संवाद और मॉक ड्रिल से ही रुकेंगे हादसे!

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सावन के प्रथम सोमवार को मेंहदार मंदिर पर हुए हादसे से लेना होगा सबक

भविष्य के भीड़ भरे आयोजनों को लेकर बरतना होगी सतर्कता

त्वरित टिप्पणी
✍️गणेश दत्त पाठक, श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

सावन सोमवार के पहले दिन सिवान के मेंहदार मंदिर परिसर में हुए हादसे ने व्यथित कर दिया। आस्था के उमड़े समंदर को सहेजने की व्यवस्था निश्चित तौर नाकाफी साबित हुई। सवाल प्रशासन पर उठना स्वाभाविक है लेकिन प्रशासन पर जिम्मेवारी यह भी है कि आनेवाले अन्य सावन के सोमवार और निकट भविष्य में नवरात्र के अवसर पर माता के मंदिर में उमड़ने वाली आस्था के सुरक्षा की व्यवस्था चाक चौबंद रखी जाए। परंतु महत्वपूर्ण बात यह भी है कि भीड़ प्रबंधन में संवाद और मॉक ड्रिल विशेष महत्वपूर्ण रहते आए हैं।

पवित्र अवसरों पर धार्मिक स्थलों पर आस्था का उमड़ना एक सामान्य परिपाटी रही है। प्रशासन द्वारा ऐसे स्थलों का मौका मुआयना भी किया जाता है। लेकिन ये प्रयास आवश्यकता के लिहाज से नाकाफी साबित होते हैं। जब हादसे हो जाते हैं तो अनमोल जिंदगियों की जान जाती ही है प्रशासन की भी चहुंओर आलोचना होने लगती है। इससे बेहतर यही रहता है कि ऐसे भीड़ भरे आयोजनों के पूर्व कुछ गंभीर होमवर्क प्रशासन, धार्मिक संगठनों और धार्मिक स्थलों के प्रबंधकों के बीच अवश्य कर लिया जाए।

भीड़ प्रबंधन से संबंधित होमवर्क में सबसे जरूरी बात संवाद के दौर की होती है। प्रशासन के आला अधिकारियों, क्षेत्रीय प्रशासन के नुमाइंदों, धार्मिक स्थल प्रबंधन समिति के सदस्यों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और स्थानीय प्रबुद्धजनों के बीच एक गंभीर विचार विमर्श अवश्य होना चाहिए। हर उत्पन्न हो सकने वाली परिस्थितियों पर मंथन अवश्य होनी चाहिए। यह मंथन कई नए तथ्यों को सामने लायेगा और व्यवस्था को चाक चौबंद बनाने में सहायक साबित होगा। प्रशासनिक अमले द्वारा स्थानीय लोगों के अनुभव को तवज्जो देने से व्यवस्थाओं के सुचारू सृजन में सहायता मिलेगी।

साथ ही प्रशासन द्वारा स्थानीय अमले के द्वारा भीड़ एकत्रित होने के पूर्व ही यदि छोटे स्तर पर ही सही यदि मॉक ड्रिल कर लिया जाए तो व्यवस्थाओं की खामियों को परखा जा सकता है। यह मॉक ड्रिल थाना और प्रखंड प्रशासन के स्तर पर भी किया जा सकता है।

आमजन की जिंदगी अनमोल है। प्रशासन का अहम दायित्व भी आमजन की सुरक्षा ही है। इसलिए भीड़ प्रबंधन के संदर्भ में प्रशासन को सक्रिय और संवेदनशील भूमिका अवश्य निभाना चाहिए। हादसे की जांच चले, लापरवाहियों पर मंथन हो परंतु सजगता और सतर्कता के स्तर पर कोई उदासीनता न बरती जाए। अभी सावन के कई सोमवार आनेवाले हैं…!

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