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एक बेहद संवेदनशील अफसर, विनम्रता ही जिनकी पहचान है

एक बेहद संवेदनशील अफसर, विनम्रता ही जिनकी पहचान है

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सीवान के जिला अवर निबंधन पदाधिकारी श्री तारकेश्वर पांडेय जी को जन्मदिन की अशेष हार्दिक शुभकामनाएं

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान के एक वरिष्ठ पीसीएस अफसर के दफ्तर में एक युवा आता है। उसकी आकांक्षा होती है कि बीपीएससी में सफल उस अफसर से कुछ बीपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए टिप्स पा सके। उस युवा को वरिष्ठ अफसर द्वारा ससम्मान अपने पास बैठाया जाता है फिर कार्यालय संबंधी दायित्यों को निभाकर, वे अफसर उस युवा को परीक्षा की तैयारी के बारे में विस्तार से बताते हैं। उस युवा को चाय पिलाते हैं।

वह युवा जब उस अफसर के कार्यालय से बाहर निकलता है तो ऊर्जस्वित, उत्साहित और प्रेरित दिखता है। जी हां कुछ ऐसे भी बेहद संवेदनशील अफसर अपने जिले में मौजूद हैं। मैं जिस अफसर की बात कर रहा हूं वे हैं जिला अवर निबंधन पदाधिकारी श्री तारकेश्वर पांडेय। वे एक बेहद संवेदनशील अफसर हैं जिनकी विनम्रता विशेष पहचान है। आज उनके जन्मदिन पर उनको अंतरिक्षभर बधाई।

अफसरशाही वाली मानसिकता से कोसों दूर

मैं उनके बारे में जानता था। फिर डिजिटल परिचय सोशल मीडिया के माध्यम से हुआ। लेकिन उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने में मुझे एक साल का समय लगा। कारण यह था कि मुझे लग रहा था कि वो अफसरशाही वाली मानसिकता से लैस होंगे। लेकिन जब मिला तो फिर मुलाकातों का सिलसिला चल पड़ा। उनका संवेदनशील व्यवहार, विनम्र अंदाज, सरल सहज कलेवर मुझे प्रभावित कर गया।

उनके दफ्तर में अनुशासन का अंदाज ही निराला दिखता है

सीवान का निबंधन कार्यालय अपने साहब की कर्तव्यनिष्ठता की गवाही देता दिखता है। कार्यालय परिसर की साफ सफाई, उपलब्ध तकनीकी सुविधाएं, आम जनता की सुविधा के लिए बनाई गई व्यवस्थाएं तथा कार्यालय का अनुशासन, उसे सरकारी कार्यालयों के जाने पहचाने अंदाज से बेहद जुदा करता दिखता है। चाहे वो सहकर्मी हो या कातिब या आनेवाली आम जनता शायद ही कोई मिल जाए जो डी एस आर साहब की कोई शिकायत सुना पाए। यह उनकी सुव्यवस्थित और सुनियोजित कार्य शैली का परिचायक तथ्य ही है।

सद्प्रेरणा के प्रतीक पुरुष

उनकी विनम्रता और सरलता भी कमाल की है। जिससे उनके सान्निध्य में आनेवाला हर व्यक्ति उनका मुरीद बन जाता है। जिले के अन्य पदाधिकारी गण भी उनकी तारीफ करते ही मिल जाते हैं। शहर में समय समय पर आयोजित होनेवाले प्रतिभा सम्मान समरोहों में उनकी उपस्थिति छात्रों के लिए किसी सौगात से कम नहीं होती क्योंकि वे प्रेरणा के प्रतीक पुरुष माने जाते हैं और प्रेरणा की प्रबल बयार बहाने के सिद्धहस्त भी।

आज श्री तारकेश्वर पांडेय जी के जन्मदिन पर परम् पिता परमेश्वर से यहीं कामना है कि श्री हरि उनकी संवेदनशीलता, विनम्रता, सहजता, सरलता को अपने मंगलाशीष से सदैव अभिसिंचित करते रहें।

एक बार फिर जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ।

जिला अवर निबंधक पदाधिकारी लायन तारकेश्वर पांडेय सर एक ऐसी शख्सियत, एक ऐसे पदाधिकारी है जो उनसे मिला उनका कायल हो गया सर का आज अवतरण दिवस है व्यक्ति की पहचान उसके कार्य करने की प्रणाली से पता चल जाता है.

आज निबंधन कार्यालय सिवान को देख कर मन गदगद हो जाता है आज से 10 वर्ष पहले वाला निबंधन कार्यालय याद आ जाता है उस समय व्यवस्था की काफी कमी थी तारकेश्वर सर जब से सिवान जिला अवर निबंधन पदाधिकारी के तौर पर पदस्थापित हुए हैं उन्होंने निबंधन कार्यालय का जो सौंदर्यीकरण करवाया वह अतुलनीय है, सीवान जिला के नागरिक आप पर गर्व करते हैं और अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं कि आपके जैसा पदाधिकारी सीवान को मिला।

वहां की व्यवस्था देख कर उस व्यक्ति का व्यक्तित्व दिख जाता है सर इतने विनम्र स्वभाव के हैं इतने डाउन टू अर्थ हैं कि जो मिला उनका दीवाना हो गया हमारे पास आपके प्रशंसा के लिए जो भी शब्द है वह आपके व्यक्तित्व के आगे छोटा है आपका व्यक्तित्व हिमालय की तरह विशाल है आप सु मधुर भाषी, अत्यंत विनम्र, चंद्रमा के समान शीतल, सूर्य के समान तेज हैं आपके जन्म दिवस पर आपको आकाश भर शुभकामनाएं देता हूं एवं बहुत-बहुत बधाई।
आपका
डॉ आशुतोष दिनेन्द्र

