शहाबुद्दीन के बेटे ओबामा से मिलने मुंबई से सीवान पहुंचे अबू आजमी.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पूर्व सांसद और राजद के दिवंगत नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के निधन के दो माह बीत चुके हैं. इसी बीच उनके बेटे ओसामा सहाब के राजनीतिक में एंट्री की अटकलें लगाई जा रही है. ओसामा से मिलने बीजेपी, जदयू और राजद के नेता पहले ही सीवान जा चुके हैं. वहीं आज सपा के महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष अबू आजमी भी सीवान पहुंचे.
जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र के विधायक अबू आजमी आज सीधे मुंबई से सीवान पहुंचे. यहां पर उन्होंने बंद कमरे में लगभग एक घंटे तक बातचीत की. बातचीत के बाद अबू आजमी ने कहा कि शहाबुद्दीन मेरे भाई समान थे. ओसामा से हमारा परिवारिक रिश्ता रहा है, इसे राजनीतिक से जोड़कर न देखा जाए.
राजद पर कही ये बात- अबू आजमी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि शहाबुद्दीन हमेशा राजद के साथ रहे हैं. ओसामा के इस दुःख की घड़ी में राजद को भी इनके साथ खड़ा रहना चाहिए. आजमी ने आगे कहा कि मेरे इस मुलाकात को राजनीतिक एंगल से न देखा जाए. बताया जा रहा है कि सपा यूपी में ‘एमवाय’ समीकरण को मजबूत करने में जुटी है. इसी कारण सपा के नेता मुस्लिम नेताओं से नजदीकी बढ़ाने में जुटी है.
ये नेता भी जा चुके हैं सीवान- पूर्व सांसद और बाहुबली नेता शहाबुद्दीन के निधन के बाद राजद के विधायक तेज प्रताप यादव, एआईएमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष और निलंबित बीजेपी विधानपरिषद टुन्ना पांडेय सीवान पर ओसामा के घर जा चुके हैं. बता दें कि शहाबुद्दीन का निधन दिल्ली में इलाज के दौरान हो गया था. वे उम्रकैद की सजा काट रहे थे.
बिहार की सियासत इस कोरोना काल में भी करवट लेती जा रही है। सियासी महारथी इस महामारी में भी अपनी राजनीति के लिए जगह ढूंढ रहे हैं। बात सीवान की। सीवान के BJP MLC टुन्नाजी पांडे इन दिनों सुर्खियों में हैं। वजह है उनका RJD प्रेम, तेजस्वी प्रेम, लालू प्रेम और शहाबुद्दीन प्रेम। जब टुन्नाजी पांडे ने यह प्रेम जगजाहिर कर दिया तो BJP पर यह दबाव बनने लगा कि आखिर टुन्ना पांडे बीजेपी में क्यों हैं? हालांकि अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है कि टुन्ना जी पांडे को बीजेपी से निकाला गया है।
इससे पहले टुन्ना पांडे शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा से उनके निवास स्थान पर मिल चुके हैं। इस मीटिंग पर सवाल उठने लगे हैं। आखिर टुन्नाजी पांडे ओसामा से मिलने क्यों गए? इससे पहले वह लालू यादव या फिर तेजस्वी यादव से भी मिल सकते थे। लेकिन उन्होंने जो रास्ता अख्तियार किया है। वह एक बार फिर से सदन में पहुंचने का सबसे आसान रास्ता है।
इसलिए बागी बन गए हैं टुन्ना पांडेय
टुन्ना जी पांडे सीवान के स्थानीय निकाय से चुनकर MLC बनते हैं। पिछली बार BJP के टिकट पर इन्होंने यह चुनाव लड़ा और MLC बने। मोदी लहर उस समय सबके सिर पर चढ़कर बोल रही थी। टुन्ना जी पांडे आसानी से चुन लिए गए। इस बार उनको ऐसा लगता है पिछली बार जैसी लहर उनके साथ नहीं होगी, तो उन्होंने अपना रास्ता बदल दिया। अब सीवान में रहकर दूसरा रास्ता शहाबुद्दीन के घर से होकर ही जाता है। जब टुन्ना जी पांडे ने अपना रास्ता बदला तो शहाबुद्दीन की शरण में आए। हालांकि शहाबुद्दीन का निधन हो गया है। लेकिन, उनका प्रभाव आसपास के इलाकों पर काफी हद तक है और स्थानीय निकाय के लिए यह काफी है।
सीवान में था लेफ्ट का दबदबा
अब सीवान की सियासत को समझ लीजिए। सीवान में शहाबुद्दीन से पहले लेफ्ट का दबदबा था। शहाबुद्दीन वाम दल के खिलाफ मजबूती से उतरे। वाम दल का सफाया हुआ और शहाबुद्दीन काबिज हो गए। इसके बाद BJP ने धीरे-धीरे सीवान में एंट्री मारी। लड़ाई दो तरफा हो गई। एक धारा शहाबुद्दीन की तरफ तो दूसरी धारा BJP की तरफ। BJP ने शहाबुद्दीन के विरोध का खूब फायदा उठाया और सेंधमारी कर दी। इसका फायदा यह हुआ कि कुछ जगहों पर विधानसभा में BJP चुनाव जीती और 2014 में लोकसभा भी।
ओसामा को मजबूत टीम की जरूरत
टुन्नाजी पांडे के सामने BJP छोड़ने के बाद एक ही ऑप्शन था कि वह शहाबुद्दीन की शरण में चले जाएं और उन्होंने वैसा ही किया। शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा से मिलने के बाद टुन्नाजी ने कोई बयान तो नहीं दिया, लेकिन ये मीटिंग सीवान की सियासत में भूचाल जरूर लाएगी। क्योंकि शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को आगे की राजनीति तय करने के लिए सीवान के आसपास उन्हें मजबूत लोगों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में ओसामा भी चाहेंगे कि ऐसे लोग उनके साथ आएं। अभी सीवान लोकसभा सीट पर शहाबुद्दीन के दुश्मन रहे अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह JDU से सांसद हैं। ओसामा के लिए यह जरूरी है कि वह ऐसे लोगों की एक फौज तैयार करें जो NDA के विरोध में मजबूत हो।
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