पीएम मोदी को चुनाव में क्यों हराना चाहता था अमेरिका?

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USAID से किसको मिला पैसा?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अमेरिका के पूर्व विदेश विभाग के अधिकारी माइक बेंज (Mike Benz) ने आरोप लगाया है कि अमेरिका ने भारत के आंतरिक राजनीति में दखल दिया है। इतना ही नहीं अमेरिका ने बांग्लादेश की राजनीति में भी दखल देने की कोशिश की है।उन्होंने दावा किया है कि अमेरिका ने मीडिया प्रभाव, सोशल मीडिया सेंसरशिप और विपक्षी आंदोलनों को वित्तीय सहायता के माध्यम से भारत की राजनीति को प्रभाव डालने की कोशिश की है।बेंज का आरोप है कि अमेरिकी सरकार से जुड़ी संस्थाओं ने ‘लोकतंत्र को बढ़ावा देने’ की आड़ में चुनावों को प्रभावित करने, सरकारों को अस्थिर करने और उसके अनुरूप सरकार बनाने की कोशिश की है।

भाजपा को चुनाव हराने के लिए हुई फंडिंग: माइक बेंज

USAID जैसी संस्थाओं ने भारत के 2019 के लोकसभा चुनावों को प्रभावित  करने का प्रयास किया है। इस संस्था ने फंडिंग के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ चुनावी नैरेटिव तैयार किया है। उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट करते हुए यह जानकारी दी है।

मोदी सरकार समर्थित कंटेंट पर रोक लगाने की हुई कोशिश: रिपोर्ट

बेंज का दावा है कि अमेरिकी विदेश विभाग ने फेसबुक, वॉट्सऐप, यूट्यूब और ट्विटर जैसी बड़ी टेक कंपनियों पर प्रभाव डालते हुए मोदी समर्थक कंटेंट पर रोक लगाने की कोशिश की। बता दें कि साल 2019 के जनवरी महीने में  वॉट्सऐप ने मैसेज फॉरवर्डिंग की सीमा कर दी थी।

इतना ही नहीं, बेंज का आरोप है कि यूएसएड से जुड़े संगठनों सहित कई अन्य संगठनों ने प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मीडिया और डिजिटल फोरेंसिक ग्रुप के साथ मिलकर ऐसी रिपोर्ट तैयार की, जिसमें भारत को गलत सूचना के गंभीर संकट जूझते हुए दिखाया गया।

यूएसएड ने भारत विरोधी गतिविधियों को दिया अंजाम: निशिकांत दुबे

बेंज के इन दावों से पहले 10 फरवरी को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने अमेरिकी संस्था यूएसएड द्वारा भारत को विभाजित करने के लिए विभिन्न संस्थाओं को फंडिंग करने का दावा किया है। सोमवार को लोकसभा में उन्होंने मांग की है कि इस मामले की जांच की जाए और दोषियों को सजा दी जाए।   उम्मीद जताई जा रही है कि बेंज के इन दावों से निशिकांत दुबे के आरोपों को अब और गंभीरता से ली जाएगी।

क्या है USAID?

यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फार इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) कार्यक्रम के तहत करीब 120 देशों में विभिन्न योजनाएं चल रही हैं। 2023 में इस एजेंसी के कार्यक्रम के तहत विभिन्न देशों और संस्थाओं को 72 अरब डॉलर की मदद दी गई थी।हाल ही में अमेरिकी  राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) को बंद करने का आदेश दिया था। ट्रंप प्रशासन ने एजेंसी पर अमेरिकी करदाताओं के पैसे का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।

कुछ दिनों पहले ट्रंप ने अरबपति एलन मस्क (Elon Musk)  ने हजारों यूएसएआईडी कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का भी आदेश दिया था। ट्रंप प्रशासन ने आदेश दिया कि दुनियाभर में इसके कार्यक्रम बंद कर दिए जाएं। एलन मस्क ने एजेंसी को आपराधिक संगठन बताया है। आरोप है कि यह संस्था आतंकवादी संगठन  लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) को वित्तीय मदद करता है।

USAID से किसको मिला पैसा?

चिर-परिचित अंदाज में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोमवार को फिर लोकसभा में कांग्रेस पर करारे प्रहार किए। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यूएस एड (USAID) को बंद किए जाने का कारण साझा करते हुए उन्होंने कहा कि इस पैसे का उपयोग कई वर्षों से अलग अलग सरकारों को गिराने के लिए किया जा रहा था।दरअसल, कांग्रेस और विपक्षी दलों से कई प्रश्न पूछते हुए सांसद निशिकांत दुबे ने सरकार से आग्रह किया कि इसकी जांच कराई जाए कि यूएस एड से किस-किस को पैसा मिला, उन लोगों को सलाखों के पीछे डाला जाना चाहिए।

बीजेपी ने कांग्रेस से पूछे तीखे सवाल

निशिकांत दुबे ने विपक्षी दलों से सवाल पूछा कि यूएस एड ने जार्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन को पांच हजार करोड़ भारत को टुकड़े करने के लिए, यूएस एड और ओपन सोसाइटी फाउंडेशन ने राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट व राजीव गांधी फाउंडेशन को और ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा को यूएस एड ने पैसा दिया या नहीं दिया?

निशिकांत दुबे ने लगाए कई आरोप

उन्होंने पूछा कि बांग्लादेश में लोकतंत्र को खत्म करने वाले यूनुस के साथ गांधी परिवार के क्या संबंध हैं? राजीव गांधी फाउंडेशन के विजय महाजन की संस्था प्रदान को यूएस एड से पैसा मिला या नहीं? आपने राजीव गांधी फाउंडेशन में विजय महाजन को देश को टुकड़े-टुकड़े करने के लिए रखा है या नहीं? इसके साथ ही जातिगत जनगणना की बात करने वाले रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट को यूएस एड पैसा देता है या नहीं?
उन्होंने तालिबान, नेपाल के एथिस्ट मूवमेंट, हेल्पिंग हैंड, एल खिदमत जैसे संगठनों को भी यूएस एड से पैसा मिलने को लेकर सवाल पूछा। साथ ही यह आरोप भी लगाया कि वक्फ संशोधन अधिनियम का विरोध करने वाले जिस जकात फाउंडेशन का कांग्रेस साथ दे रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि उसके सहित इस देश में मानव अधिकार कानून के नाम पर, सेंटर आफ पालिसी रिसर्ज के नाम, इकोनामिस्ट के नाते अम‌र्त्य सेन और ऐसी कई संस्थाओं को यूएस एड पैसा देता था। भाजपा सांसद ने कहा कि चाहे अग्निवीर हो या जातिगत जनगणना, ऐसे मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी, यूएस एड और सोरोस फाउंडेशन के साथ मिलकर देश को टुकड़े-टुकड़े करना चाहती है।

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