Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
समन्वित प्रयास से ही सीवान में भी सड़क पर सुरक्षित होगा सफर - श्रीनारद मीडिया

समन्वित प्रयास से ही सीवान में भी सड़क पर सुरक्षित होगा सफर

समन्वित प्रयास से ही सीवान में भी सड़क पर सुरक्षित होगा सफर

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हमारे युवा, सार्थक और समन्वित प्रयासों की है दरकार

राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के संदर्भ में विशेष आलेख

✍️डॉक्टर गणेश दत्त पाठक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पिछले एक दशक में देश के सभी हिस्सों में अच्छी सड़कें बनी हैं। हाइवे, एक्सप्रेस वे आदि के कारण रफ्तार में इजाफा भी हुआ है। लेकिन सड़क पर दुर्घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। सबसे दुखद तथ्य यह है कि इन दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा शिकार हमारे युवा हो रहे हैं और दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण नशे में वाहन का चलाना भी मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आ रहा है।

सीवान जैसे छोटे जिलों में भी तेज रफ्तार दुर्घटनाओं के तौर पर कहर ढा रहा है। अगर समय रहते सचेत नहीं हुआ गया तो हमारे देश का भविष्य उन युवाओं पर निर्भर रहेगा जिनके हाथों या पैरों में स्टील का रॉड लगा होगा। अभी देश में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है। अतः इस मसले पर चर्चा का शायद यह महत्वपूर्ण समय है। निश्चित तौर पर सड़क पर सफर को सुरक्षित बनाने के लिए समन्वित प्रयास की आवश्यकता होगी।

भारत में 2024 में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, 2023 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.73 लाख मौतें और लगभग 4.63 लाख घायल हुए थे। यह आंकड़े राष्ट्रीय स्तर पर सड़क दुर्घटनाओं की गंभीरता को दर्शाते हैं। इसके अलावा, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रकाशित “भारत में सड़क दुर्घटनाएँ” रिपोर्ट में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े और उनके कारणों का विश्लेषण किया जाता है।

हालांकि, 2024 के आंकड़े अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि भारत में नशे के कारण सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा बहुत चिंताजनक है। हालांकि, मुझे ताज़ा आंकड़े नहीं मिले हैं, लेकिन 2022 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.68 लाख लोगों की जान गई थी, जिसमें तेज़ रफ़्तार और नशे में गाड़ी चलाना मुख्य कारण थे।

यह आंकड़ा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और नशे में ड्राइविंग के खिलाफ कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। सीवान में भी फैले हाइवे और अन्य सड़कों पर प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही है जिसमें लोग घायल हो रहे हैं और कुछ की मौतें भी हो रही है।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर सड़क पर सफर सुरक्षित क्यों नहीं है? इसके कारणों का जब हम विश्लेषण करते हैं तो पाते हैं कि सड़क पर सफर का असुरक्षित होना कई सारे कारणों का संयुक्त प्रतिफल है।

मसलन मानवीय कारणों में अनुभवहीन ड्राइवरों द्वारा लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाना, शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करने के बाद ड्राइविंग करना, अधिक गति से ड्राइविंग करना, ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग करना, सड़क पर चल रहे अन्य वाहनों के प्रति लापरवाही का प्रदर्शन, यातायात नियमों का उल्लंघन, ड्राइविंग के दौरान थकान या नींद की कमी, आक्रामक ड्राइविंग, युवाओं द्वारा मोटरसाइकिल या अन्य वाहनों पर रिल्स बनाने की हरकत आदि शामिल हैं। ये मानवीय हरकते भी दुर्घटनाओं को दावत देती रहती हैं।

कभी कभी वाहन संबंधी कारणों से भी सड़क पर दुर्घटनाएं हो जाया करती हैं। जिसमें वाहन की खराब और जर्जर हालत, टायरों की खराब हालत, ब्रेको की खराब हालत, वाहनों का समय पर रख रखाव नहीं होना आदि शामिल है। वाहनों के समय समय पर समुचित संधारण पर ध्यान नहीं दिया जाना भी सड़क पर दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण अवश्य है।

देश के कई हिस्सों में अभी भी सड़कें बेहद बदहाल स्थिति में हैं। जिसके कारण दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। कहीं सड़कों पर अवरोध और अतिक्रमण भी दुर्घटनाओं को दावत देते दिखते हैं। कई जगह पर यह भी देखा जाता है कि हाइवे आदि तक पर भी मोड़ गलत तरीके से बना दिए जाते हैं जहां अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। कुछ जगह सड़कों पर यातायात संकेतक ठीक तरीके से नहीं लगे होते हैं जिससे समय पर सही जानकारी वाहन चालकों को नहीं मिल पाती है और दुर्घटनाएं होती रहती हैं।

कभी कभी मौसम की खराबी और जलवायु संबंधी कारकों के कारण भी दुर्घटनाएं होती रहती हैं। बारिश और बर्फबारी के कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। कुछ पहाड़ी इलाकों में भू स्खलन के कारण भी दुर्घटनाएं होती रहती हैं। शीत ऋतु के दौरान धुंध और कोहरे के कारण भी सड़क पर सफर सुरक्षित नहीं रहता है। सड़क दुर्घटनाओं का कारण चाहे जो कुछ भी हो लेकिन इससे हर साल होनेवाला नुकसान बहुत बड़ा है

