अवैध प्रवासियों को भेजने का यह तरीका नया नहीं है-विदेश मंत्री

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अमेरिका में अवैध तरीके से दाखिल हुए 104 भारतीयों की वतन वापसी हो गई है। बुधवार को अमेरिकी सेना का विमान इन भारतीयों को लेकर अमृतसर पहुंचा।विपक्षी सांसदों की तरफ से इस मामले को लोकसभा में उठाया गया।  वहीं, संसद परिसर में विपक्षी नेताओं ने हाथ में हथकड़ियां पहनकर सरकार की नीतियों का विरोध किया। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा,”जिस तरह से यह किया गया, हम उसका विरोध कर रहे हैं। उनके पास उन लोगों को निर्वासित करने का पूरा कानूनी अधिकार है, लेकिन उन्हें इस तरह अचानक सैन्य विमान में हथकड़ी लगाकर भेजना भारत का अपमान है, यह भारतीयों की गरिमा का अपमान है।”

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, समाजवादी पार्टी सांसद धर्मेंद्र यादव, कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह और अन्य विपक्षी नेताओं को संसद में हथकड़ी पहनकर विरोध प्रदर्शन किया।

एस जयशंकर ने संसद में दिया जवाब

इस मामले पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी नियमों के मुताबिक कार्रवाई हुई। हर साल अवैध प्राविसयों को अमेरिका भारत वापस भेजती है।

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि  अवैध अप्रवासी वहां अमानवीय हालात में फंसे थे। अवैध अप्रवासियों को वापस लेना ही था। उन्होंने कहा कि डिपोर्टेशन कोई नया नहीं है। विदेश मंत्री ने 2009 से अब तक के आंकड़े भी गिनाए और कहा कि हर साल अवैध अप्रवासियों को वापस भेजा जाता है। अमेरिकी नियम के मुताबिक कार्रवाई हुई। विदेश मंत्री ने कहा कि पहली बार लोगों को वापस नहीं भेजा गया है. 2012 से ही ये नियम लागू है।

पीएम मोदी ने ऐसा क्यों होने दिया: प्रियंका गांधी

इस घटना पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बहुत सी बातें कही गईं कि राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी बहुत अच्छे दोस्त हैं। पीएम मोदी ने ऐसा क्यों होने दिया? क्या हम उन्हें वापस लाने के लिए अपना विमान नहीं भेज सकते थे? क्या इंसानों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है? कि उन्हें हथकड़ी और बेड़ियां पहनाकर वापस भेजा जाता है? विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए।” बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर राज्यसभा में इस मामले पर सरकार का पक्ष रखेंगे।

सपा-कांग्रेस ने स्थगन प्रस्ताव किया पेश

बता दें कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने लोक सभा में कार्य स्थगन का प्रस्ताव दिया है। कांग्रेस सांसद गोगोई ने कहा कि इन व्यक्तियों को निर्वासन प्रक्रिया के दौरान बेड़ियों में जकड़े जाने और उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किए जाने की खबरें सामने आई हैं, जिससे उनकी मानवीय गरिमा और अधिकारों को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि जबकि तात्कालिक मुद्दा विदेशों में हमारे नागरिकों के साथ व्यवहार से संबंधित है, यह मानवाधिकारों पर भारत के कूटनीतिक रुख के बारे में व्यापक चिंताओं को भी दर्शाता है। गोगोई ने कहा कि भारत सरकार की लगातार चुप्पी, खास तौर पर प्रधानमंत्री की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया न मिलना घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखा गया है। राज्यसभा में इस मामले पर कांग्रेस, सीपीई, टीएमसी और आप संसदों ने हंगामा किया।

इन राज्यों के लोगों को अमेरिका से किया गया डिपोर्ट

अमेरिका से लौटने वालों में 33 लोग हरियाणा के हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 11 लोग कैथल जिले के बताए जा रहे हैं। हरियाणा के इन लोगों में सात ऐसे हैं, जिनकी उम्र 20 साल से कम हैं। तीन महिलाओं की भी वापसी हुई है। आज (06 फरवरी) इस मामले को संसद में भी उठाया गया।

अमेरिका जाना बहुत से लोगों का सपना होता है, लेकिन ये सपना कई बार पैसों की वजह से सपना ही रह जाता है, हकीकत में नहीं बदल पाता। इनमें से कोई अपनी जमीन बेचकर अमेरिका गया था तो कोई कर्ज लेकर। इस बीच अमेरिका से कई प्रवासी भारतीयों को डिपोर्ट किया जा रहा है, इनमें पंजाब, हरियाणा, गुजरात सहित कई राज्यों के लोग शामिल हैं। अमेरिकी सेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान बुधवार दोपहर 104 निर्वासित भारतीयों को लेकर पंजाब के अमृतसर में उतरा, जिससे उनका ‘अमेरिकी सपना’ अधूरा रह पूरा हो गया, जिसके लिए उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था।

कई निर्वासित लोगों ने हवाई अड्डे पर एक सरकारी अधिकारी को बताया कि उन्हें लगभग 10 दिन पहले अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर उठाया गया था। कुछ ने कहा कि वे ब्रिटेन से अमेरिका गए थे।

पंजाब और हरियाणा से ऐसे गए लोग

हवाई अड्डे पर निकासी प्रक्रिया में शामिल सूत्रों ने कहा कि पंजाब और हरियाणा से निर्वासित लोगों को सड़क मार्ग से घर भेजा गया।

गुजरात और अन्य राज्यों के लोगों को बुधवार देर रात उड़ान भरनी थी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि जांचकर्ता इस बात पर गौर करेंगे कि निर्वासित लोगों को अमेरिका पहुंचने में किसने मदद की और उन्होंने इन अवैध आव्रजन एजेंटों को कितने पैसे दिए।

गुजराती परिवार ने दिए 1 करोड़

एक गुजराती परिवार का दावा है कि उसने अमेरिका पहुंचने के लिए 1 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।वहीं इस संबंध में एक अन्य अधिकारी ने कहा, अमृतसर के एक सीमावर्ती गांव के एक युवक के चाचा ने कहा कि परिवार ने अपने भतीजे को विदेश भेजने के लिए डेढ़ एकड़ जमीन बेच दी और 42 लाख रुपये से कुछ अधिक खर्च किए। उन्होंने कहा, ‘वह कुछ महीने पहले ही मेक्सिको के रास्ते अमेरिका पहुंचा था।’ कुछ ने कहा कि वे ब्रिटेन से अमेरिका गए थे। हवाई अड्डे पर निकासी प्रक्रिया में शामिल सूत्रों ने कहा कि पंजाब और हरियाणा से निर्वासित लोग थे।

क्या है डंकी रूट?

असल में, गांव के 150 में से कम से कम 80-85 लोग इसी रस्ते से अमेरिका पहुंच चुके हैं। ये सिलसिला यूं ही नहीं चला आ रहा, बल्कि यहां के लोगों के लिए ये लगभग परंपरा बन चुका है। एजेंट्स बैठे हैं, प्लानिंग रेडी है, पैसे जुटाने की जद्दोजहद शुरू हो जाती है। 15 लाख लगते हैं बस उस दीवार तक पहुंचने के लिए, जो अमेरिका और मेक्सिको के बीच खड़ी है, लेकिन वहां तक पहुंचने की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं।

 

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