कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच हुआ गठबंधन,कैसे ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच औपचारिक रूप से गठबंधन का एलान हो गया। पहले दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान चल रही थी और कांग्रेस के साथ एक-एक कर पार्टियां दूरी बना रही थी, लेकिन अंतत: समाजवादी पार्टी ने अपने पुराने सहयोगी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का मन बना लिया और सीट शेयरिंग फॉर्मूला भी तय हो गया, लेकिन यह फॉर्मूला गांधी परिवार के दखले के बाद ही तय हो पाया है।
सीट शेयरिंग फॉर्मूला
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 17 सीटों पर कांग्रेस अपने उम्मीदवारों को उतारेगी, जबकि बाकी बची 63 सीटों पर समाजवादी पार्टी और आईएनडीआईए के अन्य दल अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारेंगे। सपा-कांग्रेस की संयुक्त प्रेस वार्ता में इसका एलान हुआ।
इनसाइड स्टोरी
कांग्रेस-सपा के बीच गठबंधन को लेकर मंगलवार तक गतिरोध जारी रहा, लेकिन बुधवार की सुबह गांधी परिवार के एक सदस्य की सूझबूझ के दम पर गठबंधन तय हो सका और दोनों दलों के बीच का गतिरोध समाप्त हुआ। साथ ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सार्वजनिक तौर पर यह कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात पर अपनी मुहर लगाई। दरअसल, पत्रकारों ने मुरादाबाद में अखिलेश यादव से सवाल किया कि क्या कांग्रेस के साथ होगा या नहीं? इस पर उन्होंने कहा- होगा।
गांधी परिवार का दखल और गठबंधन तय
सनद रहे कि सपा ने मंगलवार को आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर पांच उम्मीदवारों की तीसरी लिस्ट जारी की थी और ऐसा माना जा रहा था कि कांग्रेस की सपा के साथ बात नहीं बनने वाली है, क्योंकि कांग्रेस और मायावती के नेतृत्व वाली बसपा के बीच गठबंधन को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन गांधी परिवार के दखल के बाद स्थिति बदली और पार्टी की सपा के साथ दूरियां कम होने लगी।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की अखिलेश यादव से बातचीत के बाद सहमति बनी। दोनों नेताओं के बीच फोन पर बात हुई और मंगलवार तक जारी गतिरोध समाप्त हो गया। प्रियंका के साथ बातचीत के बाद अखिलेश का बयान भी सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा कि सपा का कांग्रेस से कोई विवाद नहीं है।
बसपा के साथ अब राह नहीं होगी आसान
सपा और बसपा ने पिछला लोकसभा चुनाव एकसाथ मिलकर लड़ा था, लेकिन इस बार बसपा के साथ किसी भी परिस्थिति में सपा साथ नहीं आने वाली है। तभी तो बसपा नामक बादल छटने के बाद अखिलेश यादव की नजदीकियां कांग्रेस के साथ बढ़ गईं। जब पत्रकारों ने कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय के बसपा के लिए कांग्रेस के दरवाजे खुले हैं वाले बयान का जिक्र किया तो इस पर अखिलेश यादव ने कहा कि अब यह सब बात पुरानी हो गया। अखिलेश यादव के इस बयान से यह तो स्पष्ट है कि बसपा के लिए संभवत: कांग्रेस के दरवाजे बंद हो गए हैं।
ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल के साथ गठबंधन की चाह रखने वाली कांग्रेस को कम से कम अखिलेश यादव की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने क्रमश: पश्चिम बंगाल और पंजाब को लेकर एकला चलो की राह अपनाई है और यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था, लेकिन उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों को लेकर अखिलेश यादव के साथ कांग्रेस की बात बनती हुई नजर आ रही है।
अब मध्य प्रदेश को लेकर भी बनी बात
उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप के बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन तय माना जा रहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी मुरादाबाद में कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात को स्वीकार कर लिया है और इस बात की पुष्टि की कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन होगा।
मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर कांग्रेस और एक सीट पर सपा चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस ने सपा को खजुराहो संसदीय सीट देने का एलान किया। ऐसे में अब दोनों दल मिलकर उत्तर प्रदेश के साथ ही मध्य प्रदेश में अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे।
सपा-कांग्रेस सीट शेयरिंग फॉर्मूला
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की लोकसभा सीटों को लेकर सपा-कांग्रेस के बीच सहमति बन गई है। उत्तर प्रदेश की 80 में से 17 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। वहीं, मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर कांग्रेस और एक सीट पर समाजवादी पार्टी चुनाव लड़ेगी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस ने खजुराहो सीट समाजवादी पार्टी को देने का निर्णय लिया है।
कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि यह निर्णय लिया गया है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बाकी 63 सीटों पर I.N.D.I.A के उम्मीदवार होंगे- सपा और अन्य दलों से।
सनद रहे कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो पाया था। इससे पार्टी खफा थी, लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर दोनों के बीच सहमति बन गई है।