान गणेश के पूजन करने से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। किसी भी संकट का सामना करने के संदर्भ में बुद्धि और ज्ञान का होना अनिवार्य होता है। यह भी मान्यता रही है कि भगवान गणेश के पूजन से आत्म शुद्धि और आध्यात्मिक विकास होता है। साथ ही मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। यह सर्वविदित तथ्य रहा है कि जब भी जीवन में संकट आता है तो मानसिक शांति रहने और आध्यात्मिक ऊर्जा से एक बड़ा सहारा हर व्यक्ति को मिलता है।

मान्यता यह भी रही है कि भगवान गणेश की पूजा करने से तनाव और चिंता कम होती है, एकाग्रता और स्मृति में सुधार होता है, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का सृजन होता है। भगवान विनायक के पूजा से व्यक्तिगत विकास होता है, जिससे जीवन में सफलता और संतुष्टि का समावेश होता है।

गणेश पूजन के दौरान धुर्वा का विशेष महत्व होता है यह धुर्वा भी शीतलता का ही परिचायक होता है। पूजन के दौरान तिल का विशेष तौर पर उपयोग किया जाता है। यह तिल आरोग्य की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण होता है। तिल में मैग्निशियम, फास्फोरस आदि मिनरल और एंटी ऑक्सीडेंट विशेष तौर पर पाया जाता है जो पाचन तंत्र और हृदय के लिए अच्छा माना जाता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान यह मानता है कि जब भी संकट आता है तो उससे जनित तनाव के कारण सबसे नकारात्मक असर पाचन और हृदय तंत्र पर ही पड़ता है। अतः तिल का सेवन पाचन तंत्र और हृदय के लिए बेहतर रहता है।

गणेश चौथ पूजन में भगवान गणपति के पूजन के उपरांत चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा को शीतलता का पर्याय माना जाता रहा है। चंद्रमा को दूध का अर्घ्य देकर उसके महत्व और शक्ति को दर्शाया जाता है। साथ ही, यह भी माना जाता है कि चंद्रमा को दूध का अर्घ्य देने से पापों का शमन होता है और आत्मा की शुद्धि भी होती है तथा जीवन मेंं सकारात्मक परिवर्तन होते हैं और जीवन में सुख समृद्धि आती है। चंद्रमा को दूध अर्पित करने से प्राकृतिक और मानसिक संतुलन को बनाएं रखने में मदद मिलती है। जब भी व्यक्ति के पास मानसिक संतुलन की स्थिति रहती है तो वह किसी भी संकट का सामना बेहद आसानी से कर पाता है।

ऐसे में गणेश चतुर्थी का पूजन एक बड़ा संदेश दे जाता है। भगवान गणेश और चंद्रमा को अर्घ्य देने से सृजित सकारात्मक आध्यात्मिक ऊर्जा, वह संबल प्रदान करती है, जिसके माध्यम से आप जिंदगी में आने वाले संकटों और चुनौतियों का सामना बेहद आसानी से कर पाते हैं। त्योहार के संदेश को जब हम समझते हैं तो निश्चित तौर पर हमारी श्रद्धा बढ़ जाती है। आपके घर में भी यदि कोई नारी शक्ति गणेश चौथ पूजन अगर कर रही हैं तो उनके स्नेह, समर्पण और श्रद्धा का सम्मान करें और उनका सादर वंदन, अभिनंदन आपके जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से विभूषित कर जाएगा।

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