अग्निवीर योजना में युवाओं के सैन्यीकरण की ओर भारत सरकार का महत्त्वाकांक्षी प्रयास है,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अग्निवीर योजना बड़े पैमाने पर युवाओं के सैन्यीकरण की ओर भारत सरकार का महत्त्वाकांक्षी प्रयास है। एन सी सी की तुलना में यह योजना अधिक उपयोगी भी होगी। आज जिस प्रकार युवाओं की संलग्नता टुकड़े गैंग, अर्बन नक्सल गैंग आदि में बढ़ी है उसे नियंत्रित करने और अनुशासित युवा शक्ति का निर्माण करने में यह योजना महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी । किंतु, बड़े पैमाने पर इसका विरोध हो रहा है।
सरकार इसे केवल विपक्ष की साजिश कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकती। सरकार की ठेके और संविदा की ओर बढ़ती प्रवृत्ति के कारण युवा आज वर्तमान सरकार को संशय से देख रहा है । विकास, हिंदुत्व और राष्ट्रीयता सभी मुद्दों पर सरकार के साथ खड़े होने के बावजूद रोजगार को लेकर युवा इस सरकार से नाखुश है।उसे लगता है कि सारी व्यवस्था को ठेके पर चलाकर सरकार हमारे भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। युवाओं की यह चिंता अस्वाभाविक भी नहीं है।
शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में जिस प्रकार संविदा आधारित अधिक नियुक्तियाँ हुई हैं और नियमित नियुक्तियां काफी कम हुई हैं उससे यह स्पष्ट भी होता है कि सरकार की दिशा क्या है? सरकार की इस नीति का विरोध होना चाहिए। हालांकि, जिस प्रकार हिंसक विरोध किया जा रहा है उसके पीछे राष्ट्रविरोधी शक्तियों और विपक्ष का गठजोड़ है। आज सरकार के लिए आवश्यक है कि वह युवाओं का विश्वास अर्जित करे।
अग्निवीर योजना अच्छी है, किंतु इसे राष्ट्र के सैन्यीकरण के लिए होना चाहिए न कि सेना के विकल्प के रूप में। सरकार को अपनी मंशा स्पष्ट करनी चाहिए। यदि सरकार की मंशा साफ है तो उसे पहले लंबित नियुक्तियां करनी चाहिए। सेना में बहाली के उपरांत जो थोड़ी कमियों की वजह से रह गए हों उन्हें अग्निवीर बनाना चाहिए। यदि सरकार पहले अग्निवीरों की नियुक्ति करती है और लंबित नियुक्तियों पर ध्यान नहीं देती है तो निस्संदेह सरकार के लिए यह अग्निपथ होगा। जो सलाहकार और ब्यूरोक्रेट सरकार को सलाह दे रहे हैं वैसे तक्षकों से सरकार को सावधान रहना चाहिए।
युवा आक्रोश को झेलने का सामर्थ्य किसी में नहीं होता न सत्ता में ,न सरकार में और न प्रशासन में। सरकार को यह समझना होगा। राष्ट्र के सैन्यीकरण के लिए अग्निवीर योजना का हृदय से स्वागत है,किंतु प्रबल विरोध उस मंशा से है जो अग्निवीर को सेना का विकल्प देख रही है और सोच रही है कि पेंशन आदि का बोझ कम होगा।
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