महाकुंभ में 45 दिनों में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने का महारिकॉर्ड बना!
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने शुक्रवार को महाकुंभ की धरती से विदा लिया। इससे पहले उन्होंने अरैल घाट पर सफाई की। गंगा से कचरा निकाला। सफाई कर्मियों को भोजन कराया।
संगम पर आज जगह-जगह कूड़े का ढेर दिख रहा है। सफाई कर्मचारियों ने आज से 15 दिन के विशेष सफाई अभियान की शुरुआत की है। संगम क्षेत्र, घाटों और मेले की स्थायी और अस्थायी सड़कों को साफ किया जा रहा है। संगम की रेती जहां पैर रखने तक की जगह नहीं होती थी, वह अब वीरान पड़ा है।
परमार्थ निकेतन ने स्वच्छता अभियान के साथ महाकुंभ की पूर्णाहुति की। महाकुंभ की धरती से विदा लेते हुए परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती के साथ कई अफसरों ने अरैल घाट पर स्वच्छता अभियान चलाया। गंगा से कचरा निकाला।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा- चारों ओर सबसे ज्यादा गुटखा के पाउच पड़े थे। ये पाउच तो धरती को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन गुटखा खाने वाले के शरीर को बर्बाद कर देता है। इसलिए महाकुंभ से विदाई के साथ-साथ गुटखा को भी विदाई दें और आज ही गुटखा न खाने का संकल्प लें।
2019 में आए थे 25 करोड़ श्रद्धालु
कुंभ 2019 में 25 करोड़ श्रद्धालु आए थे। अबकी बार 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना थी। प्रयागराज में 45 दिन में जुटे श्रद्धालुओं की संख्या विश्व के 231 देशों की आबादी से ज्यादा है। सिर्फ भारत और चीन की आबादी ही प्रयागराज पहुंचे लोगों की संख्या से ज्यादा रही। जहां भारत की अनुमानित आबादी 145 करोड़ है, वहीं चीन की अनुमानित जनसंख्या 141 करोड़ है।

इसके बाद नंबर आता है अमेरिका का, जहां की आबादी 34 करोड़ है। यानी महाकुंभनगर में पहुंचे लोगों के मुकाबले सिर्फ आधी है। यही नहीं, महाकुंभ में अमेरिका की दोगुनी से ज्यादा, पाकिस्तान की ढाई गुना से अधिक और रूस की चार गुनी से ज्यादा आबादी के बराबर श्रद्धालु आ चुके हैं। जापान की पांच गुना आबादी, यूके की 10 गुना से ज्यादा आबादी और फ्रांस की 15 गुना से ज्यादा आबादी ने यहां आकर त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगाई है।
गिनीज बुक में दर्ज होने जा रहे ये रिकॉर्ड
- 14 फरवरी को 300 से ज्यादा स्वच्छता कर्मियों ने नदी सफाई का चलाया अभियान।
- 24 फरवरी को 15 हजार स्वच्छता कर्मियों ने 10 किमी क्षेत्र में एक साथ सफाई का रिकार्ड बनाया।
- 25 फरवरी को गंगा पंडाल में 10 हजार से ज्यादा लोगों ने हैंड प्रिंट देकर बनाया विश्व रिकॉर्ड।
- 27 फरवरी की सुबह सोरांव क्षेत्र में हाईवे पर एक साथ 700 बसों के संचालन का रिकार्ड बनेगा।
मौनी अमावस्या पर थी दुनिया की सबसे अधिक आबादी
तीर्थराज में मौनी अमावस्या पर करीब 7.6 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई, जो कि एक दिन में किसी एक जगह पर लोगों के जुटान का रिकार्ड है। दरअसल, प्रयागराज की आबादी करीब 72 लाख है। यानी मौनी अमावस्या के दिन जिले में की आबादी करीब आठ करोड़ हो गई थी। जर्मनी की आबादी 8 करोड़ से ज्यादा है।
मौनी अमावास्या के दिन उसकी आबादी भी प्रयागराज पहुंची भीड़ से कम रही। इसके अलावा यूरोप के सभी देशों की आबादी मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के लिए जुटी भीड़ से कम थी। जहां ब्रिटेन की आबादी 6 करोड़ 91 लाख है, तो वहीं फ्रांस की जनसंख्या 6.65 करोड़ ही है।
इतना ही नहीं, अमेरिका के 54 देशों में से सिर्फ तीन देशों की आबादी ही मौनी अमावस्या पर प्रयागराज से ज्यादा रही। इनमें अमेरिका, ब्राजील और मैक्सिको शामिल हैं, जबकि कोलंबिया, अर्जेंटीना, कनाडा से लेकर उरुग्वे तक महाकुंभ में प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर लोगों की मौजूदगी से कम रहे।