वक्फ कानून को लेकर गठित जेपीसी की बैठक में हंगामा क्यों हुआ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
10 विपक्षी सांसद निलंबित
विपक्षी सांसदों के निलंबन के बाद जेपीसी की बैठक सुचारू रूप से चली, जिसमें जम्मू-कश्मीर मुताहिदा मजलिस-ए-उलेमा के प्रमुख और अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रमुख मीर वाइज उमर फारूख ने अपनी बात रखी।
क्यों नाराज हैं विपक्षी सांसद?
- विपक्षी सांसदों की नाराजगी की असली वजह 27 जनवरी को बुलाई गई बैठक है, जिसमें प्रस्तावित संशोधनों पर बिंदुवार चर्चा होनी थी।
- संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट 29 जनवरी को सौंपने का लक्ष्य रखा है, लेकिन विपक्षी सांसद 30 या 31 जनवरी के बाद बैठक की मांग कर रह थे।
- कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि जेपीसी की रिपोर्ट लाने की जल्दबाजी के पीछे दिल्ली विधानसभा का चुनाव है ताकि पांच फरवरी को होने वाले मतदान के पहले इसका राजनीतिक लाभ उठाया जा सके।
- हालांकि, जगदंबिका पाल ने विपक्षी सांसदों के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि जेपीसी का कार्यकाल एक बार बढ़ाया जा चुका है और अब उन्हें बजट सत्र के पहले अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी।
जगदंबिका पाल ने क्या कहा?
पाल के अनुसार विपक्षी सदस्य नहीं चाहते थे कि बैठक जारी रहे। इसलिए वे लगातार चिल्लाते और नारे लगाते रहे। ध्यान देने की बात है कि इसके पहले भी कल्याण बनर्जी पर बैठक के दौरान असंसदीय आचरण के आरोप लगते रहे हैं। एक बार उनपर बैठक के दौरान गुस्से में पानी की बोतल तोड़ने का आरोप भी लग चुका है जिसके कारण उनका खुद का हाथ घायल हुआ था।
…संसद ही सर्वोच्च है
अलगाववादी नेताओं की आज की मुलाकात बहुत कुछ कहती है। अलगाववादी भी समझ चुके हैं कि… संसद ही सर्वोच्च है। वर्ष 1989 के बाद यह पहला अवसर है, जब कश्मीर के किसी अलगाववादी नेता या मजहबी नेता ने संसद भवन परिसर में जाकर किसी प्रस्तावित कानून को लेकर अपना पक्ष रखा हो।
जेपीसी को सौंपा ज्ञापन
वर्ष 2024 में हुए विधानसभा व लोकसभा चुनाव से पहले तक इन्होंने खुद को हर चुनाव से अलग रखा, बहिष्कार किया और चुनाव प्रक्रिया को हमेशा ढकोसला बताया, लेकिन अब बदलाव साफ नजर आ रहा है।
यह बात अलग है कि मीरवाइज के नेतृत्व में गए चार सदस्यीय प्रतिपिधिमंडल ने जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को ज्ञापन सौंपकर कहा कि प्रस्तावित वक्फ अधिनियम जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के मुस्लिमों को अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा, प्रस्तावित बिल वक्फ की स्वायत्तता को समाप्त कर देगा।
भाजपा ने की सराहना
भाजपा ने संवैधानिक प्रक्रिया का हिस्सा बनने के उमर फारूक के फैसले की सराहना की। संसदीय समिति के सदस्य भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने कहा, सबसे अच्छी बात यह रही कि उन्होंने अपनी बात मजबूती से रखी और विधेयक पर अपनी आपत्तियां व्यक्त करने के अपने संवैधानिक अधिकार का हवाला दिया।
बहुत कुछ कहती है मुलाकात
कश्मीर मामलों के जानकार सैयद अमजद अली शाह ने कहा कि अलगाववादी खेमे को समझ आ गया है कि उसे जो भी मिलेगा वह पाकिस्तान या अमेरिका से नहीं बल्कि भारतीय संसद से ही मिलेगा।
इससे पहले बीते 30 वर्ष के दौरान मीरवाइज उमर फारूक समेत अन्य अलगाववादी नेताओं की बयानबाजी और आज में बहुत अंतर है। आज की मुलाकात बहुत कुछ कहती है, बस समझने वाला चाहिए।
पांच अगस्त 2019 को शुरू हुई यात्रा शानदार पड़ाव पर
जानकार बिलाल बशीर ने कहा, बीते कुछ समय से सुनने को मिल रहा था कि कश्मीर के कई प्रमुख अलगाववादी प्रत्यक्ष-परोक्ष तरीके से अलगाववाद से तौबा कर मुख्यधारा में शामिल होने का प्रयास कर रहे हैं। यह मुलाकात पांच अगस्त 2019 को शुरू हुई यात्रा (अनुच्छेद 370 हटने के बाद) एक शानदार पड़ाव पर पहुंचने का भी एलान है।