मौसम विभाग की मानें तो अभी नहीं मिलेगी राहत,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में मानसून के कमजोर होने की वजह से लोगों की परेशानियां काफी बढ़ गई हैं। ऐसे में खबर है कि अभी अच्छी बारिश के लिए लोगों को और ज्यादा इंतजार करना होगा। मौसम विभाग की मानें तो बिहार में अब 18 जुलाई के बाद ही मानसून सक्रिय होगा। इससे पहले बिहार में भारी बारिश के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं। पटना मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विवेक सिन्हा का कहना है कि मानसून के दौरान बारिश में उतार-चढ़ाव होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया होती है।
गौरतलब है कि वर्तमान में देश के वेस्ट पार्ट यानी राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र , कर्नाटक व केरल में सर्वाधिक बारिश हो रही है। जबकि वेस्ट बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बारिश सामान्य से भी कम है। ऐसे में मौसम वैज्ञानिक का कहना है कि पिछले एक सप्ताह से मानसून की ट्रफ रेखा करीब एक ही स्थान से गुजरने की वजह से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में बारिश नहीं हो पा रही है।
मौसम वैज्ञानिक के अनुसार, बिहार समेत कम बारिश वाले राज्यों में ये स्थिति 17 जुलाई तक बनी रह सकती है। 18 जुलाई से बंगाल की खाड़ी में बदलाव की उम्मीद है जिसके बाद मानसून की झमाझम बारिश प्रदेश में शुरू हो सकती है। फिलहाल बिहार में गर्मी का कहर लगातार जारी है। कई इलाकों में लोग उमस और गर्मी से काफी परेशान हैं।
प्री मानसून के बाद अब मानसून सीजन में भी बारिश की किल्लत राज्य के अधिकतर जिलों में दिख रही है। इस वजह से सूबे में बारिश का ग्राफ हर दिन नीचे गिरता जा रहा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, पटना सहित राज्य के 35 जिले कमोबेश बारिश की किल्लत झेल रहे हैं। राज्य के 20 जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य मानक से 40 फीसदी या उससे भी अधिक बारिश की कमी हो गई है। अगर कुछ दिन यही हाल रहा तो इन जिलों में सूखा संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
मौसम विभाग के अनुसार, अगले एक हफ्ते तक राज्य में कहीं भी भारी बारिश की चेतावनी नहीं है। यानी बारिश की कमी का यह ग्राफ और बढ़ सकता है। मौसमविदों के अनुसार पूरे सूबे में एक जून से नौ जुलाई के बीच 263 मिमी बारिश होनी चाहिए थी लेकिन मात्र 191.7 मिमी बारिश हुई है। इस वजह से राज्य भर में सामान्य से 27 प्रतिशत बारिश की कमी हो गई है।
केवल अररिया, किशनगंज और सुपौल में मानक से अधिक बारिश
सूबे में मानसून के समय से आगमन से अच्छी बारिश की उम्मीद जगी थी लेकिन अभी तक राज्य के अधिकतर जिलों में बादलों की बेरुखी बरकरार है। इस वजह से सामान्य से दो से तीन डिग्री ऊपर तापमान बना रह रहा है। अबतक बारिश का अच्छा ग्राफ मात्र सीमाचंल के तीन जिलों तक सीमित रहा हैं। राज्य के केवल अररिया, किशनगंज और सुपौल में सामान्य से अधिक बारिश हुई है। अररिया में सामान्य से 63 प्रतिशत, किशनगंज में 62 प्रतिशत और सुपौल में 16 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। मौसम विभाग के अनुसार 11 जुलाई से 15 जुलाई के बीच राज्य में कुछ जगहों पर आंशिक बारिश की स्थिति बन सकती है। कहीं भी भारी
बारिश का पूर्वानुमान नहीं है।
जून में 19 दिन सामान्य से कम बारिश, जुलाई में भी बारिश का टोटा
मौसमविदों के मुताबिक अभी बारिश का कोई चिह्नित सिस्टम सक्रिय नहीं दिखाई दे रहा है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार जून में मात्र 11 दिन ही सामान्य से अधिक बारिश हुई, जबकि 19 दिन सामान्य से कम बारिश हुई थी। मानसून के महीने में बारिश के दिनों की यह कमी जुलाई महीने में भी जारी है। अपेक्षित बारिश न होने से पिछले नौ दिनों में कमी का यह आंकड़ा 27 प्रतिशत तक चला गया है। राज्य में एक-दो जगहों को छोड़ दें तो हाल के दिनों में अधिकतर जिलों में बारिश सामान्य से काफी कम हुई है।
इन जिलों में 40 या उससे भी ज्यादा कमी
जिला बारिश की कमी
अरवल 64 प्रतिशत
गया 64 प्रतिशत
शिवहर 64 प्रतिशत
शेखपुरा 63 प्रतिशत
औरंगाबाद 63 प्रतिशत
सारण 58 प्रतिशत
लखीसराय 56 प्रतिशत
भागलपुर 52 प्रतिशत
कटिहार 52 प्रतिशत
नवादा 52 प्रतिशत
रोहतास 50 प्रतिशत
नालंदा 48 प्रतिशत
भोजपुर 48 प्रतिशत
गोपालगंज 48 प्रतिशत
सीवान 46 प्रतिशत
बांका 45 प्रतिशत
जहानाबाद 43 प्रतिशत
भभुआ 42 प्रतिशत
समस्तीपुर 40 प्रतिशत
वैशाली 40 प्रतिशत
नहरों से भी नहीं पूरी हो रही किसानों की जरूरत
सूबे के नहरों से भी किसानों की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है। चारों बड़ी नहर प्रणालियों सोन, उत्तर कोयल, कोशी, गंडक नहर प्रणालियों में पर्याप्त पानी नहीं है। लिहाजा वितरणियों में भी पानी की उपलब्धता कम ही है। नहरों में अंतिम छोड़ तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। सोन नहर प्रणाली में इन्द्रपुरी बराज पर 13003 क्यूसेक जल में से पूर्वी व पश्चिमी संयोजक नहरों में 3419 व 7760 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है। इसी तरह सोन नदी के इन्द्रपुरी बराज पर पानी की कमी है। कोसी नहर प्रणाली से पूर्वी व पश्चिमी मुख्य नहरों में 3500 व 1800 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है।
कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
पूरे बिहार में बारिश को लेकर एक जैसी स्थिति नहीं है। उत्तर बिहार के किशनगंज आदि जिलों में ठीक बारिश हुई है तो दक्षिण बिहार में बहुत कम बारिश हुई है। अगले 7 से 10 दिन काफी महत्वपूर्ण हैं। इस दौरान यदि बारिश नहीं होती है तो धान की खेती में दिक्कत आ सकती है। फिलहाल किसानों को बिचड़े को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। स्थानीय स्तर पर पानी का इंतजाम करके इसे हर हाल में बचाना होगा।
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