Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
सुभाष चंद्र बोस के अवशेष जापान के रेंकोजी मंदिर में आज भी क्यों हैं? - श्रीनारद मीडिया
Breaking

सुभाष चंद्र बोस के अवशेष जापान के रेंकोजी मंदिर में आज भी क्यों हैं?

सुभाष चंद्र बोस के अवशेष जापान के रेंकोजी मंदिर में आज भी क्यों हैं?

previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक सुभाष चंद्र बोस की जयंती मना रहा है। इसी बीच नेताजी सुभाष चंद्र की बेटी अनीता बोस फाफ ने केंद्र सरकार से अपील की है कि उनके पिता के पार्थिव अवशेषों को जापान के टोक्यो से भारत लाया जाए। उन्होंने कहा कि दशकों तक देश की सरकार उनके पार्थिव अवशेषों को वापस लाने के मामले पर झिझकती रहीं या इनकार करती रहीं। नेताजी की अस्थियां पिछले आठ दशकों से टोक्यो के रेंकोजी मंदिर में रखी हुई हैं। उन्हें एक प्रेस रिलीज के जरिए ये बात कही है।

हवाई दुर्घटना में हुई थी नेताजी की मृत्यु: सरकार

2016 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों के अनुसार, पूर्ववर्ती सरकारों का मानना ​​था कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अगस्त 1945 में एक हवाई दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, लेकिन सार्वजनिक प्रतिक्रिया के डर से इस आकलन को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया।

कांग्रेस शासन में नेताजी को क्यों नहीं मिला भारत रत्न?

तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी नरसिम्हा राव ने नेताजी को मरणोपरांत भारत रत्न देने का फैसला किया था, लेकिन दबाव की वजह से उन्हें यह फैसला वापस लेने पड़ा था। भारत रत्न न देने के पीछे वजह बताई गई कि सरकार अगर ऐसा करती है तो इस बात की पुष्टि हो जाएगी कि नेताजी की वास्तव में मृत्यु हो गई है। नेताजी की पुत्री ने आगे कहा कि दशकों तक अधिकांश भारतीय सरकार उनके पार्थिव शरीर को वापस घर लाने में हिचकिचाती रहीं या इनकार करती रहीं। एक समय तो रेंकोजी मंदिर के पुजारी और जापानी सरकार उनके अवशेषों को उनकी मातृभूमि में वापस लाने के लिए तैयार, इच्छुक और उत्सुक थे।” अनीता बोस फाफ ने कहा कि हमें यह स्वीकार करना होगा कि उस दिन ताइपेई, ताइवान में उड़ान भरते समय विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।”

पीएम मोदी ने नेताजी को दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें साहस और धैर्य का प्रतीक बताया।

पूरे देश के लिए एक मंत्र बन गया ये नारा
देश की आजादी के लिए उनका नारा ”तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” पूरे देश के लिए एक मंत्र बन गया। नेताजी ब्रिटिश शासन के दौरान सर्वोच्च सिविल सेवा में चयनित हुए, लेकिन भारत माता की सेवा के लिए इस प्रतिष्ठित पद को ठुकरा दिया। उनका जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा का भंडार है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती को देशभर में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। बुधवार को नेताजी को राष्ट्रपुत्र एवं आजाद हिंद गठन दिवस को राष्ट्रीय दिवस के तौर पर घोषित करने के लिए दर्शाकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका की सुनवाई हुई।

समाज सेवक पिनाकपाणी मोहंती ने दायर की याचिका

कटक के समाज सेवक पिनाकपाणी मोहंती की ओर से दायर याचिका की सुनवाई पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस मृगांक शेखर साहू को लेकर गठित खंडपीठ ने इस संबंध में जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया है।

12 फरवरी तक टली सुनवाई

इस मामले की अगली सुनवाई को आगामी 12 फरवरी तक के लिए टाल दिया गया है। आवेदनकारी मोहंती ने अपने पिटीशन में यह दर्शाया है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गुमशुदा होने के 78 साल बीत जाने के बावजूद उन्हें देश अभी तक उचित सम्मान नहीं दे पाया है।

राष्ट्रपुत्र घोषित करे सरकार

  • देश को स्वतंत्रता दिलाने में नेताजी और उनके द्वारा गठित आजाद हिंद फौज के भूमिका काफी सराहनीय रहा है।
  • भारत के प्रति नेताजी ने जो त्याग और बलिदान दिया है, देश को उन्हें भी इसका सम्मान देना चाहिए।
  • सरकार को नेताजी को भारत का राष्ट्रपुत्र घोषित किया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय दिवस घोषित हो 21 अक्टूबर

ठीक उसी प्रकार आजाद हिंद फौज की स्थापना 21 अक्टूबर 1943 को की गई थी । उस दिन को भी राष्ट्रीय दिवस के तौर पर घोषणा करने के लिए भी याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की है। केवल इतना ही नहीं ओड़िआ बाजार में मौजूद उनके जन्म स्थान संग्रहालय को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करना, स्वतंत्रता के समय इंटेलिजेंस ब्यूरो के पास मौजूद सीक्रेट फाइल को भी हस्तांतरित करने के लिए पिटीशन में बहस के तौर पर दर्शाया गया है ।

ठीक उसी प्रकार नेताजी की गुमशुदगी की रहस्य को उजागर करने के लिए गठित जस्टिस मुखर्जी कमीशन की जांच रिपोर्ट को भी सार्वजनिक करने की जरूरत है नेताजी के निधन के संबंध में विष्णु सहाय कमीशन ने जो रिपोर्ट दी है, उसको रद के लिए अदालत निर्देश दें, यह प्रार्थना आवेदनकारी ने की है।इस पिटीशन में आवेदनकारी ने नेताजी के संबंध में कई तथ्य अदालत में पेश किए हैं। आवेदनकारी इन सब मांगों को आधार कर प्रधानमंत्री के पास भी ज्ञापन भेजा है।

केंद्र गृह मंत्रालय को ज्ञापन प्रदान किया है, लेकिन उसके ऊपर किसी भी तरह की ठोस कदम नहीं लिए जाने के कारण वह हाईकोर्ट पहुंचे हैं। इस मामले में प्राथमिक सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!