बिहार में चार साल बाद चिता से उठ खड़ा हुआ दुष्कर्मी मुर्दा,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में चार साल पहले छात्रा के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में पीड़िता और उसके परिवार को न्याय मिलने की उम्मीदों को ठोस मजबूती मिल गई है। चार साल पहले के मामले पर चिता में लिटाया गया आरोपित डर्टी टीचर आज कोर्ट पहुंच गया। उसने कोर्ट में नाटकीय ढंग से आत्मसमर्पण कर दिया। खुद मौत का खेल रचने वाला डर्टी टीचर जब कोर्ट पहुंचा तो मुंह छिपाते हुए नजर आया। मामला न केवल भागलपुर के लिए बल्कि बिहार और देशभर के लिए अजीबोगरीब और चौंकाने वाला है।
छात्रा से दुष्कर्म मामले में सजा से बचने के लिए अपनी मौत की झूठी कहानी रचने वाले शिक्षक नीरज मोदी ने सोमवार को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। विशेष पाक्सो न्यायालय पहुंचे नीरज को विशेष न्यायाधीश ने उसके अधिवक्ता की तरफ से प्रस्तुत अर्जी का अवलोकन करते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। पूरे कारनामे में उसके पिता ने भरपूर साथ दिया।
जागरण डाट काम और समाचार पत्र में पूर्व में इस मामले के बारे में विस्तार से चर्चा की गई थी। खबर के बाद पुलिस लगातार आरोपित को सक्रियता के साथ ढूंढ रही थी। अरोपी नीरज मोदी अंडरग्राउंड था। उसने दुष्कर्म मामले में सजा से बचने के लिए उसने अपनी मौत की न सिर्फ झूठी कहानी गढ़ी थी बल्कि उस कहानी को सच साबित करने के लिए अपने पिता को भी उसका हिस्सा बनाया।
श्मशान से कटवायी अंतिम संस्कार की पर्ची
आरोपित ने अपने पिता के साथ मौत का नाटक रच डाला। खुद अर्थी पर लेटा और श्मशान घाट तक गया। पिता ने लकड़ियां रखते हुए चिता सजाई और पूरे मामले की फोटोग्राफी भी करवाई। उस फोटोग्राफ्स को विशेष पाक्सो अदालत में पिता के जरिये जमा कराया और खुद भूमिगत हो उसका लाभ लेने की कोशिश करने लगा था। पिता-पुत्र के खेल को पुलिस ने भी सच मान लिया था। शपथ पत्र देने पर न्यायालय ने केस की फाइल बंद कर दी थी।
14 अक्टूबर 2018 का मामला
इशीपुर बाराहाट थानाक्षेत्र के मधुरा सिमानपुर निवासी शिक्षक नीरज मोदी पर 14 अक्टूबर 2018 को दुष्कर्म का केस दर्ज किया गया। आरोप था कि उसने अपनी छात्रा के साथ गंदा काम किया है। पिता राजाराम मोदी ने बेटे को सजा से बचाने के लिए उसकी मौत की झूठी कहानी गढ़ दी। बेटे की झूठी मौत को सच दिखाने के लिए उसे बाकायदा कफन पहनाया। चिता पर आंखें बंद कर लिटा दिया। दाह संस्कार के लिए खुद भी कफन का लबादा ओढ़ लिया।
कहलगांव श्मशान घाट स्थित एक लकड़ी के गोले से लकड़ी खरीद वाली रसीद भी बनवा ली। उसी रसीद के सहारे बेटे का मृत्यु प्रमाण पत्र भी तैयार करवाया और विशेष पाक्सो न्यायालय में शपथ पत्र के साथ बेटे के मृत्यु प्रमाण पत्र को दाखिल कर दिया। जिसके बाद न्यायालय ने केस की फाइल बंद कर दी थी।
दुष्कर्म पीड़िता और उसके परिवार ने किया खुलासा
दोनों बाप-बेटा की इस नाटकीय साजिश का भंडाफोड़ दुष्कर्म पीड़िता और उसकी मां ने कर दिया। पीड़िता की मां इस केस की वादी भी थी। बेटी के साथ हुई ज्यादती से दुखी मां को जब आरोपित के पिता के षडयंत्र का पता चला तो वह प्रखंड विकास पदाधिकारी, पीरपैंती को एक अर्जी दे गलत मृत्यु प्रमाण पत्र उनके कार्यालय से जारी होने की जानकारी दी। साथ ही मामले में जांच की गुहार लगाई।
प्रशासन ने दिखाई सक्रियता
बीडीओ ने मामले की जांच शुरू करवा दी। जांच में सच सामने आ गया। पता चला कि आरोपित के पिता ने फर्जी प्रमाण पत्र बनवाया था। बीडीओ ने जन्म एवं मृत्यु के रजिस्ट्रार धमेंद्र कुमार को नीरज मोदी के गलत साक्ष्य के आधार पर जारी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के आरोप में पिता राजाराम मोदी के विरुद्ध केस दर्ज करने और निर्गत मृत्यु प्रमाण् पत्र को रद करने की अनुशंसा कर दी थी।
21 मई 2022 को पीरपैंती बीडीओ के निर्देश पर 24 घंटे के अंदर आरोपित नीरज मोदी के पिता राजाराम मोदी पर धोखाधड़ी समेत अन्य आरोप में इशीपुर बाराहाट में केस दर्ज कर लिया गया। इस मामले में नीरज के पिता अभी जेल में हैं। मृत्यु प्रमाण पत्र भी रद कर दिया गया। उक्त प्रमाण पत्र के रद होने की विधिवत जानकारी मिलने के बाद विशेष पाक्सो न्यायाधीश लवकुश कुमार ने ईशीपुर बाराहाट थानाध्यक्ष से दुष्कर्म के आरोपित शिक्षक नीरज मोदी के जीवित रहने या मृत्यु हो जाने संबंधी रिपोर्ट 23 जुलाई 2022 को मांगी।
थानायक्ष ने मामले में प्रतिवेदन देने के बजाय चुप्पी साध ली। विशेष् न्यायाधीश ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रतिवेदन नहीं सौंपने पर थानाध्यक्ष को न्यायालय के आदेश की अवमानना को लेकर नोटिस जारी कर दिया था। तब उनसे पूछा गया था कि क्यूं नहीं आपके विरुद्ध न्यायालय की अवमानना का केस चलाया जाए। थानाध्यक्ष को सात सितंबर 2022 को सदेह उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया था।
मौत की झूठी साजिश
27 फरवरी 2022 को हुई फर्जी मृत्यु का सच जांच में उजागर पिता ने 27 फरवरी 2022 को नीरज की फर्जी मौत की जानकारी देते हुए 19 अप्रैल 2022 को मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत करा लिया था। प्रशासनिक अधिकारियों ने जब जांच शुरू की तो नीरज की मौत की बात गलत साबित हुई। उसकी तरफ से इकट्ठा किए गए साक्ष्य भी गलत साबित हुए। गांव में भी जांच हुई। नीरज के रिश्तेदार, गोतिया, गांव वाले यहां तक कि पंच तारा देवी, वार्ड अध्यक्ष आरती देवी समेत तमाम लोगों ने मृत्यु की बात को गलत करार दिया था।
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