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वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों को इलाज करने वाले सभी चिकित्सक देंगे विभाग को सूचना

वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों को इलाज करने वाले सभी चिकित्सक देंगे विभाग को सूचना

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दूषित जल एवं बाहर के भोजन से बच्चों को बचाएं:
अविलंब चिकित्सीय प्रबंधन करेगा आपके चहेते की सुरक्षा:
वायरल बुखार पीड़ित बच्चों का सर्विलांस करना आवश्यक:

श्रीनारद मीडिया, किशनगंज, (बिहार):


जिले में वायरल बुखार से बच्चे पीड़ित हो रहे हैं। इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड में है। सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है। बेड के साथ दवाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गयी है। जिसमें सिविल सर्जन ने कहा कि वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों की सर्विलांस व निगरानी करना अति आवश्यक है। ऐसे में अगर जिले के किसी भी निजी/सरकारी अस्पताल में वायरल बुखार से पीड़ित बच्चा भर्ती होता है तो इसकी सूचना विभाग को देनी होगी। ताकि उन बच्चों को निगरानी की जा सके। सिविल सर्जन ने कहा कि तापमान में अंतर होने पर बच्चों की सेहत पर अधिक असर होता है। संक्रामक रोगों की संभावना बढ़ जाती है। इस मौसम में डायरिया व डिहाइड्रेशन की समस्या बच्चों में अधिक होती है। अस्पताल में ही पूरा इलाज उपलब्ध हो रहा है।

बच्चों के लिए बनाया गया स्पेशल वार्ड:
सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया कि बच्चों में किसी भी प्रकार के बुखार संबंधी जटिलताओं के लक्षण की पहचान कर उसका ससमय प्रबंधन बच्चों को सुरक्षित रखने में सहायक होता है। सदर अस्पताल में वायरल बुखार से ग्रसित बच्चों के लिए स्पेशल वार्ड बनाया गया है जिसमें 40 बेड पूरी तरह से वातानुकूलित एवं पाइपलाइन ऑक्सीजन युक्त है। इसके अलावा सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी ऐसे बुखार से ग्रसित बच्चों के तत्काल उपचार की व्यवस्था अस्पताल में की गयी है। स्वास्थ्य सुविधा को सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने को जिले के सातों प्रखंडों के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सा पदाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है। पीएचसी में कम से कम 10 बच्चों वाला बेड तथा आवश्यक सुविधा उपलब्ध करने का दिशा निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया बच्चा वार्ड का निर्माण चाइल्ड फैंडली डेडिकेटड पेडिएट्रिक वार्ड की तर्ज पर कराया गया है। जिसमें इंटेंसिव केयर यूनिट की भी व्यवस्था रहेगी। वेंटिलेटर तथा अन्य आधुनिक तकनीकी सहायता से यहां जिलेवासियों के चहेते का इलाज किया जाएगा। जिसमें 02 से 05 वर्ष तक के बच्चों के उपचार को आवश्यक चिकित्सीय सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा सदर अस्पताल में एस एन सीयू भी कार्यरत है जहां 0 से 02 माह के नवजात शिशु की गंभीर स्थिति में इलाज किया जाता है।

ओआरएस का घोल देना जरूरी:
किसी भी बीमारी के लक्षण पहचानकर समय पर उपचार जरूरी है। अगर थोड़े समय में पांच से छह बार दस्त या उल्टी होने पर तुरंत ही डाक्टर को दिखाएं। घर पर ओआरएस का घोल व तरल पदार्थ देते रहें लेकिन इससे लाभ न होने पर लापरवाही न करें। बच्चा सुस्त रहे व आंख न खोले, पेट की चमड़ी में ढीलापन आए तो यह डिहाइड्रेशन के लक्षण हैं।

खतरे के संकेतों की पहचान जरूरी:
सिविल सर्जन ने बताया बच्चों को तेज बुखार, बदन में सुस्ती का अनुभव, सांस लेने में परेशानी अथवा सांस बहुत तेज चलना, लगातार सर्दी का बना रहना और सांस लेने में आवाज सुनाई दे तो ये वायरल बुखार के लक्षण हो सकते हैं। बुखार से ग्रसित होने पर गले में दर्द रहना और मुंह में छालों की भी समस्या देखी जा रही है। इन लक्षणों के नजर आते ही त्वरित चिकित्सीय प्रबंधन की जरूरत होती है।

इन बातों का रखें ख्याल:
• घर के बाहर तेज धूप या तेज बारिश में जाने से बचाएं।
• पानी उबालकर पिलाएं।
• फास्ट फूड व जंक फूड खाने से बचाएं।
• सड़े गले या अधिक पके फल न खिलाएं।
• हमेशा घर का बना ताजा व तरल भोजन ही खिलाएं।
• सत्तू, दलिया, उपमा, दूध-केले, थोड़ा दही, ओआरएस पावडर आदि दें।
• मच्छरों से बचाने के लिए पूरी बांह के कपड़े व सोते समय मच्छरदानी लगाएं।
• बच्चे को पानी की कमी न होने दें।

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