अधिक मतदान सशक्त और जीवंत लोकतंत्र का आधार

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राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर विशेष आलेख

✍️डॉक्टर गणेश दत्त पाठक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जनता के लिए, जनता का जनता द्वारा शासन ही लोकतंत्र का महत्वपूर्ण आधार होता है। जनता का यह अधिकार मतदान के तौर पर ही वास्तविक रूप से धरातल पर आता है। इसलिए मतदान को लोकतंत्र का प्राण वायु माना जाता है। जिस लोकतांत्रिक देश में जितना अधिक मतदान होता है, उस देश में लोकतंत्र को उतना ही परिपक्व, सशक्त और जीवंत माना जाता है।

भारत में प्रथम लोक सभा चुनाव में, जहां मतदान प्रतिशत 44.87 फीसदी था, वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में यह आंकड़ा 67.40 फीसदी तक पहुंच चुका है। भारतीय चुनाव आयोग द्वारा प्रतिवर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है, तमाम आयोजन किए जाते हैं। उद्देश्य सिर्फ इतना रहता है कि देश के सभी नागरिक मतदान के महत्व को समझें और अपने अधिकार के सम्यक निर्वहन के लिए प्रेरित हों। भरपूर मतदान से ही लोकतंत्र जीवंत, सशक्त, परिपक्व और सार्थक हो सकता है। हालांकि अपने देश में शत प्रतिशत मतदान को सुनिश्चित करने के लिए एक सतत् और समर्पित प्रयास की आवश्यकता है।

लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने का आसान उपाय मतदान ही होता है। मतदान के माध्यम से ही नागरिक अपने योग्य जनप्रतिनिधियों का चयन करते हैं। जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को ही शासन की बागडोर सौंपी जाती है। ये चुने हुए जनप्रतिनिधि हीं जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप शासन व्यवस्था को संचालित करते हैं।

जब देश की जनता सोच समझकर अच्छे जनप्रतिनिधि का चयन करती है तो वे योग्य जनप्रतिनिधि देश के नीतिगत निर्णय में सकारात्मक भूमिका निभाकर देश की प्रगति और विकास के लिए परिस्थितियों को सृजित करते हैं। देश को अच्छी सरकार मिले इसके लिए आवश्यक होता है कि देश के नागरिक अच्छे जनप्रतिनिधियों का चयन करें। इसके लिए मतदान करना बेहद आवश्यक होता है। मतदान के माध्यम से देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया जाता है। नागरिकों का एक एक वोट देश के भविष्य के आकार का निर्धारण किया जाता है।

मतदान के माध्यम से अपने हितों को बढ़ावा देने वाले जनप्रतिनिधियों का चयन किया जा सकता है। मतदान के माध्यम से यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि सरकार जनता के प्रति जवाबदेह रहे। मतदान नागरिकों के आत्मविश्वास को बढ़ाता है उनको अपनी शक्ति का अहसास कराता है। मतदान समाज में बदलाव लाने का एक शक्तिशाली साधन है। यह नागरिकों को अपने समाज को बेहतर बनाने के लिए काम करने का अवसर प्रदान करता है।

लोकतंत्र के लिए कम मतदान एक बेहद नकारात्मक तथ्य होता है। कम मतदान प्रतिशत के कारण, चुने गए प्रतिनिधि वास्तव में जनता की इच्छाओं का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाते हैं।निर्वाचित सरकार अस्थिर हो सकती है और निर्णय लेने में कठिनाइयों का सामना कर सकती है। शासन व्यवस्था में भ्रष्टाचार बढ़ने की आशंकाएं होती है क्योंकि चुने गए प्रतिनिधि जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होते हैं। सामाजिक और आर्थिक समस्याएं बढ़ सकती हैं क्योंकि सरकार जनता की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाती। कम मतदान प्रतिशत के कारण, लोकतंत्र कमजोर हो सकता है और तानाशाही की संभावना बढ़ सकती है।

मतदान लोकतंत्र की मजबूती के लिए बेहद आवश्यक तथ्य होता है। परंतु अपने देश में मतदान का प्रतिशत पहले बेहद कम रहता था। पहली, दूसरी और तीसरी लोकसभा के दौरान मतदान प्रतिशत 45 फीसदी के आसपास रहा था। पांचवीं से ग्यारहवीं लोकसभा चुनाव तक मतदान 55 फीसदी के आस पास रहा। सोलहवीं और सत्रहवीं लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान 65 फीसदी के आस पास रहा।

