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कैंसर के साथ ही लोगों को अन्य गैर संचारी रोगों के प्रति भी सतर्क रहने की जरूरत - श्रीनारद मीडिया

कैंसर के साथ ही लोगों को अन्य गैर संचारी रोगों के प्रति भी सतर्क रहने की जरूरत

कैंसर के साथ ही लोगों को अन्य गैर संचारी रोगों के प्रति भी सतर्क रहने की जरूरत

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04 फरवरी को जिले में मनाया जाएगा विश्व कैंसर दिवस:
कैंसर के साथ रक्तचाप, मधुमेह, मोतियाबिंद, अल्जाइमर, हृदय रोग की प्रमुख गैर संचारी रोग:
गैर संचारी रोगों से सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में होती है नियमित जांच:

श्रीनारद मीडिया‚ पूर्णिया,  (बिहार):


जिले में 04 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाएगा । जिसके तहत जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में 04 से 10 फरवरी तक निःशुल्क कैंसर रोग परामर्श शिविर का आयोजन किया जाएगा। कैंसर के अलावा बहुत सी अन्य गैर संचारी बीमारियां भी हैं जो सामान्य लोगों को अपनी गिरफ्त में ले सकती हैं। इसमें मुख्य रूप से उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन), मधुमेह (डाइबिटीज), मोतियाबिंद, हृदय रोग, अल्जाइमर आदि शामिल हैं। इन बीमारियों से सुरक्षा के लिए लोगों को नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाना आवश्यक है जिसके लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में निःशुल्क व्यवस्था उपलब्ध है।

गैर संचारी रोगों के कारण एवं बचाव के उपाय की जानकारी आवश्यक:
जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. वी.पी. अग्रवाल ने बताया लोगों को गैर संचारी रोगों के कारण एवं बचाव के उपायों की जानकारी होना आवश्यक है। गैर संचारी रोगों की जानकारी लोगों को देर से होती है जिससे उन्हें स्वस्थ होने में बहुत मुश्किल होता है। इससे सुरक्षित रहने के लिए लोगों को नियमित अपनी स्वास्थ्य जांच करवाते रहना चाहिए।

स्वास्थ्य केंद्रों में हो रही है गैर संचारी रोगों की जांच:
गैर संचारी रोग के जिला वित्तीय सलाहकार केशव कुमार ने कहा लोगों की नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए जिले के कुछ चिह्नित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अलग से गैर संचारी रोग क्लीनिक की स्थापना कर वहां विशेष रूप से गैर संचारी रोगों की जांच की जा रही है। उसमें अनुमंडलीय अस्पताल धमदाहा व बनमनखी के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कसबा, भवानीपुर व बैसा शामिल हैं। अन्य प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी ओपीडी में चिकित्सकों द्वारा गैर संचारी रोगों की जांच की जाती है।

ये हैं प्रमुख गैर संचारी रोग:
कैंसर – शरीर के किसी अंग में असामान्य सूजन, गांठ या कड़ापन, तिल, मस्से के आकार या रंग में परिवर्तन, ना खत्म होने वाला घाव, लगातार बुखार या वजन में कमी, 4 हफ्ते से अधिक समय तक अकारण दर्द, मूत्र विसर्जन में कठिनाई या दर्द का होना, 3 सप्ताह से अधिक लगातार खांसी या आवाज में परिवर्तन, मुँह के छाले या पैच का होना जिसका 2 सप्ताह से अधिक समय तक ठीक नहीं होना, असामान्य रक्त प्रवाह, मासिक धर्म पश्चात भी रक्त का बहना, 4-6 सप्ताह या उससे ज्यादा समय तक बार-बार दस्त होना, स्तन के आकार में परिवर्तन या रक्त का रिसाव आदि कैंसर के प्रमुख संकेत हैं। उक्त प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर लोगों को तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए और उनके बताए गए सलाह के आधार पर ही जांच व दवा लेनी चाहिए।

उच्च रक्तचाप – इसके प्रमुख कारणों में अत्यधिक नमक का सेवन, शराब/तम्बाकू का सेवन, ज्यादा वजन या मोटापा, तनाव, गुर्दा की बीमारी आदि हो सकती है। परिवार के किसी अन्य सदस्य के उच्च रक्तचाप का इतिहास भी लोगों को अपना शिकार बना सकती है। इससे बचाव हेतु वजन का नियंत्रित रखना, शारीरिक गतिविधियों में वृद्धि, तनाव से बचना, शराब/ तम्बाकू का सेवन वर्जित रखना, संतुलित आहार, फल, सब्जियों का सेवन, तेल, घी व नमक का सेवन कम करना, रक्तचाप की नियमित जांच करवाना आवश्यक है।

मधुमेह- मधुमेह के प्रमुख लक्षणों में बार-बार पेशाब का लगना, लगातार वजन घटना, हमेशा संक्रमण होना, ज्यादा भूख लगना आदि होता है। इससे बचाव के लिए नियमित शर्करा, गुर्दे, आंखों एवं पैरों की जांच कराना, वजन एवं रक्तचाप पर नियंत्रण रखना, कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने न देना, मदिरा/तम्बाकू का सेवन न करना, संतुलित आहार का सेवन, नियमित व्यायाम जैसे- तैरना, साइकिल चलाना, सुबह के समय में सैर करना इत्यादि है।

लकवा, यह एक प्रकार का मस्तिष्क का दौरा है। मस्तिष्क के किसी भाग में रक्त का थक्का बनने या रक्त वाहिनी में किसी तरह का दरार होने के कारण मस्तिष्क के किसी भाग में रक्त के न पहुंचने से लकवा हो सकता है। इसके प्रमुख कारणों में धूम्रपान, मदिरा सेवन, मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग आदि हो सकता है। इसकी रोकथाम के लिए रक्तचाप की नियमित जांच, मधुमेह नियंत्रण, तनाव से मुक्ति, नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार का सेवन, धूम्रपान/मदिरा से परहेज आदि हो सकता है।

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