कर्नाटक में 31 साल पुराने मामले में कार्यकर्ता की गिरफ्तारी,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कर्नाटक में भाजपा ने बुधवार को राज्य के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू किया। 1992 में अयोध्या में भगवान राम मंदिर के लिए आंदोलन के दौरान हुए हंगामे के सिलसिले में एक हिंदू कार्यकर्ता की गिरफ्तारी के खिलाफ ये प्रदर्शन किए गए। 51 वर्षीय श्रीकांत पुजारी को चार दिन पहले हुबली-धारवाड़ पुलिस ने लंबित मामलों का निपटारा करते समय गिरफ्तार किया था। पुजारी ने 31 साल पहले कथित तौर पर आंदोलन में हिस्सा लिया था।
हाल ही में, कर्नाटक के गृह मंत्री डॉ जी परमेश्वर ने पुलिस को लंबित मामलों को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया था। इसी सिलसिले में पुलिस ने पुजारी को 1992 में हुबली में हुए बवाल के मामले में गिरफ्तार किया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने मंगलवार को विरोध प्रदर्शन का आह्वान करते हुए आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ कांग्रेस कर्नाटक में हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की बार-बार कोशिश कर रही है।
भाजपा ने की गिरफ्तारी की निंदा
गिरफ्तारी की निंदा करते हुए, विजयेंद्र ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक से कुछ दिन पहले 31 साल पुराने मामले को फिर से खोलने के पीछे राज्य सरकार की मंशा को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भाजपा कर्नाटक और देश की जनता के सामने कांग्रेस सरकार को बेनकाब करेगी।
पुजारी की रिहाई की मांग
हुबली में भाजपा ने श्रीकांत पुजारी की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर पार्टी के झंडे, पोस्टर और बैनर लेकर मार्च निकालकर प्रदर्शन किया। बेंगलुरु में पार्टी नेताओं ने फ्रीडम पार्क में प्रदर्शन किया। विजयेंद्र के अलावा, पूर्व मुख्यमंत्री डी वी सदानंद गौड़ा, सांसद, पूर्व मंत्री डॉ सी एन अश्वथ नारायण, बिरथी बसवराज, के गोपालैया, सांसद पी सी मोहन और बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने शख्स की गिरफ्तारी को बीजेपी द्वारा तूल दिए जाने पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, वह कारसेवक नहीं था और उसके खिलाफ 16 मामले दर्ज हैं।
येदियुरप्पा ने वापस क्यों नहीं लिया केस- परमेश्वर
उन्होंने कहा कि यह यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि 31 साल बाद कार्रवाई क्यों की जा रही है, लेकिन भाजपा सरकार के चार साल के शासन के दौरान या जब पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा सत्ता में थे, तब भी ये मामले वापस लिए जा सकते थे। उन्होंने भी इस केस को लेकर कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि किसे दोषी ठहराया जाना चाहिए।
कानून के मुताबिक काम करेगी सरकार- परमेश्वर
साथ ही परमेश्वर ने बीजेपी नेता सुनील कुमार की चुनौती पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि वह कारसेवकों की सूची देंगे और अगर कांग्रेस सरकार के पास क्षमता है तो उन्हें गिरफ्तार करने दीजिए। यह जनता द्वारा चुनी हुई सरकार है। इसे ताकत, क्षमता और शक्ति जनता ने दी है। सरकार कानून के मुताबिक काम करेगी। फिलहाल आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। हुबली पुलिस ने 1992 के बीच हुई सांप्रदायिक झड़पों में वांछित 300 लोगों की सूची तैयार की है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर आरोपियों की उम्र 70 के आसपास है और उनमें से कई लोग शहर से जा चुके हैं।
क्या है विवाद?
- बता दें कि श्रीकांत पुजारी को 5 दिसंबर 1992 में हुबली में एक दुकान में आग लगाने के मामले में हुबली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
- पुजारी इस मामले में तीसरा आरोपी है और पुलिस मामले के संबंध में अन्य आठ आरोपियों की तलाश कर रही है।
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