अखिलेश यादव का खनन घोटाला, एक दिन में 13 परियोजनाओं को मिली थी मंजूरी,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित खनन घोटाले में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर सीबीआई ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अखिलेश यादव को 29 फरवरी (बुधवार) को पूछताछ के लिए बुलाया था, हालांकि सपा अध्यक्ष सीबीआई के समक्ष पेश नहीं हुए।

लोकसभा चुनाव से पहले यूपी की राजनीति में यह बहुत घटनाक्रम बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि अवैध खनन केस में अखिलेश यादव नामजद आरोपित नहीं हैं। लेकिन सीआरपीसी की धारा-160 के तहत बतौर गवाह के तौर पर उन्हें समन जारी किया गया है। आइए जानते हैं आखिर यह पूरा मामला क्या है? अखिलेश यादव का नाम इसमें क्यों और कैसे जुड़ा।

अखिलेश यादव खनन मामला क्या है?

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले खनन घोटाले में सीबीआई ने 2 जनवरी 2019 को एक एफआईआर दर्ज की थी। सीबीआई की एफआईआर के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय भी इस मामले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहा है। यह अवैध खनन हमीरपुर में हुआ। इस मामले में 2008 बैच की आईएएस अधिकारी बी.चंद्रकला (तत्कालीन डीएम हमीरपुर) और एमएलसी रमेश मिश्रा समेत 11 नामजद आरोपितों के खिलाफ दर्ज कर जांच शुरू की थी।

सीबीआई की 14 जगहों पर छापेमारी

सीबीआई ने पांच जनवरी 2019 को बी. चंद्रकला के लखनऊ के फ्लैट समेत अन्य जिलों में खनन विभाग के कर्मचारियों व ठेकेदारों के 14 ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने हमीरपुर, शामली, फतेहपुर, देवरिया और सिद्धार्थनगर समेत अन्य जिलों में वर्ष 2012 से 2016 के बीच हुए खनन में धांधली की शिकायतों पर मार्च 2017 में सात प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थीं।

खनन अवैध तरीके से जारी था

एफआईआर के अनुसार, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हमीरपुर समेत कई स्थानों पर धड़ल्ले से चल रहे खनन पर प्रथबंध लगा दिया था। लेकिन खनन अवैध तरीके से जारी था। हमीरपुर की तत्कालीन डीएम बी.चंद्रकला ने 13 अप्रैल 2012 से छह जून 2014 के बीच 50 से अधिक खनन पट्टे जारी करने के नियमों की अनदेखी की। बिना ई-टेंडर के पट्टे दिए गए और पुराने पट्टों की मियाद भी बढ़ाई गई। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 17 फरवरी 2013 को ई-निविदा नीति का उल्लंघन करके एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।

ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का कथित उल्लंघन

तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश और तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति दोनों के पास 2012 और 2016 के बीच खनन मंत्रालय का प्रभार था। इस दौरान लघु खनिजों के खनन में कथित अनियमितताएं हुईं। सीबीआई को ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का कथित उल्लंघन कर खनन पट्टे जारी करने के मामले में अखिलेश और उनके कैबिनेट के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की भूमिका संदिग्ध लगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर 2 जनवरी 2019 को सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर कोर्ट से कहा कि इस मामले में तत्कालीन खनन मंत्री की भूमिका पर गौर किया जा सकता है।

सपा-बसपा गठबंधन की घोषणा के दौरान हुई गड़बड़ी

सीबीआई ने 5 जनवरी 2019 को 2012 और 2016 के बीच हमीरपुर में अवैध खनन से जुड़े मामले के सिलसिले में दिल्ली और यूपी में 14 स्थानों की तलाशी ली थी। जिन स्थानों की तलाशी ली गई उनमें तत्कालीन एसपी एमएलसी रमेश कुमार मिश्रा और बीएसपी नेता संजय दीक्षित के आवास भी शामिल थे। छापेमारी उस दिन की गई जब एसपी और बीएसपी ने 2019 चुनावों के लिए सीट बंटवारे को अंतिम रूप दिया और औपचारिक रूप से आरएलडी के साथ अपने गठबंधन की घोषणा की।

