शांत मन जरूरी है; हर समस्या, हर संकट से जूझने के लिए,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आज एपल प्रोडक्ट्स दुनियाभर में मशहूर हैं। लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था। 1985 में स्टीव जॉब्स को कोई नहीं जानता था। लेकिन उस वक्त उनकी हिम्मत देखो। पेप्सी के सीईओ जॉन स्कुले को उन्होंने एप्रोच किया और कहा- आप मेरी कम्पनी के सीईओ बन जाओ। यानी कि आप राजगद्दी छोड़कर मेरी छोटी-सी कुटिया सम्भालने के लिए आ जाओ। आश्चर्य की बात ये कि स्कुले राजी हो गए।

अपनी आत्मकथा में उन्होंने टर्निंग पॉइंट का वर्णन किया है। और वो क्या था- बस एक डायलॉग। स्टीव जॉब्स ने अपनी तीखी नजरों से उन्हें घूरते हुए पूछा- क्या आप जिंदगी भर शक्कर-वाला पानी बेचना चाहते हैं, या फिर मेरे साथ जुड़कर कुछ ऐसा करना चाहेंगे जो दुनिया हिला दे? अब ऐसी चुनौती का जवाब तो एक ही हो सकता है।

तो पहुंच गए स्कुले एपल कम्पनी में और मानना पड़ेगा, स्टीव जॉब्स ने जो कहा, उन्होंने करके दिखाया। लेकिन कहानी अब आगे बढ़ती है। आईआईएम अहमदाबाद में पढ़ाई कर रही एक छात्रा ने स्कुले की किताब पढ़ी। और उनके दिमाग में भी स्टीव जॉब्स के वो शक्तिशाली शब्द चिपक गए। जब प्लेसमेंट द्वारा नौकरी लेने का वक्त आया तो लड़की ने कहा- मुझे शक्कर का पानी नहीं बेचना।

यानी कि रेगुलर जॉब से मेरा दिल नहीं भरता। उसका जुनून था लिखने-पढ़ने का, सो पत्रकारिता और साहित्य की दुनिया में वो दाखिल हो गई। शायद आप भांप गए होंगे कि वो लड़की और कोई नहीं, आपकी लेखिका ही है। 1967 की बात है, अखबार में नौकरी करने वाले एक शख्स करोलबाग में घूम रहे थे। टीवी उस वक्त एक अद्भुत चीज थी, सो एक दुकान के सामने भीड़ इकट्‌ठा हो गई थी।

स्कूल के बच्चों का क्विज शो दूरदर्शन पर चल रहा था। एक टीम से पूछा गया कि रामायण में राम की माता का नाम क्या था। बच्चा जवाब नहीं दे पाया। सौ लोगों ने ये प्रोग्राम देखा मगर एक के मन में हलचल हुई। कि भाई यूनान और मिस्र की पौराणिक कथाओं के बारे में सवाल पूछो तो जवाब हाजिर। मगर भारत की संस्कृति का ज्ञान युवा पीढ़ी को है ही नहीं। ये बात ठीक नहीं। और इसी विचारधारा से जन्मा एक यूनीक और लोकप्रिय प्रकाशन- अमर चित्र कथा।

तो बात वही है- अनंत पै को संदेश मिला कि ये देखो समस्या। अब इसका हल निकालो। वो इस विचार से इनकार भी कर सकते थे। मगर एक बार दिमाग में कीड़ा पहुंच जाए तो वो आपको चैन से सोने नहीं देता। और उस कीड़े ने देश का कितना भला किया। अमर चित्र कथा ने देश के बच्चों को अपने इतिहास और कहानियों की मिठास से हमेशा के लिए जोड़ दिया।

यह सब मैं आपके साथ क्यों शेयर कर रही हूं? क्योंकि आपके दिमाग में भी कोई दुविधा होगी। और शायद सृष्टि संदेश भेज रही है। लेकिन आप क्या उसे रिसीव कर रहे हैं? ये संदेश किसी इंसान के माध्यम से आ सकता है, किसी किताब से, किसी वीडियो से। तो आप बस संकल्प बना लें कि मैं सुन रहा हूं।

हां, एक बात है। हर संदेश को सही समझना जरूरी नहीं। जो किसी और को नुकसान पहुंचाए, वो रास्ता कभी ठीक नहीं हो सकता। मंथरा द्वारा कैकेयी मां को भी संदेश मिला था। वो उनकी सलाह रिजेक्ट कर सकती थीं। लेकिन कैकेयी का अहंकार और स्वार्थ जाग गया। और आगे क्या हुआ, वो तो आपको पता ही है।

इसलिए शांत मन जरूरी है। सुबह के समय दस मिनट आंखें बंद करके ध्यान करें। आज क्या खाना बनाना है, कौन-सी बस पकड़नी है- ऐसे विचार आएंगे, चले जाएंगे। शून्यता का अहसास करना थोड़ा मुश्किल लगेगा। अपने आपको कोसना नहीं है। प्यार से, धैर्य से, आत्मा की शांति बढ़ानी है। हर समस्या, हर संकट से जूझने के लिए। संदेश आपको जरूर आएगा, जीवन की राह दिखाएगा। जागते रहो!

कभी सोचती हूं वही किताब लाखों लोगों ने पढ़ी, पढ़कर भूल गए। तो मेरे दिल और दिमाग में ही स्टीव जॉब्स के शब्द क्यों अटक गए? शायद उस वक्त मेरे मन में एक सवाल था जिसका मैं जवाब ढूंढ रही थी। और वो मुझे किताब से मिल गया।

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