ममता के चहेते आलापन पर भ्रष्टाचार के आरोप-नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुख्य सलाहकार आलापन बंद्योपाध्याय पर छिड़ा सियासी महाभारत थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने आलापन बंद्योपाध्याय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. शुभेंदु अधिकारी राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात करने पहुंचे. इस दौरान शुभेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के रिजल्ट (Post Poll Violence) के बाद जारी हिंसा को लेकर राज्यपाल से बातचीत की. इसके अलावा सीएम के मुख्य सलाहकार आलापन बंद्योपाध्याय पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग की.
टीएमसी के लिए काम करे आलापन: शुभेंदु
नंदीग्राम सीट से बीजेपी विधायक शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया है कि आलापन बंद्योपाध्याय 31 मई को रिटायर हो गए. रिटायर होने तक वो केंद्र सरकार के कर्मचारी थे. अब रिटायरमेंट के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुख्य सलाहकार का पद संभाल लिया है. इसके साथ ही वो टीएमसी के लिए काम करने लगे हैं. शुभेंदु अधिकारी के मुताबिक आलापन बंद्योपाध्याय ने कई भ्रष्टाचार किए हैं. इसकी जांच की जानी चाहिए. उन्होंने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को ज्ञापन सौंपकर आलापन बंद्योपाध्याय के खिलाफ जांच करने और कड़ी कार्रवाई की मांग भी की है.
राज्यपाल से मुलाकात के बाद नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए बंगाल की ममता सरकार को कठघरे में खड़ा किया. शुभेंदु अधिकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल का हर हिस्सा हिंसा की आग से जल रहा है. पिछले साल कोरोना संकट की शुरुआत में सीएम ममता बनर्जी ने नकली किट की खरीदारी कराई. उसकी जांच के लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया था. उस कमेटी के अध्यक्ष आलापन बंद्योपाध्याय थे. आज तक उस कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है. मुख्यमंत्री अपने चहेतों को बचाने का काम कर रही हैं.
‘अंडाल एयरपोर्ट की जमीन में भी भ्रष्टाचार’
शुभेंदु अधिकारी के मुताबिक अंडाल एयरपोर्ट के लिए ली गई किसानों की 2,300 एकड़ जमीन में भी घोटाला किया गया है. उस समिति के प्रभारी आलापन बंद्योपाध्याय थे. पहले सरकार की हिस्सेदारी बढ़ाकर 11 प्रतिशत की गई. उसके बाद 28 और फिर 48 प्रतिशत कर दी गई. इसमें घोटाला हुआ है. केंद्र सरकार के पैसे का दुरुपयोग भी किया गया है. सीएम ममता बनर्जी नहीं चाहती हैं कि उनके अपनों पर कानूनी शिकंजा कसे. लिहाजा वो मामले को दबाने में जुटी हैं.
आलापन बंद्योपाध्याय को केंद्र द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करने पर कानूनी विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है. कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि यह कदम टिकने वाला नहीं है. वहीं अन्य का कहना है कि सेवा नियमों के उल्लंघन को लेकर कार्रवाई शुरू की जा सकती है.
केंद्र और ममता बनर्जी सरकार के बीच खींचतान के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के सख्त प्रावधान के तहत आलापन बंद्योपाध्याय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इस प्रावधान के तहत दो साल तक की कैद हो सकती है.
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वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि कारण बताओ नोटिस कानूनी कसौटी पर टिकने वाला नहीं है. त्रिपुरा के महाधिवक्ता रह चुके माकपा नेता विकास रंजन ने कहा, ‘किसी बैठक में अनुपस्थिति किसी भी तरह से आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी निर्देशों का उल्लंघन नहीं है, इसलिए जारी किया गया कारण बताओ नोटिस कानूनी कसौटी पर टिकने वाला नहीं है.’
उनकी बात का प्रतिवाद करते हुए वकील लोकनाथ चटर्जी ने कहा कि आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई नहीं करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. उन्होंने कहा, ‘…यह उनके सेवा नियमों और आपदा प्रबंधन कानून का उल्लंघन है. एक वरिष्ठ प्राधिकार द्वारा ऐसा करने के लिए कहे जाने के बावजूद उन्होंने बैठक में भाग नहीं लिया.’
वहीं एक अन्य वकील जयंत नारायण चटर्जी ने कहा कि आपदा प्रबंधन कानून की धारा 51-बी के तहत कारण बताओ नोटिस जारी करने का कोई प्रावधान नहीं है. ज्ञात हो कि गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा सोमवार को आलापन बनर्जी की सेवानिवृत्ति की घोषणा से कुछ घंटे पहले उन्हें आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51-बी के तहत नोटिस भेजा गया. मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि आलापन से तीन दिन के अंदर नोटिस का जवाब देने को कहा गया है.
क्या है विवाद
पश्चिम बंगाल काडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी आलापन बंद्योपाध्याय 60 वर्ष के होने पर सोमवार (31 मई) को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन केंद्र ने उन्हें तीन महीने का कार्य विस्तार दिया था. इसके बाद, केंद्र ने एक आकस्मिक फैसले में 28 मई को आलापन बनर्जी की सेवाएं मांगी थीं और राज्य सरकार को प्रदेश के शीर्ष नौकरशाह को तत्काल कार्यमुक्त करने को कहा था.
ममता ने आलापन को बनाया सीएम का मुख्य सलाहकार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले पर सोमवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और आलापन को सेवानिवृत्त होने की अनुमति देने के बाद उन्हें तीन साल के लिए अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त कर दिया. आलापन बंद्योपाध्याय को तीन दिन में गृह मंत्रालय को लिखित में यह बताने के लिए कहा गया है कि उनके खिलाफ अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई क्यों न की जाये.
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