आखिर आचार संहिता होती क्या है, कौन-कौन से नियमों के पालन करने होते है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

16 मार्च, 2024 को लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान किया जाएगा। एक बार चुनावी तारीखों की घोषणा होने पर आदर्श चुनाव आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। राजनीतिक दलों को इसका पालन करना अनिवार्य होगा। आचार संहिता की शुरुआत सबसे पहले 1960 में केरल आम चुनाव के दौरान की गई थी। इसके बाद 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान भी इसे लागू किया गया था। समय के साथ-साथ इसके नियमों में भी कई बदलाव किए गए।

क्या है आदर्श चुनाव आचार संहिता?

निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग आचार संहिता को लागू करती है। आज जब लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान होगा तो आचार संहिता भी अपने आप लागू हो जाएगी। ऐसे में चुनावी राज्यों में राजनीतिक दलों को इसका पालन करना बेहद जरूरी हो जाएगा। इसके कुछ नियम होते है जो की पूरे चुनावी प्रक्रिया के दौरान भाजपा, कांग्रेस और अन्य पार्टियों के दलों को मानने पड़ते है। आचार संहिता चुनाव खत्म होने तक लागू रहते है।

अगर नियम नहीं माने तो…

राजनीतिक दल या कोई उम्मीदवार आचार संहिता का पालन नहीं करता है तो उस पर चुनाव आयोग की ओर से कड़ी कार्रवाई की जाती है। जैसे- चुनाव नहीं लड़ने दिया जाएगा। आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। साथ ही जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है।

क्या होते हैं नियम?

  • आचार संहिता के तहत कोई भी सत्ताधारी दल सरकारी योजनाएं, लोकार्पण, शिलान्यास या भूमि पूजन भी नहीं कर पाएगा।
  • सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाएगा।
  • चुनावी रैली या जुलूस निकालने पर पुलिस से मांगनी होगी अनुमति।
  • धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांग सकते।
  • चुनाव प्रचार में किसी भी व्यक्ति की जमीन या घर या कार्यालय की दीवार पर उसकी अनुमति के बिना पोस्टर, बैनर या झंडा नहीं लगाया जा सकता।
  • वोटिंग के दौरान शराब की दुकान बंद रहेगी।
  • चुनाव प्रचार के दौरान शराब बांटना आचार संहिता का उल्लंघन करना होगा।
  • वोटिंग वाली जगह साधारण हो, इसमें किसी भी तरह का प्रचार सामाग्री नहीं लगी हो।
  • गलत आचरण वाली सभी गतिविधि से दूर रहे राजनीतिक दल।
  • मतदान केंद्र तक जाने के लिए कोई भी पार्टी अपनी गाड़ी की सुविधा नहीं ले सकता है।
  • राजनीतिक दल वोटर को अपने पक्ष में वोट करने के लिए डरा और धमका नहीं सकता।

आदर्श आचार संहिता कितने दिनों तक लागू रहती है?
चुनाव आयोग द्वारा चुनाव तारीखों की घोषणा की तारीख से इसे लागू किया जाता है और यह चुनाव प्रक्रिया के पूर्ण होने तक लागू रहती है। लोकसभा चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता पूरे देश में जबकि विधानसभा चुनावों के दौरान पूरे राज्य में लागू होती है।

आदर्श आचार संहिता की विशेषताएं क्या हैं?
इसकी मुख्य विशेषताएं निर्धारित करती हैं कि राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और सत्ताधारी दलों को चुनाव प्रक्रिया के दौरान कैसा व्यवहार करना चाहिए। चुनाव प्रक्रिया, बैठकें आयोजित करने, शोभायात्राओं, मतदान दिन की गतिविधियों और सत्ताधारी दल के कामकाज भी संहिता से निर्धारित होते हैं।

मंत्री अपने आधिकारिक दौरे को चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के साथ नहीं मिलाएंगे और न ही चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के दौरान सरकारी तंत्र या कार्मिकों का प्रयोग करेंगे। हालांकि, चुनाव प्रचार दौरे के साथ आधिकारिक दौरे को मिलाने संबंधी आदर्श आचार संहिता के प्रावधान से प्रधानमंत्री को छूट है।