सबसे दुखद तथ्य यह है कि इन दुर्घटनाओं के सबसे ज्यादा शिकार हमारे युवा हो रहे हैं । सामान्यतया देखा जा रहा है कि धनाढ्य परिवारों के लोग अपने लाडलों के लिए महंगे महंगे बाइक्स खरीद दे रहे हैं और वे युवा उस बाइक्स पर रिल्स बना कर कई बार दुर्घटनाग्रस्त भी हो रहे हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि दुर्घटनाओं के कम करने के उपायों पर विचार मंथन हो।

यह एक सार्वभौमिक तथ्य है कि सड़क स्तरीय दुर्घटनाओं को कम करने के कई स्तरों पर प्रयास और उन प्रयासों के बीच समन्वय की आवश्यकता होती है। सड़क दुर्घटना में कमी लाने के संदर्भ में सबसे बड़ी भूमिका सरकारी महकमे की ही रहती है। सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों के सख्ती से पालन की व्यवस्थाएं सृजित करना सबसे अनिवार्य तथ्य है।

साथ ही सरकार को सड़कों के निर्माण और बेहतर रख रखाव के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए क्योंकि इसके कारण भी दुर्घटनाएं होती रहती हैं। यातायात पुलिस महकमे के पास मानव संसाधन और अन्य अत्याधुनिक सुविधाओं का होना भी एक अनिवार्य तथ्य है। सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता के प्रसार के लिए भी सरकारी स्तर पर बड़े अभियानों का नियमित संचालन अनिवार्य स्तर पर होना चाहिए ताकि लोग यातायात नियमों और सड़क पर सुरक्षित सफर के बारे में आवश्यक तथ्यों के बारे में जागरूक रह सकें।

सड़क पर सुरक्षित सफर के संदर्भ में व्यक्तिगत स्तर पर भी सावधानियां बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। सड़क सुरक्षा संबंधी नियमों के पालन में हर व्यक्ति को संजीदगी से भूमिका निभानी चाहिए। सावधानी से ड्राइविंग और संतुलित रफ्तार में सभी को केवल वाहन ही नहीं चलाना चाहिए अपितु इस संदर्भ में दूसरों को प्रेरित भी करना चाहिए। सभी व्यक्तियों को नशे की हालत में कभी भी ड्राइविंग नहीं करना चाहिए।

चार पहिया वाहनों में सीट बेल्ट का उपयोग और दो पहिया वाहनों में हेलमेट का उपयोग दुर्घटनाओं की स्थिति में बड़ा सुरक्षा कवच बन जाता है। वाहन चलाते समय कभी भी मोबाइल पर बात नहीं करना चाहिए। ये छोटी छोटी सावधानियां सड़क पर सुरक्षित सफर के संदर्भ में बड़ी भूमिका निभा जाती है।

सड़क पर सुरक्षित सफर के संदर्भ में सामाजिक और धार्मिक संगठनों की भी बड़ी भूमिका रहती आई है। सामाजिक संगठनों द्वारा समय समय पर कार्यशालाओं, सेमिनार, निबंध, पेंटिंग प्रतिस्पर्धा आदि के माध्यम से सड़क पर सुरक्षित सफर के संदर्भ में बड़े स्तर पर जागरूकता अभियानों का संचालन किया जाना चाहिए।समाज में सड़क सुरक्षा संगठन बनाने चाहिए, जो सड़कों की सुरक्षा के लिए काम कर सके।

धार्मिक संस्थाएं भी विभिन्न त्योहारों या नियमित अंतराल पर होने वाले कार्यक्रमों में पधारे श्रद्धालुजनों के लिए विशेष जागरूकता अभियानों का संचालन करना चाहिए। धर्म सभा, कथा आदि के आयोजन के समय भारी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को सड़क पर सुरक्षित सफर के बारे में बताना चाहिए। सामाजिक संस्थानों को शैक्षणिक संस्थानों में समय समय पर विचार गोष्ठियों, कार्यशालाओं आदि का आयोजन होना चाहिए। शैक्षणिक संस्थानों में प्रार्थना सत्र में नियमित तौर पर छात्रों के साथ सड़क पर सुरक्षित सफर के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करना आवश्यक है।

सड़क पर सुरक्षित सफर के माध्यम से विशेषतौर पर हमें अपने युवा पीढ़ी की रक्षा करनी होगी। सड़कों पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए समानुभूतिपूर्ण और संवेदनशील सार्थक प्रयासों की आवश्यकता तो है ही। साथ ही सबसे बड़ी आवश्यकता इस बात की भी है कि सड़क पर सुरक्षित सफर के लिए अन्य प्रयासों में समन्वय और सामंजस्य को भी स्थापित किया जाय। यदि प्रयास संवेदनशील होंगे तो निश्चित तौर पर हम सड़क पर सुरक्षित सफर बनाने में कामयाब होंगे।

Leave a Reply

error: Content is protected !!