पुस्तकों की दुनिया में भटकता एक विधायक
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
आज यह एक यूटोपिया ही लगेगा कि कोई विधायक किताबों के लिए भटकता हो । ऐसे एक युवा विधायक बिहार में हैं अजित कुमार सिंह जो भाकपा (माले) के टिकट पर डुमरांव विधानसभा से पहली बार जीते हैं । वे इतिहास में पी. एच- डी. किये हैं । पटना में गाँधी मैदान और अशोक राजपथ के किताबों की दुकान पर वे अक्सर दिख जाते हैं । किताबों की दुकान पर वे विधायकी का ताम झाम छोड़कर जाते हैं । एक सामान्य पाठक की तरह , कोई अनजान व्यक्ति पहचान नहीं पाता है ।
उनके दोस्त कहते हैं कि किताबें उन्हें प्रेमिका की तरह प्रिय हैं । वे किताबें खरीदते हैं ,कई लेखक उन्हें अपनी किताबें भेंट भी करते हैं । अपने व्यस्त समय में वे उन्हें पढ़ते हैं और उनपर अपनी बेबाक राय रखते हैं । संसदीय जीवन और पार्टी की व्यस्तता , नयी – नयी शादी की जिम्मेवारी के बीच पुस्तकों के लिए समय निकालना कठिन काम है पर इसे वे करते हैं ।
उनके एक सहपाठी बताते हैं कि किताबें माँग कर वापस नहीं करना उनके लिए सामान्य बात है। इसलिए हमलोग उससे नयी किताबें छिपा कर रखते थे । हालाँकि अजित इससे इंकार करते हैं । उल्टे उनका कहना है कि मेरी कई किताबें मित्रों ने रख ली है ।
कार्ल मार्क्स , लेनिन , राहुल सांकृत्यायन तथा अन्य मार्क्सवादी लेखकों को वे छात्र जीवन में पढ़ चुके हैं । इधर आचार्य नरेंद्र देव और मधुलिमये को पढ़ रहें हैं ।
वे बताते हैं कि आमेजन और फ्लिपकार्ट पर वही किताब खरीदना अच्छा होता है जिसके गुणवत्ता के बारे में हम पहले से संतुष्ट हो । नए लेखकों , नए प्रकाशकों या नए विषयों पर किताबें खरीदने के लिए उलट – पलट कर देखना ठीक रहता है । इसके लिए किताबों की दुकान पर या लेखक के पास जाना पड़ेगा । पटना गाँधी मैदान और अशोक राजपथ में पुरानी किताबें खरीदने का आनंद ही कुछ और है । इन किताबों को खरीदने में बड़ा मोलभाव करना पड़ता है । ऐसा करने में छात्र जीवन में मजा आता था ।
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