बिहार में फर्जी प्रमाण पत्र पर नियोजित 77 हजार 57 शिक्षकों पर बर्खास्तगी के साथ-साथ प्राथमिकी भी दर्ज होगी
श्रीनारद मीडिया, राकेश सिंह, स्टेट डेस्क, पटना :
बिहार के सरकारी विद्यालयों में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियोजित 77 हजार 57 शिक्षकों पर बर्खास्तगी के साथ-साथ प्राथमिकी भी दर्ज होगी। पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर विजिलेंस ब्यूरो ने प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी है क्योंकि शिक्षकों से कई बार प्रमाण पत्र मांगे जाने पर भी उसे उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। जांच के लिए निगरानी विभाग को 77 हजार 57 शिक्षकों के सर्टिफिकेट के फोल्डर नहीं मिले है। न्यायालय के आदेश के आलोक में शिक्षा विभाग ने प्रमाण पत्र के फोल्डर नहीं देने वाली नियोजन इकाइयों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दे रखा है।
शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी के अनुसार विजिलेंस ब्यूरो ने शिक्षकों के विरुद्ध आगे की कार्रवाई हेतु अनुमति मांगी है। विभाग ने मेधा सूची के आधार पर शिक्षकों के अंक पत्र की जांच करने का आदेश दिया है। साथ ही विभाग ने संबंधित नियोजन इकाइयों के सचिवों पर भी विभागीय कार्रवाई करने का फैसला लिया है। इसके बारे में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किया गया है।
न्यायालय के आदेश के आलोक में इस बात की भी जांच की जाएगी कि त्याग पत्र देने वाले फर्जी सर्टिफिकेटधारी शिक्षक किसी अन्य नियोजन इकाई के माध्यम से दूसरे विद्यालय में कार्य तो नहीं कर रहे हैं। 2121 शिक्षक, पंचायत सचिव, जन प्रतिनिधि व अधिकारी पर केस विजिलेंस ब्यूरो द्वारा जिन नियोजित शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के सर्टिफिकेट की निगरानी जांच की जा रही है, उनकी संख्या 3 लाख 52 हजार 927 है। इनमें 2 लाख 75 हजार 870 शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के सर्टिफिकेट से संबंधित फोल्डर मिल चुके हैं। निगरानी को उपलब्ध कराये गये 7 लाख 95 हजार 407 सर्टिफिकेट में से 5 लाख 24 हजार 680 सर्टिफिकेट की जांच हो चुकी है। जबकि जांच के लिए लंबित सर्टिफिकेट की संख्या 2 लाख 70 हजार 727 है। जांच में 1824 सर्टिफिकेट फर्जी पाये गए हैं। 951 मामले में अब तक प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। 2 हजार 121 शिक्षक, पंचायत सचिव, जन प्रतिनिधि और अधिकारी पर प्राथमिकी करायी गयी है।
वहीं इस संबंध में बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ पचरूखी प्रखंड के अंचल सचिव जयप्रकाश सिंह ने बताया कि शिक्षकों ने दर्जनों बार अपना प्रमाण पत्र सौंपा है।परंतु विभागीय अधिकारियों की मनमानी के कारण बार बार शिक्षकों को परेशानी उठानी पड़ती है।सरकार की मंशा फर्जीवाड़ा करने वालों को हटाने की नहीं बल्कि सही लोगों को प्रताड़ित करने की है।
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