गुफा में हजारों साल से रखा है अकूत खजाना,कहाँ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आपने गुफाओं में खजाना के कई किस्से पढ़े-सुने होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसी ही एक गुफा बिहार के नालंदा जिला स्थित राजगीर की पहाड़ी में भी स्थित है? माना जाता है कि इस गुफा में सोना-चांदी की अकूत दौलत छिपी है, लेकिन आज तक कोई भी इंसान यहां तक नहीं पहुंच पाया है।
बिहार के राजगीर में दो मानव निर्मित प्राचीन गुफाएं
बिहार के नालंदा जिला स्थित राजगीर में दो मानव निर्मित प्राचीन गुफाएं हैं। उनमें एक के बाहर मौर्यकालीन कलाकृतियां मिली हैं तो दूसरी के प्रवेश द्वार पर गुप्त राजवंश की भाषा या चिह्नों में शिलालेख मिले हैं। ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि इन गुफाओं का निर्माण इसा पूर्व चौथी सदी में ‘जैन मुनि’ ने किया था। इन गुफाओं के बाहर भगवान विष्णु की प्रतिमा और जैन कलाकृतियां मिलने से इनका संबंध हिंदू व जैन धर्मों से जोड़ा गया है। कुछ इतिहासकारों की मान्यता है कि इनका संबंध बौद्ध धर्म से है।
बिम्बिसार ने गुफा बनाकर छिपाया अपना खजाना
इतिहासकारों की मानें तो हर्यक वंश के संस्थापक व मगध के सम्राट बिम्बिसार को सोने-चांदी से बेहद लगाव था।
वह ईसा पूर्व 543 में 15 साल की उम्र में गद्दी पर बैठा। उसी ने राजगृह का निर्माण कराया, जो बाद में राजगीर के नाम से जाना जाने लगा। कहा जाता है कि बिम्बिसार के पास अकूत सोना था, जिसे रखने के लिए उसने विभारगिरि पर्वत की तलहटी में एक जुड़वां गुफा बनवाया। इस गुफा में रखे खजाने व गुफा के गुप्त दरवाजे तक पहुंचने का राज केवल बिम्बिसार ही जानता था। काल क्रम में बिम्बिसार के बेटे अजातशत्रु ने सत्ता के लिए पिता को कैद कर खुद मगध का सम्राट बन गया। अजातशत्रु ने या तो बिम्बिसार की हत्या कर दी या उसने सुसाइड कर लिया। उसकी मौत के बाद खजाने का रहस्य आज तक कोई नहीं सुलझा सका है।
पुराण के अनुसार यहां छिपा जरासंघ का खजाना
गुफा के खजाने से जुड़ी एक कहानी महाभारत काल से जुड़ी है। वायु पुराण के अनुसार हर्यक वंश के शासन से करीब ढाई हजार साल पहले मगध पर शिव भक्त जरासंध के पिता बृहदरथ का शासन था। बृहदरथ के बाद जरासंध सम्राट बना। चक्रवर्ती सम्राट बनने का लक्ष्य लेकर वह 100 राज्यों को पराजित करने निकल पड़ा। जरासंध ने 80 से अधिक राजाओं को पराजित भी कर उनकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया। इस संपत्ति को उसने विभारगिरि पर्वत की तलहटी में गुफा बनाकर छिपा दिया। वायु पुराण के अनुसार जरासंध सौ राजाओं को पराजित करने के लक्ष्य पर पहुंचे, इसके पहले पांडवों ने उसे युद्ध के लिए आमंत्रित किया। जरासंघ का भीम से 13 दिनों तक युद्ध चला। भगवान श्रीकृष्ण की बताई तरकीब से भीम ने जरासंध का वध कर दिया। उसकी मौत के साथ गुफा में रखे उसके खजाने का राज भी दफन हो गया।
खजाना रख ढ़का गुफा का मुंह हजारों साल से बंद
राजगीर गुफा में एक जैसे दो बड़े कमरे बनाए गए थे, जिनमें एक में खजाना रखा गया तो दूसरे में उसकी रक्षा करने वाले सैनिक रखे गए। गुफा में खजाना को रख कर उसके मुंह को एक बड़े से चट्टान से ढका गया है, जिसे आज तक कोई नहीं खोल सका है।
नाकाम रहीं खजाने तक पहुंचने की सारी कोशिशें
कहा जाता है कि खजाने तक पहुंचने का एक रास्ता है, लेकिन वहां कोई नहीं पहुंच सका है। अंग्रेजी हुकूमत के दौर में अंग्रेजों ने तोप के गोले से विस्फोट कर गुफा के भीतर जाने की कोशिश की, लेकिन नाकामयाब रहे। समय-समय पर और भी कई कोशिशें हुईं, लेकिन गुफा की सच्चाई आज तक रहस्य ही रही है। गुफा की दीवार पर कुछ गुप्त शिलालेख भी हैं, जिन्हें अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। स्थानीय लोग मानते हैं कि जो भी इन शिलालेखों को पढ़ लेगा, वह खजाने का रास्ता ढूंढ लेगा।
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