पंचभूतों से मुक्ति पा लेने के बाद मानव को परमात्मा का साक्षात्कार तथा मोक्ष की प्रप्ति होती है : रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज
श्रीनारद मीडिया, सचिन पांडेय, मांझी, सारण (बिहार):
मृत्युलोक में मौजूद पंचभूतों से मुक्ति पा लेने के बाद मानव को परमात्मा का साक्षात्कार तथा मोक्ष की प्रप्ति होती है। सोमवार की देर शाम माँझी के सितलपुर गाँव में आयोजित एक सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए श्रीमठ पञ्चगंगा घाट वाराणसी से पधारे रामानंदाचार्य स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज ने यह बात कहीं।
उन्होंने सितलपुर में आयोजित एक निजी उपनयन संस्कार में भी उन्होंने भाग लिया। उन्होंने क्षिति जल पावक गगन समीरा को पँचभूतों की संज्ञा देते हुए इसे मानव के जीवन में मौजूद दुख का वास्तविक कारण बतलाया। उन्होंने कहा कि भक्ति के माध्यम से इन पँचभूतों पर विजय प्राप्त की जा सकती हैं।
उन्होंने कहा कि आत्मा के रूप में प्रत्येक जीव के भीतर सर्वशक्तिमान ईश्वर का वास है। ईश्वर में ही इन पँचभूतों के निर्माण तथा उससे मानव को मुक्ति दिलाने का सामर्थ्य है। समारोह में मौजूद दर्जन भर गणमान्य लोगों को उन्होंने शॉल से सम्मानित किया।
स्थानीय विद्यालय में सम्पन्न चित्रकला प्रतियोगिता में शामिल आधा दर्जन विजेताओं को भी उन्होंने नकद व मेडल आदि से सम्मानित किया। इससे पहले लोकगायक रामेश्वर गोप ने लोकगीत व भजन कीर्तन से उपस्थित स्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया।
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