अखिलेश और प्रजापति की भूमिका संदिग्ध

सीबीआई अधिकारी ने कहा कि अखिलेश यादव 2012 से जून 2013 तक खनन मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे थे। उसके बाद यह मंत्रालय तत्कालीन अमेठी विधायक प्रजापति के अधीन आ गया। चूंकि सभी अनियमितताएं 2012 और 2016 के बीच हुई हैं, इसलिए अखिलेश और प्रजापति दोनों की भूमिका की जांच की जानी है।

समन पर अखिलेश ने कहा- ‘आप क्यों घबराए हुए हैं’

अखिलेश यादव का कहना है कि सपा सबसे ज्यादा निशाने पर है। 2019 में भी मुझे किसी मामले में नोटिस मिला था, क्योंकि तब भी लोकसभा चुनाव था। अब जब चुनाव आ रहा है तो मुझे फिर से नोटिस मिल रहा है। मैं समझता हूं कि जब चुनाव आएगा तो नोटिस भी आएगा। यह घबराहट क्यों है। अगर पिछले दस वर्षों में आपने (भाजपा) बहुत काम किया है तो फिर आप क्यों घबराए हुए हैं?

हमीरपुर में अवैध खनन को लेकर विजय द्विवेदी ने याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के मौरंग खदानों पर पूरी तरह से रोक लगाने के बाद भी जिले में अवैध खनन खुलेआम किया गया। उत्तर प्रदेश में खनन के लिए स्वर्ग माने जाने वाले हमीरपुर के साथ ही सोनभद्र में बड़ी मात्रा में हो रहे अवैध खनन के मामले में आज सीबीआइ ने 12 जगह पर पड़ताल की है। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान गायत्री प्रसाद प्रजापति की सरपरस्ती में यह अवैध खनन का घोटाला सौ करोड़ से अधिक का था।

हमीरपुर में अवैध खनन को लेकर विजय द्विवेदी ने याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के मौरंग खदानों पर पूरी तरह से रोक लगाने के बाद भी जिले में अवैध खनन खुलेआम किया गया। 28 जुलाई 2016 को तमाम शिकायतें व याचिका पर सुनवाई करते हुये हाईकोर्ट ने अवैध खनन की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इसके बाद से जांच चल रही है। अवैध खनन करने को लेकर सीबीआइ की उस समय हमीरपुर में डीएम रह चुके भारतीय प्रशासनिक सेवा(आईएएस) के तीन वरिष्ठ अधिकारियों बी चंद्रकला के साथ ही संध्या तिवारी और भवनाथ से पूछताछ की योजना थी।

अखिलेश यादव की सरकार में बी, चंद्रकला की बतौर जिलाधिकारी पोस्टिंग हमीरपुर जिले में हुई थी। आरोप है कि जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 50 मौरंग के खनन के पट्टे किए थे। ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों पर स्वीकृति देने का प्रावधान था लेकिन बी.चन्द्रकला ने सारे प्रावधानों की अनदेखी की थी। वर्ष 2015 में अवैध रूप से जारी मौरंग खनन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी।

हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर 2015 को हमीरपुर में जारी किए गए सभी 60 मौरंग खनन के पट्टे अवैध घोषित करते हुए रद कर दिया था। इसके बाद भी यहां पर बड़ी मात्रा में खनन किया गया। इसमें खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने भी जमकर लूट की थी। प्रदेश में कम समय में ही लंबी छलांग लगाने वाले गायत्री प्रसाद प्रजापति कैबिनेट मंत्री के रूप में भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्रालय संभाल रहे थे।

सौ करोड़ का खनन घोटाला

गायत्री प्रजापति अखिलेश यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। इस दौरान खनन घोटाला सामने आया था। गायत्री प्रजापति के खिलाफ सौ करोड़ के अवैध खनन के भ्रष्टाचार की लोकायुक्त को शिकायत की गई थी। हमीरपुर जिले में अवैध मौरंग खनन और सिंडीकेट के नेटवर्क से कई सौ करोड़ की वसूली किये जाने के मामले में एमएलसी सहित तमाम मौरंग व्यवसायी सीबीआई के रडार पर आ गये हैं।