सादगी व शालीनता के स्वरूप सिवान के जिला अवर निबंधन पदाधिकारी श्री तारकेश्वर पांडेय जी को जन्मदिन की कोटिशय बधाई ।

अपरिमेय मूल्य के दुर्लभ रत्न का दर्शन ।

गणतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद के जन्मस्थली पर एक कार्यक्रम के दौरान अल्प परिचय हुआ । फिर प्राचीन कुसीनारा का एक अध्ययन पुस्तक सप्रेम भेंट ने परिचय को जीवंत बना दिया । सारण के लाल जो अपरिमेय मूल्य के दुर्लभ रत्न है उनका दर्शन करने व स्वागत करने का परम सौभाग्य अनेकों बार प्राप्त हुआ ।

जो मुझे काफी आनन्दित करता रहता है ।उनके साथ सिवान के प्राचीन ऐतिहासिक तथ्यों पर चर्चा करते वक्त एक अपार खुशी की अनुभूति होती रहती है ,मन में असीम उमंग आ उमड़ा, कारण एक शांत, सरल, सुंदर सुकान्त,सहज,सत्यवादी,सम्भ्रांत, शील ,सौम्यता,सात्विकता शुचिता का संगम , सोढ,सौरभ्य युक्त, सूरि , सच्चरित्रता ,समर्पण भाव,विनम्र ,मधुर भाषी, अहंकार रहित, हँसमुख ,अकृत्रिम आचरण के धनी , पुस्तक प्रेमी, दुर्लभ किताबों का कुबेर ,परिमार्जित शब्द ज्ञाता, इतिहास ,राजनीति,धर्म व सामाजिक परिवेश का गहरा अध्ययन व शोधकर्ता , साथ ही अपनी मिट्टी से सच्चा प्रेम रखने वाला एक विलक्षण अधिकारी से चर्चा होती रहती है ।

मधुर भाषा का परिमार्जित शब्द उच्चारित करते है कि सुनने से मन अघाता नहीं है वही जब अपनों में होते है तो बिल्कुल देशरत्न डॉ राजेन्द्र बाबू की तरह अपनी मिठास भोजपुरी भाषा में अपने स्वजनों से बात करते है ।हितनातमीत का समझ रखने वाले,आत्मीयता के पुरोधा ,महानता के बीज प्रस्फुटितकर्ता व सिवान के पुरातन इतिहास में रुचि रखने वाले महान जिज्ञासु से इस पल को यादगार बनाने में एक अद्भुत आनन्द की अनुभूति होती रहती है ।

सीवान तीतिर स्तूप विकास मिशन ट्रस्ट के निर्माण में आपका पुरजोर सहयोग रहा जिसके लिए हम सब आपके आभारी है तथा करुणा के देव भगवान बुद्ध से आपके सदैव मंगल की कामना करते है ।
मंगल हो ।मंगल हो ।मंगल हो ।

पौधे का उपहार…..…स्नेह का सार भी, प्रकृति का श्रृंगार भी!

उपहार की सार्थकता यहीं होती है कि वह पाने वाले के चेहरे पर थोड़ी मुस्कान को ला सके। बस यही मुस्कान उपहार देनेवाले के दिल को बाग बाग कर जाती है। उपहार का चयन बेहद जटिल कार्य होता है। क्योंकि उपहार के चयन के समय, जिसको उपहार दिया जाना है उसका व्यक्तित्व बार बार सामने आ जाता है।फिर बड़ी मुश्किल हो जाती है। सामान्य परिचय हो तो बात अलग होती है। लेकिन उपहार प्राप्त करनेवाला व्यक्ति विशेष स्नेही हो तो मुश्किल और भी बड़ी हो जाती है।

शुक्रवार को सीवान के जिला अवर निबंधक और मेरे विशेष स्नेही श्री तारकेश्वर पांडेय जी का जन्मदिन था। सुबह में उनके आवास पर जाने की योजना बनी। उपहार के प्रश्न ने एक जटिल चुनौती उत्पन्न कर दी। क्योंकि पांडेय जी के व्यक्तित्व के सामने हर उपहार छोटा लग रहा था। ऐसे में स्मरण आया एक बेहद छोटा सा उपहार, जो मुझे बेहतर लगा था इस संदर्भ में की, जिसके देने से समाज में एक बड़ा संदेश जाएगा।

वह उपहार था अमरूद का उत्तम गुणवत्ता वाला एक पौधा। वह अमरूद का पौधा धीरे धीरे बड़ा होगा। निरंतर ऑक्सीजन की आपूर्ति करता रहेगा। जब बड़ा होगा तो बड़े बड़े इलाहाबादी अमरूद उस पर होंगे, जो स्वाद तो देंगे ही, सेहत भी देंगे, हमारी याद भी दिलाएंगे। उससे भी बड़ी बात यह कि जरा सोचिए! उपहार में पौधे देने की परंपरा यदि समाज में गति पकड़ ले तो हमारी प्रकृति और पर्यावरण कितना संवर जायेगा? कितनी हरियाली छा जाएगी?

शायद इसी तथ्य को समझकर पांडेय जी के चेहरे पर मुस्कान भी आ गई और उपहार की सार्थकता मुझे हर्षित और आनंदित भी कर गई।

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