शिक्षक कार्य से निवृत्त हो सकता है ,परंतु शिक्षा कार्य से कभी निवृत्ति नहीं ले सकता
शिक्षिका श्रीमती रंजना की सेवानिवृत्ति पर दी गयी विदाई
श्रीनारद मीडिया, राकेश कुमार सिंह, सीवान (बिहार):
शिक्षक आजीवन ज्ञान की धारा से जुड़ा रहता है।वह कार्य से निवृत्त हो सकता है ,परंतु शिक्षा कार्य से कभी निवृत्ति नहीं ले सकता। उक्त बातें शिक्षक विदाई सह सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए ने बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ पचरुखी के अंचल सचिव जयप्रकाश सिंह ने कही।
मध्य विद्यालय सहलौर की शिक्षिका श्रीमती रंजना की सेवानिवृत्ति पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इन्होंने आगे कहा कि बच्चे जहाँ राष्ट्र की धरोहर हैं, वहीं शिक्षक राष्ट्र के प्रहरी हैं।
शिक्षक आनंददेव साह ने कहा कि सेवाकाल में रहते हुए शिक्षक समाज का दर्पण होता है।भविष्य की नई राह दिखाने वालों को शिक्षक कहते हैं।
वहीं कमलेश कुमार सिंह ने सेवानिवृत होने वाली शिक्षिका के क्रियाकलापों की प्रशंसा करते हुए ने कहा कि मैडम की विनम्रता, कर्त्तव्यनिष्ठा और मिलनसार व्यक्तित्व की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है।हम सभी शिक्षकों एवं छात्रों को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
वहीं राकेश कुमार सिंह ने कहा कि एक शिक्षक कभी सेवानिवृत्त नहीं होते हैं। सेवाकाल में रहते हुए वह बच्चों को शिक्षा देते हैं। वहीं सेवानिवृत्ति बाद अपने अनुभवों के आधार पर समाज को नई दिशा देने का काम करते हैं।
वहीं मुर्तजा अंसारी ने कहा कि माता-पिता बच्चों को जन्म देते हैं।उनका स्थान कोई नहीं ले सकता,लेकिन एक शिक्षक ही है जिसे भारतीय संस्कृति में माता-पिता के बराबर दर्जा दिया है।क्योंकि एक शिक्षक ही हमें समाज में रहने योग्य बनाता है।इसलिए शिक्षक समाज का शिल्पकार कहा जाता है।
शिक्षिका गुड़िया कुमारी ने कहा कि शिक्षक की सेवा अद्वितीय होती है।कारखानों और अन्य संस्थाओं में काम करने वाले अधिकांश लोगों का संबंध निर्जीव तत्वों से होता है,लेकिन एक शिक्षक का संबंध बच्चों से होता है,जिसका मन सदैव उछलकूद करता रहता है।बच्चों के मन को काबू कर उनको शिक्षित करने का कार्य एक शिक्षक ही कर सकता है।
कार्यक्रम में सेवानिवृत्त शिक्षिका श्रीमती रंजना को विद्यालय परिवार की ओर से अंगवस्त्र, शाॅल,रामचरित मानस आदि से सम्मानित किया गया।शिक्षिका रंजना विद्यालय परिवार के इस सम्मान से भाव विह्वल हो उठीं और रूंधे गले से कहा कि आप सभी का मेरे प्रति सहयोग और समर्पण को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है।
वहीं अजय कुमार शर्मा ने कहा कि समाज में काम भले ही अनेक तरह के हों लेकिन शिक्षक की जिम्मेवारी सर्वाधिक रहती आयी है और है।एक शिक्षक को वर्तमान देखकर नहीं, बल्कि भविष्य देखकर भी कार्य करना होता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य नागेन्द्र मांझी एवं मंच का कृष्ण भगवान पांडेय संचालन ने किया।
मौके पर,संगीता कुमारी, सीमा कुमारी, स्मिता कुमारी, अनुप कुमारी, तबस्सुम परवीन,शंभू प्रसाद, साकेत सिंह,मुन्नी कुमारी, कुमारी आरती,सुधीर श्रीवास्तव, प्रशांत चंद्र,धर्मनाथ सिंह, अंजली कुमारी सहित सभी शिक्षक एवं छात्र मौजूद थे।
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