गायत्री के पास अकूत दौलत

राजनीति का सफर शुरू करने के दौरान बीपीएल कार्ड धारक गायत्री प्रजापति के पास आज 942 करोड़ की संपति है। हमीरपुर, फतेहपुर, शामली, सिद्धार्थनगर और देवरिया में हुए अवैध खनन के मामले में सीबीआई ने इन जिलों के अधिकारियों के साथ ही खनन विभाग के कुछ अधिकारियों समेत नेताओं को भी नामजद किया गया है। इस जांच के दायरे में गायत्री प्रजापति भी हैं। सितम्बर 2016 में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश में हुये खनन घोटाले में मंत्री गायत्री प्रजापति का नाम आने पर उन्हें खनन मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था।

दो डीएम को निलंबित करने का भी आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर में कोसी नदी से अवैध खनन को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए दो तत्कालीन डीएम राकेश कुमार सिंह व राजीव रौतेला को सस्पेंड करने का आदेश दिया। साथ ही इनपर अनुशासनिक कार्रवाई करने का आदेश भी जारी किया। दोनों डीएम पर ठेकेदार को अवैध तरीके से लाइसेंस देने और हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन न करने का आरोप है।

सीबीआई की जांच जारी

हमीरपुर जिले में अवैध मौरंग खनन के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बीते वर्ष मौरंग पट्टाधारकों एवं व्यवसायियों का खाता खंगालने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) एमएलसी रमेश मिश्रा के भाई से पूछताछ के बाद उनके मुनीम एवं पूर्व महाधिवक्ता से लम्बी पूछताछ की। सीबीआई का लगातार शिकंजा कसते देख अवैध मौरंग खनन करने वाले लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है। वहीं अवैध मौरंग खनन वाले स्थान की जांच टीम ने पूरी तरह फोटोग्राफी करा ली है।

बसपा नेता संजय दीक्षित तलब

खनन घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ टीम ने दो मई 2017 को जिले के बड़े मौरंग कारोबारी व बसपा नेता संजय दीक्षित को तलब किया। संजय दीक्षित की माता-पिता सहित अन्य परिजनों के नाम करीब एक दर्जन खनन के पट्टे थे। इसी के साथ वह सिंडीकेट के भी हिस्सेदार थे। सीबीआइ ने करीब तीन घंटे तक उनसे पूछताछ कर बयान दर्ज किया। सिंडीकेट संचालक सपा एलएलसी रमेश मिश्रा के मुनीमों को भी तलब कर सिंडीकेट की जानकारी की गई।

इसके अलावा तीन बार जिले के खनन अधिकारी व इसके बाद भू-वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत रह चुके मुईनउद्दीन को सीबीआइ ने तलब कर चार घंटे की लंबी पूछताछ की थी। इसी के साथ जिला पंचायत के अपर मुख्य विकास अधिकारी जेपी मौर्या को भी तलब कर जिला पंचायत के बैरियर व जिला पंचायत की ओर से कराए गए विकास कार्यों में प्रयोग हुई मौरंग की पूछताछ की गई।

इसके बाद बसपा शासनकाल से चला मौरंग सिंडीकेट की जड़ों को सीबीआइ खोजने में लगी है। सीबीआइ की जांच सिंडीकेट पर आधारित है। वह सिंडीकेट चलाने वाले व उसकी जड़ें कहां तक फैली हैं उसकी खोज कर रही है। सूत्रों की मांने तो सीबीआइ को सिंडीकेट से जुटी पूरी जानकारी हो सकती है। इसमें पूर्व खनिज मंत्री गायत्री प्रजापति से लेकर अन्य अधिकारी व नेता लपेटे में हैं। इस कड़ी में आज फिर सीबीआइ ने संजय दीक्षित व एमएलसी रमेश मिश्रा के घर छापेमारी की है।

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