विमान, वाहनों इत्यादि सहित कोई भी सरकारी वाहन किसी दल या उम्मीदवार के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रयोग नहीं किया जाएगा।

सरकार के लिए क्या नियम होते हैं?
चुनाव के आयोजन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी अधिकारियों या पदाधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती पर संपूर्ण प्रतिबंध होगा। यदि किसी अधिकारी का स्थानांतरण या तैनाती आवश्यक मानी जाती है तो पहले आयोग की अनुमति ली जाएगी।

मंत्रियों को अपना आधिकारिक वाहन केवल अपने आधिकारिक निवास से अपने कार्यालय तक शासकीय कार्यों के लिए ही मिलेगा। इसमें शर्त है कि इस प्रकार के सफर को किसी चुनाव प्रचार कार्य या राजनीतिक गतिविधि से न जोड़ा जाए।

सरकारी योजनाओं, निर्माण कार्य पर क्या नियम लागू होते हैं?
चुनाव के दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सरकारी खर्चे  पर पार्टी की उपलब्धियों के संबंध में विज्ञापन और सरकारी जन-सम्पर्क निषेध है।

केंद्र में सत्ताधारी पार्टी/राज्य सरकार की उपब्धियों को प्रदर्शित करने वाले होर्डिंग या विज्ञापनों को सरकार खर्चे पर जारी नहीं रखा जाएगा। प्रदार्शित किए गए इस प्रकार के सभी होर्डिंग, विज्ञापन इत्यादि संबंधित प्राधिकारियों द्वारा तुरंत हटा दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सहित अन्य मीडिया पर सरकारी राजकोष के खर्चें पर कोई विज्ञापन जारी नहीं होगा।

चुनावों की घोषणा से पूर्व जारी कार्य आदेश के संबंध में यदि क्षेत्र में कार्य शुरू नहीं किया गया है तो उसे शुरू नहीं किया जाएगा। परंतु यदि काम शुरू कर दिया गया है तो उसे जारी रखा जा सकता है।

सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए कई दिशा-निर्देश हैं। इंदिरा आवास योजना योजना के अंतर्गत कोई भी नया निर्माण कार्य आरंभ नहीं किया जाएगा और चुनावों के पूरा होने तक किसी भी नए लाभार्थी को स्वीकृति नहीं दी जाएगी।

संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाई) चल रहे कार्यों को जारी रखा जा सकता है। राष्ट्रीय रोजगार ग्रामीण गारंटी अधिनियम (एनईआरजीए) ग्रामीण विकास मंत्रालय ऐसे जिलों की संख्या नहीं बढ़ाएगा जिनमें चुनावों की घोषणा के पहले से ही ऐसी योजनाओं का कार्यान्वयन हो रहा है। चुनावों की घोषणा के बाद जॉब कार्ड धारक को चल रहे काम में तभी रोजगार उपलब्ध करवाया जा सकता है यदि वे काम की मांग करें।

मंत्री या अन्य प्राधिकारी किसी भी रूप में कोई वित्तीय अनुदान या उससे संबंधित कोई वादा नहीं करेंगे। किसी परियोजना अथवा योजना की आधारशिला इत्यादि नहीं रखी जा सकेगी। सड़क बनवाने, पीने के पानी की सुविधा इत्यादि उपलब्ध करवाने का कोई वादा भी नहीं किया जाएगा। इसके अलावा सरकार या निजी क्षेत्र के उपक्रमों में तदर्थ आधार पर कोई नियुक्ति भी नहीं पाएंगे। कुछ मामलों में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी किसी राजनीतिक पदाधिकारी को शामिल किए बिना आधारशिला इत्यादि रख सकते हैं।

गेहूं और अन्य कृषि-संबंधी उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए चुनाव आयोग से परामर्श लिया जा सकता है।

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