आख़िर इंसान का दोहरा चरित्र क्यों – डॉ प्रभात कुमार मुखर्जी
श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी
वाराणसी / वरिष्ठ चिकित्सक डॉ प्रभात कुमार मुखर्जी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि एक तरफ़ तो हम नवरात्रि में पूरे नौ दिन उपवास रख कर मंदिरों में जाते हैं देवी के दर्शन के लिए घर पर हम कन्या पूजन करते हैं। माता आदि शक्ति के स्वरूप में। लेकीन जब वही कन्या हमारे घर में जन्म लेना चाहती है तो हम चिकित्सकीय जांच करवा कर उसका गर्भपात या गर्भ निरोधक गोलियां देकर उस कन्या को हम अपने घर में नहीं आने देना चाहते। इतना ही नहीं ब्याही गई विवाहिता जो हमारी अर्धांगिनी बनती है समाज में अग्नि को साक्षी मानकर जो हमारे साथ सात फेरे लेती हैं जीवन भर साथ रहने की, साथ निभाने की जो सौंगंध लेकर हमारे घर में लक्ष्मी स्वरूप आती हैं तो उस लक्ष्मी स्वरूप पर हम इतना अत्याचार कर डालते हैं जिससे कि वह अपने जीवन की अंतिम यात्रा ज़हर खा कर अथवा फांसी लगा कर पूरी करती है।
वो भी मात्र चंद रुपयों के लिए। क्या इससे हमारी नवरात्रि की पूजा सफ़ल होगी.? या कन्या पूजन करने से देवी प्रसन्न हो जायेंगी.? कत्तई नहीं! क्योंकि एक देवी को तो हम घर की आया समझ कर उस पर कहर बरपाते हैं और दूसरी देवी को खुश करने के लिए हम नौ दिन उपवास करते हैं ये कैसी पूजा हैं इंसान की। ये कैसी पूजा हैं उस कन्या पूजन की कि एक कन्या जो कि हमारे घर में बेटी के रूप में जन्म लेना चाहती है तो हम उस कन्या को अपने घर में नहीं आने देना चाहते और दूसरी तरफ हम समाज की नज़र में कन्या पूजन करते हैं। आख़िर ये कैसी विडंबना है।डॉ प्रभात कुमार मुखर्जी (वरिष्ठ चिकित्सक, वाराणसी)