इस दुनियां मे सभी ऋणों को चुकाया जा सकता है लेकिन माता का ऋण  नहीं चुकाया जा सकता

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श्रीनारद मीडिया, रिजवान उर्फ राजू, सिधवलिया, गोपालगंज (बिहार):

इस दुनियां मे सभी ऋणों को चुकाया जा सकता है लेकिन माता का ऋण चुकाया नहीं जा सकता है l क्योंकि मां ही एक ऐसी कर्जदार है जो अपने को कर्जदार नही समझकर, वह कुल मां समझती है l उक्त बातें सिधवलिया प्रखंड के हरपुर टेंगराही गांव में अयोजित श्री मारूतिनंदन महायज्ञ में प्रवचन देती प्रवचनकर्ता सुश्री सुरभि जी ने कहा l

उन्होंने कहा कि मां जन्म से पूर्व नौ माह तक काफी परेशानी के बावजूद दुःख सहती है, और जन्म के बाद जन्म से बड़ा होने तक काफ़ी परेशानियां झेलती हैं फिर भी कष्ट का अनुभव नहीं करती l वह हमेशा अपने बच्चे को तनिक भी दुःख बर्दास्त नहीं होता है l उसे इस बात का गर्व रहता है कि इस बच्चे का निर्माण मैंने किया है l

प्रवचन के दौरान सुश्री सुरभि जी ने कहा कि मनुष्य रूप में जो गुण आपमें उपल्ब्ध है, उसी आधार पर मनुष्य को अपना प्रर्दशन करना चाहिए ताकि ईश्वर भले आप नहीं हों, लेकिन जो गुण आपमें है, उसी के चलते आप अपनी छाप छोड़ सकते हैं l जैसे श्रीराम धरती पर ईश्वर के रुप में नहीं आए थे, लेकिन अपनी भूमिका को इतना जीवंत कर के निभाया कि लोगों ने उन्हें ईश्वर मानने लगे l प्रवचन के दौरान अधिवक्ता अजय कुमार सिन्हा और तेजेश्वर मिश्र ने प्रवचनकर्ता सुश्रुत तेजसि जी को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया l मौके पर, अंकेश मिश्रा, गुड्डू सिंह, नीरज कुमार, कुंदन दूबे, निखिल कुमार, विवेक कुमार, मुन्ना राय, राहुल सहनी सहित अन्य भक्त उपस्थित थे l

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