इजरायल के बाद ताइवान देगा एक लाख भारतीयों को नौकरी,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

म्रदराज होते कई देशों की नजर भारत के युवा व कुशल श्रमिकों पर हैं। हाल ही में ताइवान ने भारत के एक लाख युवा श्रमिकों को नौकरी देने की पेशकश की है। ताइवान में बेरोजगारी दर अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है और मैन्यूफैक्चरिंग से लेकर कृषि व स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ी संख्या में श्रमिकों की जरूरत है।

अगले महीने हो सकता है समझौता

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अगले महीने भारत और ताइवान के बीच नौकरी को लेकर समझौता हो सकता है, उसके बाद ताइवान में नौकरी दिए जाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। ताइवान विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने भी इस बात की पुष्टि की है। वर्ष 2025 तक ताइवान की 20 प्रतिशत से अधिक आबादी 80 साल की हो जाएगी। ताइवान ने भारत के कुशल श्रमिकों को अपने देश के श्रमिकों के बराबर वेतन व इंश्योरेंस जैसी सभी सुविधाएं देने की पेशकश की है।

मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के साथ कृषि व स्वास्थ्य क्षेत्र में भारतीयों को नौकरी देने के लिए ताइवान बहुत जल्द मुंबई व अन्य जगहों पर संबंधित कार्यालय खोल सकता है। ताइवान भारतीय इंजीनियर को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में ट्रेनिंग भी दे सकता है। चीन से तनातनी के बाद ताइवान भारत के लगातार करीब आता जा रहा है और दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश भी लगातार बढ़ रहा है।

भारत भी चीन की जगह ताइवान से इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम का आयात करने को प्राथमिकता देता है। वर्ष 2001 में ताइवान और भारत के बीच सिर्फ 1.19 अरब डालर का कारोबार होता था जो वर्ष 2022 में बढ़कर 8.4 अरब डालर का हो गया। दोनों देशों के बीच वर्ष 2018 में निवेश प्रोत्साहन समझौता भी किया गया है जिसके तहत ताइवान की कई कंपनियां भारत में मोबाइल फोन संबंधी निर्माण में अपना योगदान दे रही है।

भारत का 13 देशों के साथ समझौता

अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, हाल ही में इजरायल ने भी एक लाख भारतीयों को मुख्य रूप से वहां के निर्माण (कंस्ट्रक्शन) व नर्सिंग क्षेत्र में नौकरी देने की पेशकश की है। इजरायल की निर्माण क्षेत्र की कंपनियों ने सभी फलस्तीनियों को नौकरी से निकाल दिया है और उनका अनुबंध रद कर दिया है।

इसके बाद उन्हें तत्काल रूप से श्रमिकों की जरूरत है। इजरायल के निर्माण व नर्सिंग क्षेत्र में पहले से ही कई हजार भारतीय काम कर रहे हैं। श्रमिकों की मोबिलिटी को लेकर भारत का 13 देशों के साथ समझौता हो चुका है।

इनमें जापान, आस्ट्रेलिया, फ्रांस जैसे देश शामिल है जबकि कई यूरोपीय देशों के साथ मोबिलिटी समझौता को लेकर बातचीत चल रही है। जापान के साथ यूरोप के कई देशों की अधिकतर आबादी बूढ़ी हो चुकी है और वे श्रमिक सप्लाई के लिए भारत को उपयुक्त स्थान मान रहे हैं।

भारत को ताइवान अब तक का सबसे बड़ा दिवाली गिफ्ट दे रहा है. इस गिफ्ट से चीन को जबरदस्त मिर्ची लग सकती है. दरअसल ताइवान भारत के एक लाख से ज्यादा लोगों को नौकरी देने जा रहा है. अगर ये डील होती है तो ताइवान और भारत के आर्थिक रिश्ते और भी ज्यादा मजबूत हो सकते हैं. वहीं दूसरी ओर ताइवान के पड़ोसी देश चीन को मिर्ची लग सकती है. अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ताइवान के कारखानों, खेतों और अस्पतालों में काम करने के लिए 100,000 से अधिक भारतीयों को काम पर रख सकता है. लोगों ने कहा कि दोनों पक्षों द्वारा दिसंबर की शुरुआत में जॉब डील पर साइन हो सकते हैं.

ताइवान को वर्कफोर्स की जरुरत

ताइवान के लोग लगातार बूढ़े हो रहे हैं. उल्हें ज्यादा से ज्यादा लोगों की जरुरत है. वहीं दूसरी ओर भारत की इकोनॉमी भले ही दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले तेज हो, लेकिन इतनी भी नहीं कि लेबर मार्केट में हर साल लाखों जॉब जेनरेट कर सके. अनुमान है कि ताइवान 2025 तक “सुपर एज्ड” समाज बन जाएगा, जहां आबादी के पांचवें हिस्से से अधिक बुजुर्ग लोगों की आबादी होने का अनुमान है. भारत ताइवान जॉब डील से चीन के साथ जियो पॉलिटिकल टेंशन बढ़ने की संभावना है. चीन नहीं चाहता कि कोई भी देश ताइवान के साथ आधिकारिक तौर पर कोई आर्थिक समझौता करे. ताइवान पर चीन अपना हक समझता रहा है.

फाइनल स्टेज पर बातचीत

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा कि भारत-ताइवान जॉब डील अब फाइलन स्टेज पर है. ब्लूमबर्ग न्यूज द्वारा संपर्क किए जाने पर ताइवान के श्रम मंत्रालय ने भारत डील पर विशेष रूप से कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा कि वह उन देशों के साथ सहयोग का स्वागत करता है जो उसे श्रमिक प्रदान कर सकते हैं. जानकारों के अनुसार ताइवान जाने के इच्छुक भारतीय श्रमिकों की हेल्थ को सर्टिफाई करने के लिए एक मैकेनिज्म पर अभी भी काम किया जा रहा है.

इन देशों के साथ भी चल रही जॉब डील

ताइवान में, जहां बेरोजगारी दर 2000 के बाद से सबसे निचले स्तर पर गिर गई है, सरकार को 790 अरब डॉलर की इकोनॉमी को चालू रखने के लिए श्रमिकों की आवश्यकता है. लोगों ने कहा कि डील को बेहतर बनाने के लिए ताइवान भारतीय कामगारों को स्थानीय लोगों के बराबर वेतन और इंश्योरेंस पॉलिसीज ऑफर कर रहा है.

भारत सरकार बूढ़े वर्कफोर्स का सामना कर रहे विकसित देशों के साथ जॉब डील पर जोर दे रही है. इस साल भारत चीन को पछाड़कर दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है. जानकारों के अनुसार अब तक, भारत सरकार ने जापान, फ्रांस और यूके सहित 13 देशों के साथ डील पर साइन किए हैं. वहीं नीदरलैंड, ग्रीस, डेनमार्क और स्विट्जरलैंड के साथ इसी तरह की व्यवस्था पर चर्चा कर रही है.

चीन और भारत के संबंध खराब

2020 में सीमा पर झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं. बीते 40 सालों में दोनों के बीच इस तरह की स्थिति कभी देखने को नहीं मिली है. तब से दोनों देशों ने हजारों सैनिकों, हथियारों और टैंकों को हिमालय क्षेत्र में ट्रांसफर कर दिया है. वहीं दूसरी ओर ताइवान की कंपनियां भारत में लगातार निवेश कर रही हैं. सेमिकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में ताइवान दुनिया का सबसे बड़ा देश है. अब ताइवान उसी तरह का इकोसिस्टम भारत में तैयार करने में मदद भी कर रहा है.

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