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साहित्य के एक कालखंड को नामवर युग के नाम से जाना जायेगा - श्रीनारद मीडिया
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साहित्य के एक कालखंड को नामवर युग के नाम से जाना जायेगा

साहित्य के एक कालखंड को नामवर युग के नाम से जाना जायेगा

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हिंदी साहित्य के सर्वोच्च शिखर युग पुरुष प्रोफेसर नामवर सिंह के अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में आई. टी. ओ. दिल्ली के हिंदी भवन में ‘’ एक शाम नामवर के नाम’’ कार्यक्रम का आयोजन नारायणी साहित्य अकादमी द्वारा किया गया। इस अकादमी की स्थापना इन्होंने ही की थी और संस्थापक एवं संरक्षक प्रोफेसर नामवर सिंह ही जीवन भर रहे हैं। वर्तमान संरक्षक डा. कुसुम जोशी के सानिध्य में एक शाम नामवर के नाम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के आरम्भ में नारायणी साहित्य अकादमी के महासचिव, सुप्रसिद्ध साहित्यकार मनोज भावुक ने कहा कि ” आलोचक, लेखक और विद्वान डॉ नामवर सिंह हिंदी आलोचना के शलाका पुरुष थे। वह राग-द्वेष व पूर्वाग्रह से परे जाकर लेखक के दिल जैसा दिल रखकर किसी भी रचना के मूल्यांकन के पक्षधर थे। उन्होंने हिंदी साहित्य को इतना कुछ दिया है कि साहित्य के एक कालखंड को नामवर युग के नाम से जाना जायेगा। मेरा सौभाग्य है कि अपना भौतिक शरीर त्यागने से पहले उन्होंने मुझसे बहुत लंबी बातचीत की और मै उन पर डॉक्यूमेंट्री बना सका। ”

 

प्रोफेसर नामवर सिंह के चित्र पर अतिथियों द्वारा माल्यार्पण और पुष्प अर्पण के बाद संस्था द्वारा प्रथम सत्र के अतिथियों प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह, जे.एन. यू., प्रोफेसर दुर्गा प्रसाद गुप्ता जामिया, प्रोफेसर रवि शर्मा, श्रीराम कालेज डी. यू., श्रीमती सविता चढ़ा वरिष्ठ साहित्यकार आदि का सम्मान प्रतीक चिह्न, शाल, मेडल के साथ पुष्पहार पहनाकर किया गया।

सभी साहित्यकारों ने अपने व्याख्यान में नामवर के व्यक्तित्व को सराहनीय और सकारात्मक बताया। कहा कि हिंदी भाषा और साहित्य में आलोचना के शिखर पुरुष नामवर एक ऐसे समालोचना के सजग प्रहरी रहे हैं जिसकी कोई मिसाल नहीं दी जा सकती हैं। अपनी बात को बिना लाग लपेट के तटस्थ होकर कह देना नामवर सिंह का सगल रहा है।

संस्था की अध्यक्ष डॉ पुष्पा सिंह विसेन ने कहा कि नामवर सिंह की एक और खासियत रही है कि वो कभी भी पारिवारिक या सामाजिक एवं साहित्यिक परिस्थितियों किसी भी प्रकार की समस्याएं रहीं हों कभी समझौतावादी बनकर झुके नहीं। यह गुण उनके व्यक्तित्व को सबसे अलग और श्रेष्ठ बनाता है। वामपंथी कहे जाने वाले नामवर ने अपनी जमीन जायजद सब कुछ गाँव वाले लोगों के लिए छोड़ दिया, मंदिर, अस्पताल, तालाब एवं स्कूल आदि उनके द्वारा दी गयी जमीन पर बना है यह अपने गाँव के विकास के लिए उनकी सोच थी। नामवर होना सहज नहीं है।


आयोजन के दूसरे सत्र में काव्य पाठ का दौर आरंभ हुआ। मंचासीन अतिथि सुधाकर जी, संस्थापक एवं अध्यक्ष (हिंदुस्तानी भाषा अकादमी) डा. प्रदीप गुप्त, वरिष्ठ साहित्यकार, कवि, ओम प्रकाश प्रजापति पत्रकार (ट्रू मिडिया) प्रोफेसर रवि शर्मा वरिष्ठ साहित्यकार कवि, ममता सिंह( सोसल एवं मोटिवेशनल ट्रस्ट) की अध्यक्ष एवं प्रमोद मिश्र निर्मल वरिष्ठ गीतकार, कवि आदि रहे।

सभी कवियों और कवयित्रियों ने अपने गीत, गजलों से बहुत ही मनमोहक शमां बांधकर आयोजन को ऊंचाई देते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कवयित्रियों में प्रतिष्ठित गजलकारा वसुधा कनुप्रिया, शायरा कीर्ति रतन, कवयित्री कल्पना पांडे, वरिष्ठ गीतकारा मिलन सिंह, शारदा मादरा, श्रेष्ठ कवयित्री शैलजा सिंह, निधि मानवी, मालती मिश्रा, पारो चौधरी, वरिष्ठ कवयित्री सरोज त्यागी, वरिष्ठ गीतकार रजनीश गोयल, सुषमा शैली, श्रेष्ठ गज़लकारा नमिता राकेश, डा. पुष्पा जोशी, अभिलाषा विनय, विभा राज वैभवी, अंजू निगम, आदि रहीं|

कवियों में, वरिष्ठ साहित्यकार, गीतकार प्रमोद मिश्र निर्मल एवं हास्य कवि और गीतकार विजय प्रशांत, वरिष्ठ कवि प्रदीप मिश्र अजनबी,वरिष्ठ साहित्यकार डा. हरि सिंह पाल, वरिष्ठ कवि मनोज कामदेव, विनय सिंह विक्रम, संजय गिरि, श्रेष्ठ गज़लकार राम अवतार बैरवा, साहित्यकार डा.वेद मित्र शुक्ल, वरिष्ठ साहित्यकार कवि डा. राजेश मांझी, नीरज त्यागी,शायर सरफराज अहमद, गीतकार आरिफ़ खान, शायर असलम बेताब, राम श्याम हसीन, कवि एवं गीतकार शम्भू सरकार, जितेंद्र पाण्डेय, राजीव उपाध्याय, दिनेश आनंद, अनुभव शर्मा, अंकित विशाल, आशीष श्रीवास्तव, अनूप पाण्डेय, हिमांशु वत्रा, अनुराग राय आदि रहे। अन्य विशिष्ट अतिथि भोजपुरी कवि जे. पी. द्विवेदी, डा. भारती सिंह, पत्रकार सुशील श्रीवास्तव, श्री. बलराम सिंह (उप पुलिस अधीक्षक तिहाड़ जेल) आदि ने भी अपनी उपस्थिति से आयोजन की गरिमा को बढ़ाया।

अकादमी के महासचिव वरिष्ठ गजलकार एवं पत्रकार मनोज भावुक ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया और धन्यवाद ज्ञापन किया अकादमी के कार्यकारी सचिव प्रदीप सुमनाक्षर ने। इस प्रकार एक शाम नामवर के नाम का आयोजन सभी के लिए यादगार लम्हों की तरह से सम्पन्न हुआ।

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