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राष्ट्र रत्न शोभायात्रा : महिला सशक्तिकरण का प्रकटीकरण - श्रीनारद मीडिया

राष्ट्र रत्न शोभायात्रा : महिला सशक्तिकरण का प्रकटीकरण

राष्ट्र रत्न शोभायात्रा : महिला सशक्तिकरण का प्रकटीकरण

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अहिल्यादेवी होलकर की 300 वीं, रानी दुर्गावती की 500 वीं और संत मीराबाई की 525 वीं जयंती के उपलक्ष्य में संस्कार भारती द्वारा प्रयागराज महाकुंभ में आज देशभर की 200 से अधिक महिला चरित्रों की वेशभूषा में राष्ट्र रत्ना शोभायात्रा का आयोजन किया गया।

शोभायात्रा का शुभारंभ केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री सर्वश्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले, उपाध्यक्ष हेमलता एस. मोहन,मंचीय कला संयोजक देवेंद्र रावत मातृशक्ति संयोजिका अनिता करकरे, सह संयोजिका मिथलेश तिवारी द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया गया। शुभारंभ सत्र संचालन प्रसिद्ध कला समीक्षक श्रीमती शशिप्रभा तिवारी जी ने किया।

दुनियाभर के फेमिनिस्टों ने जहां स्त्री सशक्तिकरण की आड़ में परिवार संस्था को नष्ट कर स्मोकिंग, नंगेपन और उन्मुक्तता को बढ़ावा देकर समाज रचना का विकृतिकरण किया है। वहीं फेमिनिज्म के वास्तविक स्वरूप को राष्ट्र के सामने प्रकट करने हेतु संस्कार भारती ने यह अभिनव पहल को सामने रखा। जिनमें देशभर के सभी राज्यों की 200 से अधिक ऐसे महिला पात्रों को कुंभ में उनकी वेशभूषा में प्रकटीकरण किया गया जिन्होंने अपने कृतित्व से अपने कुल,परिवार, समाज और राष्ट्र का गौरव बोध जागरण का कार्य किया है।

उदाहरणस्वरूप अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भारत-भर के प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में मन्दिर बनवाए, घाट बँधवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण किया, मार्ग बनवाए-काशी विश्वनाथ में शिवलिंग को स्थापित किया, भूखों के लिए अन्न क्षेत्र खोले, प्यासों के लिए प्याऊ की व्यवस्था बनाई। वह भी तब जब बहुत कम आयु में उसे न केवल विधवा हो जाना पड़ा बल्कि परिवार का कोई सुख भी नसीब न हो सका। पर वे हिम्मत न हारी और समाज को ही अपना परिवार मान कर्त्तव्यों की नई परिभाषा रच दी।

मुगल साम्राज्य के विरुद्ध गोंड महारानी दुर्गावती ने अपने राज्य का नेतृत्व कर युद्ध कौशल से अमिट छाप छोड़ी। वहीं भक्तिमती मीराबाई का चरित्र सर्वविदित है। कृष्णभक्ति की अलख जगाकर उन्होंने जनमानस में नई चेतना पैदा किया। भगवान महावीर की प्रथम शिष्या चंदन बाला हो या सिद्धार्थ गौतम की अर्धांगिनी यशोधरा। सबने अपने कर्तव्य से जनमानस पर एक अमिट छाप छोड़ी।

इस छोटे से पोस्ट में सबका वर्णन संभव तो नहीं है लेकिन इस शोभायात्रा से उपजे स्वर भारत में स्त्री सशक्तिकरण की नई परिभाषा पैदा कर भारत के स्वबोध जागरण को नई ऊंचाई देगी,पक्का विश्वास है।

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