ट्रंप की पुतिन पर नरमी के पीछे क्या कारण हैं?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच संबंधों ने हमेशा वैश्विक राजनीति में चर्चा का विषय बने रखा है। ट्रंप ने अक्सर पुतिन के प्रति नरम रुख अपनाया, जो कि उनके कई अन्य राजनीतिक और सैन्य फैसलों से बिल्कुल विपरीत है। इन संबंधों में एक दिलचस्प अवधारणा सामने आई है, जिसे “रिवर्स किसिंजर” कहा जा रहा है। ट्रंप ने जिस तरह युद्ध की विभिषिका झेल रहे यूक्रेन को दरकिनार किया और जंग के लिए पूरी तरह से दोषी करार दिया, दर्शाता है कि ट्रंप पुतिन को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहते।

रिवर्स किसिंजर एक राजनीतिक शब्दावली है, जिसका संबंध अमेरिकी राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों से है। यह शब्द विशेष रूप से पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर के नाम से जुड़ा हुआ है। किसिंजर की नीतियों को लेकर बहुत चर्चा हुई है, क्योंकि उन्होंने वैश्विक राजनीति में अमेरिकी शक्ति को बढ़ाने के लिए कई बार अपनी शांति और सुलह की नीतियों को अपनाया, यहां तक कि उन देशों के साथ भी जिन्होंने अमेरिका के प्रतिद्वंद्वी के रूप में काम किया। रिवर्स किसिंजर का मतलब भी कुछ ऐसा ही है, जो किसी नेता द्वारा शांति की पहल करते हुए अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ नरम रुख अपनाने को दर्शाता है, ताकि राजनीति में स्थिरता और प्रभावी शक्ति का निर्माण किया जा सके।

अब, जब बात आती है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की, तो उनकी पुतिन के प्रति नरम नीति को लेकर लगातार चर्चाएं हो रही हैं। ट्रंप का रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक विशेष संबंध रहा है, जिसे रिवर्स किसिंजर की तरह देखा जा रहा है। ट्रंप ने हमेशा पुतिन की नीतियों की सराहना की है और रूस के साथ अमेरिका के रिश्तों को सामान्य बनाने की कोशिश की है। यह रुख अमेरिकी विदेश नीति में एक स्पष्ट मोड़ है, क्योंकि इससे पहले अमेरिकी नेता रूस को एक प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखते थे।

चीन बड़ी वजह

ट्रंप की पुतिन के प्रति नरमी की कई वजहें हो सकती हैं, जिन पर अब चर्चा हो रही है। सबसे पहले, यह राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है। चीन इस वजह में सबसे आगे है। हेनरी किसिंजर ने ट्रंप को पहले कार्यकाल में सलाह दी थी कि अगर चीन को अलग-थलग करना है तो अमेरिका को रूस से नजदीकी बढ़ानी होगी। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में ऐसा किया भी, लेकिन तब डेमोक्रेट ने ट्रंप को रूस की कठपुतली करार दिया था। ट्रंप ने पिछले साल अक्टूबर में एक इंटरव्यू के दौरान कहा भी था कि अगर हमारे लिए कोई चीज मायने रखती है तो चीन और रूस को अलग करना। अगर हम ऐसा नहीं कर पाते हैं तो यह सबसे बड़ी बेवकूफी होगी।

ट्रंप ने अपनी राष्ट्रपति चुनावी रणनीतियों के तहत दुनिया में अमेरिका की नेतृत्व की छवि को नया रूप देने की कोशिश की है और इसके लिए उन्होंने रूस जैसे देशों के साथ सकारात्मक संबंध स्थापित करने का प्रयास किया। ट्रंप का मानना है कि रूस के साथ अच्छे रिश्ते अमेरिका के लिए फायदे में हो सकते हैं, खासकर जब बात आतंकवाद, साइबर हमलों और वैश्विक शक्ति संतुलन की हो।

पुतिन की लगातार तारीफ

ट्रंप ने कई बार पुतिन को एक ‘शक्तिशाली नेता’ के रूप में सराहा है और कहा है कि पुतिन के साथ बातचीत करना अमेरिका के लिए फायदेमंद हो सकता है। इस दृष्टिकोण को रिवर्स किसिंजर के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि किसिंजर ने भी अपने समय में विरोधियों के साथ बातचीत और सहयोग के रास्ते खोले थे, भले ही वे अमेरिका के लिए चुनौतीपूर्ण थे। ट्रंप का यह मानना है कि पुतिन के साथ अच्छे संबंध रखने से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में सुधार हो सकता है और वैश्विक संकटों पर सहयोग बढ़ सकता है।

ट्रंप की नीति कितनी सही?

रिवर्स किसिंजर का एक प्रमुख सिद्धांत यह है कि प्रतिद्वंद्वियों से बात करके और संवाद का रास्ता अपनाकर उन पर नियंत्रण पाया जा सकता है। ट्रंप का मानना है कि अमेरिका और रूस के बीच एक स्वस्थ रिश्ते से न केवल दोनों देशों को फायदा होगा, बल्कि वैश्विक राजनीति में अमेरिकी प्रभाव को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, कई आलोचकों का कहना है कि ट्रंप की यह नरम नीति अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता के लिए खतरा साबित हो सकती है।

रूस पर अमेरिकी दबाव

जहां तक रूस की बात है तो उसने कई बार अमेरिका के खिलाफ अपने साइबर हमले किए हैं और अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है। हालांकि, ट्रंप ने इन घटनाओं पर काफी कम टिप्पणी की थी और पुतिन को अपनी रणनीति के तहत एक सहयोगी माना है।

 

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