बिहार सरकार के गृह विभाग की कार्रवाई,निलंबित हुए पुलिस अधिकारी,क्यों ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में IPS दया शंकर को निलंबित कर दिया गया है। गृह विभाग ने तत्काल प्रभाव से पूर्णिया एसपी को निलंबित करने का फरमान जारी किया है। निलंबन अवधि के दौरान एसपी दयाशंकर का मुख्यालय पुलिस महानिरीक्षक केन्द्रीय क्षेत्र पटना का कार्यालय होगा। इस संबंध में सरकार के अवर सचिव ने पत्र जारी कर दिया है। एसपी दयाशंकर 2014 बैच के पुलिस अधिकारी थे। इस संबंध में जारी पत्र में कहा गया है कि दयाशंकर पुलिस अधीक्षक पूर्णिया के विरूद्ध विशेष निगरानी इकाई द्वारा भष्ट्राचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1) (ए) एवं (बी)सह पठित धारा 13(2) धारा 12आइपीसी की धारा 120 (बी) के तहत 10 अक्टूबर 2022 को मामला दर्ज किया गया है।

यह कांड अधिक धनार्जन से संबंधित है एवं इस मामले का अनुसंधान जारी है। इस कारण इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अनुसंधान होने तथा उसमें निहित आरोपों की गंभीरता एवं प्रकृृति को देखते हए राज्य सरकार द्वारा अखिल भारतीय सेवाएं नियामावली 1969 के नियम 3(3)निहित प्रावधानों के तहत एसपी दयाशंकर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।

एसपी दयाशंकर को लेकर विशेष निगरानी इकाई ने पटना एवं पूर्णिया सहित उनके आठ ठिकानों पर छापामारी की थी। जिसमें लगभग लाखों के जेवरात एवं नकदी बरामद किया गया था। इस मामले में एसपी को सहयोगी सदर थाना अध्यक्ष संजय सिंह, क्राइम रीडर नीरज कुमार सिंह एवं फोन ड्यूटी करने वाले पुलिस कर्मी सावन के यहां भी छापामारी हुई थी। इस मामले की जांच अभी एसवीयू द्वारा की जा रही है। निलंबन अवधि के दौरान एसपी को जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा।

मामले में हुई कार्रवाई पर एक नजर

एसवीयू ने दस अक्टूबर को कांड संख्या 13/22 दर्ज किया था। निगरानी अदालत से सर्च वारंट लेने के बाद स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने करीब 70 अधिकारियों की टीम तैयार की। इसमें एसटीएफ की दो यूनिट, बिहार मिलिट्री पुलिस एक की 4 यूनिट बल के साथ दया शंकर के ठिकानों पर छापेमारी की गई। छापेमारी में खुलासा हुआ कि एसपी दया शंकर ने अवैध वसूली के लिए अपने रीडर, गनर और थानेदार को तैनात कर रखा था। विजलेंस की टीम ने पूर्णिया सदर के थानेदार संजय कुमार सिंह, एसपी के रीडर निर्मल कुमार सिंह, और टेलीफोट ड्यूटी पर रहने वाले सिपाही सावन कुमार के ठिकानों पर भी छापेमारी की।

क्या कुछ मिला

  • जानकारी मुताबिक, IPS दया शंकर की नियुक्ति के बाद 2016 से अब तक उनकी वैध कमाई एक करोड़ नौ लाख 47 हजार 691 रुपये है।
  • IPS की पत्नी गृहणी हैं, अपनी वैध कमाई में आइपीएस दया शंकर ने 72 लाख 73 हजार 418 रुपये खर्च किये।
  • जांच में 71 लाख रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति का खुलासा हुआ।
  • एसपी दयाशंकर ने अवैध एवं बेनामी संपत्ति में स्वयं, अपनी पत्नी और बिल्डर के जरिये निवेश किया।
  • आय से अधिक संपत्ति के मामले में इस आईपीएस पर कार्रवाई की गई है।

बिहार में दो आइपीएस किए गए सस्पेंड

राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार और जालसाजी के आरोप में बिहार कैडर के दो आइपीएस अफसरों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। हाईकोर्ट का फर्जी चीफ जस्टिस बन डीजीपी एसके सिंघल को फोन करने के मामले में गया के पूर्व एसएसपी एवं वर्तमान में पुलिस महानिरीक्षक के सहायक (निरीक्षण) आदित्य कुमार को निलंबित किया गया है। वहीं पिछले सप्ताह विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) की छापेमारी में मिले आय से अधिक संपत्ति मामले में पूर्णिया के एसपी दयाशंकर को निलंबित किया गया है।

गृह विभाग ने इससे जुड़ा आदेश जारी कर दिया है। निलंबन की अवधि में दोनों आइपीएस अधिकारियों का मुख्यालय आइजी केंद्रीय क्षेत्र का कार्यालय होगा। इस दौरान अफसरों को केवल जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही दोनों अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगते हुए विभागीय कार्रवाई भी शुरू की जाएगी।

पुलिस पदाधिकारियों के साथ मिलकर अवैध वसूली

पूर्णिया के एसपी रहे दयाशंकर 2014 बैच के आइपीएस हैं। उनके विरुद्ध कनीय पुलिस पदाधिकारियों की मिलीभगत से अवैध वसूली करने के आरोप लगे। इसके बाद 11 अक्टूबर को एसपी दयाशंकर के साथ सदर थानाध्यक्ष संजय सिंह, एसपी के रीडर नीरज कुमार सिंह व सिपाही सावन कुमार (टेलीफोन डयूटी) के ठिकानों पर छापेमारी हुई। इसमें आय से करीब 72 लाख रुपये अधिक संपत्ति मिली थी। इस मामले में पूर्णिया के सदर थानाध्यक्ष समेत तीन पुलिसकर्मी पहले ही निलंबित किए जा चुके हैं।

विभागीय कार्रवाई से बचने को रचा षड्यंत्र

आदित्य कुमार वर्ष 2011 बैच के आइपीएस हैं। गया में एसएसपी रहते उनपर शराब माफिया से सांठ-गांठ के आरोप लगे थे, जिसकी विभागीय कार्रवाई चल रही है। इस मामले में बचने के लिए आदित्य ने अपने दोस्त अभिषेक अग्रवाल के साथ मिलकर फर्जी काल की साजिश रची। इसमें पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम पर डीजीपी को काल कर दबाव बनाया गया। इस मामले में आदित्य कुमार पर प्राथमिकी भी हुई है। फिलहाल वह ड्यूटी से गायब हैं।

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