हालांकि भारतीय चुनाव आयोग द्वारा 2009 से सुव्‍यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचक सहभागिता कार्यक्रम यानी स्‍वीप चलाया जा रहा है। यह भारत में मतदाता शिक्षा, मतदाता जागरूकता का प्रचार-प्रसार करने एवं मतदाता की जानकारी बढ़ाने के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके तहत भारत के निर्वाचकों को सजग करने और उन्‍हें निर्वाचन प्रक्रिया से संबंधित बुनियादी जानकारी से लैस करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। हालांकि स्वीप कार्यक्रम में जनभागीदारी को और सशक्त बनाने की अभी और आवश्यकता है।

यद्यपि भारतीय चुनाव आयोग द्वारा मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन राजनीतिक जागरूकता में कमी, मतदान प्रक्रिया में जटिलता, राजनीतिक दलों की नकारात्मक छवि, बेरोजगारी और अशिक्षा जैसे अन्य सामाजिक और आर्थिक तथ्य कभी कभी मतदाताओं को अपने राजनीतिक अधिकार के उपयोग के प्रति हतोत्साहित कर देते हैं। यह उदासीनता लोकतंत्र के भविष्य के प्रति एक नकारात्मक तथ्य होता है। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग द्वारा समय समय पर मतदाता जागरूकता अभियानों का संचालन किया जाता रहता है।

विशेषकर लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान इस तरह के अभियान बड़े स्तर पर संचालित किए जाते रहते हैं। चुनाव आयोग मतदान प्रकिया को आसान और सहज बनाने के लिए समय समय पर प्रयास करता रहता है। ऑनलाइन मतदाता पंजीकरण और मतदान स्थल पर बेहतर मतदाता सुविधाओं की उपलब्धता के लिए भी प्रयास किया जाता है। युवा मतदाताओं को मतदान का महत्व बताने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मतदान के दिन सार्वजनिक अवकाश सुनिश्चित किया जाता है।

राजनीतिक दलों द्वारा भी मतदाताओं को उत्साहित करने के प्रयास किए जाते हैं लेकिन फिर भी आम नागरिक ही नहीं प्रबुद्धजन और बुद्धिजीवी भी अपने राजनीतिक अधिकार के निर्वहन यानी मतदान में लापरवाही बरतते हैं। राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी को मतदाता पहचान पत्र के वितरण, मतदाता प्रतिज्ञा समारोह, जागरूकता अभियान, वाद विवाद, निबंध, चित्रकला आदि प्रतिस्पर्धाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि आयोजित किए जाते हैं। डिजिटल आउटरीच पहल के लिए भी प्रयास किए जाते हैं।

भारत में हालांकि मतदान प्रतिशत बढ़ा है लेकिन और मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए समन्वित और सार्थक प्रयासों की नितांत आवश्यकता है। मतदान के महत्व को जन जन तक पहुंचाने के लिए सशक्त, सार्थक, समर्पित और समन्वित मतदाता जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है। इसके लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया जा सकता है।

शैक्षणिक संस्थाओं में जागरूकता अभियानों को संचालित किया जा सकता है। सामुदायिक, गैर सरकारी, सांस्कृतिक संस्थाओं का सहयोग लिया जा सकता है। मतदान प्रक्रिया के सरलीकरण के लिए तकनीकी प्रयासों पर शोध और अनुसंधानों की भी आवश्यकता है। युवाओं को मतदान के लिए प्रेरित करने के लिए पहल भी आवश्यक हैं। मतदान को अनिवार्य बनाने के लिए व्यवस्थाओं पर मंथन किया जा सकता है। नागरिकों को भी यह समझना होगा कि मतदान करना एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण कर्तव्य है इससे देश के विकास को मजबूत आधार मिलता है। स्वीप कार्यक्रम को भी जन आंदोलन बनाने के सार्थक प्रयास हों।

देश में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए सार्थक और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। नागरिक बोध का जागरण भी अनिवार्य है। प्रशासनिक सक्रियता और राजनीतिक दृढ़ इच्छा शक्ति की भी दरकार है। जब देश में सभी नागरिक अपने संवैधानिक दायित्व के महत्व को समझेंगे तो जरूर मतदान करेंगे। इन समन्वित प्रयासों से मतदान प्रतिशत बढ़ेगा और हमारा लोकतंत्र और परिपक्व होगा।

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