अमेरिका के लिए एक और वियतनाम साबित हुआ अफगानिस्तान.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है। अफगानिस्तान में मौजूदा तस्वीरों को देखकर यह बात सच साबित हो रही है। 46 साल पहले दक्षिणी वियतनाम में अमेरिका के साथ जो हुआ था, आज वही अफगानिस्तान में नजर आ रहा है। इंटरनेट मीडिया पर कुछ तस्वीरें साझा कर लोग इसकी तुलना कर रहे हैं।
अब काबुल ने दोहराई कहानी
46 साल बाद अमेरिका को फिर ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा है। हालात इस मायने में अलग हैं कि दक्षिणी वियतनाम से अमेरिकी सेना के हटने के करीब दो साल बाद उस पर उत्तरी वियतनाम का कब्जा हुआ था, जबकि काबुल में अभी अमेरिकी सेना पूरी तरह हट भी नहीं पाई और तालिबान ने वर्चस्व स्थापित कर लिया। यहां अमेरिका द्वारा प्रशिक्षित तीन लाख अफगान सैनिक कुछ ही घंटे में तालिबान आतंकियों के सामने हार गए। अमेरिका की प्रतिष्ठा के लिहाज से इसे और भी गहरी चोट माना जा रहा है।
आतंकियों के लिए पनाहगाह न बन जाए अफगानिस्तान
अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता से सबसे बड़ा डर यह है कि कहीं यह इलाका आतंकियों के लिए पनाहगाह न बन जाए। 1996 से 2001 के बीच तालिबान का अफगानिस्तान पर नियंत्रण रहा था। उस दौरान किस तरह से अल कायदा ने पैर पसारे थे, यह किसी से छिपा नहीं है। इस समय भी यही सबसे बड़ी चिंता है। दूसरी ओर, इराक और सीरिया में कमजोर पड़ रहा आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) भी अपने लिए नई जमीन तलाश रहा है।
आशंका यह भी है कि अफगानिस्तान में आइएस को भी पनपने का मौका मिलेगा। कुछ जानकार मान रहे हैं कि बदले परिदृश्य में हो सकता है कि तालिबान सीधे तौर पर किसी अन्य आतंकी संगठन को पैर पसारने से रोके, फिर भी वहां बहुत से इलाके ऐसे हैं, जहां बिना किसी की जानकारी में आए भी आतंकी तैयारी करते रह सकते हैं।
1975: दक्षिणी वियतनाम के सैगोन शहर में स्थित अमेरिकी एजेंसी सीआइए के भवन के ऊपर खड़ा हेलीकाप्टर और उसमें सवार होने के लिए लगी कतार। उस समय इस तस्वीर को फोटोग्राफर हल्बर्ट वान एस ने खींचा था।
2021: अफगानिस्तान के काबुल में अमेरिकी दूतावास में फंसे लोगों को बचाने के लिए छत पर उतरने को तैयार हेलीकाप्टर। अलग-अलग स्रोतों के हवाले से इंटरनेट मीडिया पर यह तस्वीर दो दिन से खूब वायरल हो रही है।
‘फाल आफ सैगोन’ का गहरा दंश
वियतनाम युद्ध मुख्यत: उत्तरी वियतनाम की वामपंथी सरकार और दक्षिणी वियतनाम के बीच का टकराव था। इसमें अमेरिका दक्षिणी वियतनाम के साथ था। वहीं उत्तरी वियतनाम को सोवियत एवं अन्य कम्युनिस्ट सरकारों का सहयोग था। करीब दो दशक के संघर्ष के बाद 1973 में अमेरिका ने वहां से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला किया था।
इसके दो साल के भीतर ही यानी 1975 तक उत्तरी वियतनाम ने दक्षिणी वियतनाम पर कब्जा कर लिया। उसी दौरान सैगोन में अपने दूतावास से 7,000 से ज्यादा अमेरिकी, दक्षिण वियतनामी और अन्य देशों के लोगों को बचाने के लिए अमेरिका को बचाव अभियान चलाना पड़ा था। 30 अप्रैल, 1975 को दक्षिण वियतनाम की तत्कालीन राजधानी सैगोन पर उत्तरी वियतनाम की कम्युनिस्ट सरकार ने नियंत्रण का एलान कर दिया था। इसे ‘फाल आफ सैगोन’ (सैगोन का पतन) कहा जाता है। इसके बाद सैगोन का नाम बदलकर हो ची मिन्ह कर दिया गया।
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