मातृभाषा दिवस पर भारतीय भाषा केंद्र जेएनयू में होगा सेमिनार का आयोजन।
जेएनयू के मुख्य सम्मेलन केंद्र में 21, 22 फरवरी 2024 को होगा कार्यक्रम।
शोधार्थी राजेश पाण्डेय करेंगे अपने शोध पत्र का वाचन।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी 2024 को प्रतिष्ठित भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अध्ययन संस्था, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद दिल्ली (आईसीएसएसआर) और मैथिली-भोजपुरी अकादमी दिल्ली सरकार की ओर से अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन होगा। संगोष्ठी का मुख्य विषय मातृभाषाओं में अभिव्यक्त साहित्य, संस्कृति में शोध के विविध आयाम है। इस संगोष्ठी में आचार्य, सहायक आचार्य एवं शोधार्थी अपना शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे।
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतीहारी, बिहार में हिंदी विभाग के शोधार्थी राजेश पाण्डेय के शोध पत्र का चयन बहु प्रतिष्ठित भारतीय भाषा केंद्र जेएनयू में हुआ है। जिस पर विभाग के आचार्य, सहायक आचार्य, शोधार्थी व मित्रों ने प्रसन्नता व्यक्त की है।आयोजकों द्वारा बताया गया है कि संगोष्ठी के स्तरीय शोध पत्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्रिका का रूप दिया जाएगा।
संगोष्ठी का उद्घाटन जेएनयू की कुलपति प्रो. शांति धुली पूड़ी पंडित करेंगी तथा मुख्य अतिथि केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के प्रो. टी वी कट्टीमनी होंगे। प्रो. सुधीर प्रताप सिंह, अध्यक्ष भारतीय भाषा केंद्र द्वारा अध्यक्षीय वक्तव्य दिया जायेगा, वहीं समापन समारोह के मुख्य अतिथि दिल्ली सरकार के मैथिली भोजपुरी अकादमी के सचिव अरुण झा होंगे, जबकि समारोह में स्वागत वक्तव्य कार्यक्रम के संयोजक डॉ. राजेश पासवान, एसोसिएट प्रोफेसर प्रस्तुत करेंगे।
दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में कुल आठ तकनीकी सत्र होंगे, जिसमें 18 वरिष्ठ वक्ता एवं 140 शोधार्थियों द्वारा अपने शोध पत्र का वाचन किया जाएगा। इस अवसर पर सांध्य बेला में बहुभाषी कवि सम्मेलन का भी आयोजन सुनिश्चित किया गया है।
ज्ञात हो की यूनेस्को ने वर्ष 1999 में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में घोषित किया और वर्ष 2000 से संपूर्ण विश्व में यह दिवस मनाया जा रहा है। भाषायी विरासत के संरक्षण हेतु मातृभाषा आधारित शिक्षा के महत्त्व पर ज़ोर दिया है तथा सांस्कृतिक विविधता की रक्षा के लिये स्वदेशी भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय दशक शुरू किया गया है।
यह दिवस बांग्लादेशद्वारा अपनी मातृभाषा बांग्ला की रक्षा के लिये किये गए लंबे संघर्ष को रेखांकित करता है। कनाडा में रहने वाले एक बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का सुझाव दिया था।
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