मोबाइल चुराकर खाते से रकम उड़ाने वाला साइबर ठग गिरफ्तार,  जाने शात‍िर ऐसे कैश कराता था पेमेंट

मोबाइल चुराकर खाते से रकम उड़ाने वाला साइबर ठग गिरफ्तार,  जाने शात‍िर ऐसे कैश कराता था पेमेंट

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श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क:

ट्रेन में सफर कर रहे यात्री की जेब से मोबाइल चुराकर उसके ई-वॉलेट से रुपये निकासी करने वाले साइबर ठग को रेल साइबर थाने की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, उसकी पहचान नालंदा के तेलहारा थाना क्षेत्र के विगहा गांव निवासी दयानंद पटेल के रूप में हुई है। वह गिरोह का सदस्य है।मोबाइल चुराने के बाद सरगना इसी के खाते में रुपये ट्रांसफर करता था। दयानंद उन रुपयों को अपने अन्य साथियों के खाते में भेजकर कैश कराता था, जो दिखावा के लिए वहां फोटो स्टेट की दुकान चलाता था।

नालंदा टीम भेजकर आरोपी को किया गिरफ्तार
डीएसपी व रेल पटना साइबर थाना प्रभारी सुशांत कुमार चंचल ने बताया कि तकनीकी अनुसंधान के बाद आरोपित की लोकेशन नालंदा मिली।
पुलिस टीम भेजकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया, उसके अन्य साथियों की तलाश में दबिश दी जा रही है। मूल रूप से सिवान के हुसैनगंज निवासी कमल इकबाल वर्तमान में कोलकाता में इकबालपुर थाना क्षेत्र के अली रोड में रहते हैं। ट्रेन यात्री को लगाई 1 लाख 39 रुपये की चपत
10 नवंबर को वह पलामू एक्सप्रेस से सामान्य कोच से पतरातू से पटन जंक्शन तक यात्रा कर रहे थे। रास्ते में वे सो गए। 11 नवंबर की सुबह उनकी नींद खुली तो गाड़ी तारेगनां रेलवे स्टेशन पार कर रही थी। देखा कि उनकी जेब में रखा मोबाइल गायब है।

मोबाइल से इस्तेमाल नंबर उनके एसबीआइ बैंक खाते से जुड़ा था। बैंक खाता उनके पिता के नाम से था। 13 नवंबर को बैंक गए तो पता चला कि उनके खाते से अवैध रूप से फोन पे के माध्यम से 1 लाख 39 रुपये की निकासी हो गई है।कार्य में व्यस्त होने की वजह से 15 नवंबर को को वापस कोलकाता जाकर फिर से सिम चालू कराया। तब फोन पे ट्रांजेक्शन डिटेल देखा। डिटेल में दयानंद पटेल के नाम से 99 हजार 999 रुपये निशा डिजिटल स्टूडियो के नाम पर 840 रुपये 13 नवंबर को ही ट्रांसफर किया गया था। इसके बाद उन्होंने पटना रेल साइबर थाना में केस किया। वॉलेट में रकम भेजने के बाद नकद लेते गिरफ्तार
दयानंद के खाते में जिसने रकम भेजी, वह भी गिरोह का सक्रिय सदस्य है। जो ट्रेन में यात्री के आसपास बैठकर मदद या बातचीत के क्रम में पहले मोबाइल का पिन कोड देखता है, फिर मौका देख मोबाइल चुराकर फरार हो जाता। मोबाइल के वॉलेट से दयानंद के खाते में रकम भेजता था। दयानंद चार से पांच हजार रुपये कर अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करता था और उनसे इसके बदले नकद लेता था।

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