गतिविधि आधारित शिक्षण से बच्चों का स्कूलों में बढ़ा है लगाव और ठहराव

गतिविधि आधारित शिक्षण से बच्चों का स्कूलों में बढ़ा है लगाव और ठहराव

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):


शिक्षा विभाग बच्चों के विद्यालय से लगाव और ठहराव को लेकर कई सकारात्मक कदम उठा रहा है। उन्हीं पहल में शामिल है गतिविधियों पर आधारित शिक्षण। जिसमें की सीधी भागीदारी है। विदित हो कि गतिविधि-आधारित शिक्षण, शिक्षा के लिए एक दृष्टिकोण है जो इस विचार पर केंद्रित है कि छात्रों को कार्यों के माध्यम से संलग्न किया जाना चाहिए। यह शिक्षण के कुछ पारंपरिक रूपों के विपरीत है। दरअसल,यह बाल केंद्रित शिक्षण है जिसमें शिक्षक सहायक की भूमिका में होता है।

सीवान जिले के बड़हरिया प्रखंड के विभिन्न प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में बच्चों को गतिविधियों पर आधारित शिक्षण दिया जा रहा है। बड़हरिया प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय आलमपुर में गतिविधि पर आधारित शिक्षण के गायन के माध्यम से बच्चों को न केवल जोड़ा गया,बल्कि बच्चों की अभिव्यक्ति के प्रोत्साहित किया गया। उत्क्रमित मध्य विद्यालय आलमपुर के प्रधानाध्यापक शंभूनाथ यादव ने बताया विद्यालय के अच्छे माहौल की किसी भी बच्चे पर बहुत गहरी छाप रहती है।

बचपन में हर बच्चा जो देखता है वही उसे उचित मालूम देता है और उसी को वह सीखना चाहता है। जिन विद्यालयों में पढ़ाई के अतिरिक्त खेलकूद और कई तरह की प्रतियोगिताएं होती हैं वहां के बच्चों का व्यक्तित्व निखर जाता है और उनका अच्छा विकास होता है। गतिविधि -आधारित शिक्षण में, एक शिक्षक सूत्रधार का कार्य करता है, छात्रों को सीखने की प्रक्रिया के माध्यम से सहायता प्रदान करता है और उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करता है।इससे छात्र का अपनी स्वयं की गतिविधि के द्वारा ज्ञान प्राप्त करता है।इसमें छात्र शारीरिक और मानसिक दोनों रुपों में सक्रिय रहता है।

इसमें बच्चे रुचिपूर्वक,जिज्ञासा, कौतुहल,लगन और मनोयोग से सक्रिय रहकर कार्य करते हुए सीखते हैं। पूर्व बीआरपी और प्रधानाध्यापक श्री यादव ने बताया कि इन गतिविधियों से खासकर एक से पांच कक्षा तक के छात्रों में बढ़ोतरी हुई है। इससे छीजन रुका है और बच्चों में स्कूल में बने रहने के प्रति रुचि बढ़ी है। स्कूली माहौल खुशनुमा हुआ है। जो बच्चे लंच के बाद विद्यालय का रुख नहीं करते थे,वे अब लंच में घर नहीं जाना चाहते हैं। बच्चों की अभिव्यक्ति को आयाम मिला है।

यह भी पढ़े

Leave a Reply

error: Content is protected !!