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Amarnath yatra:31 अगस्त तक भक्त करेंगे भोलेनाथ के दर्शन - श्रीनारद मीडिया

Amarnath yatra:31 अगस्त तक भक्त करेंगे भोलेनाथ के दर्शन

Amarnath yatra:31 अगस्त तक भक्त करेंगे भोलेनाथ के दर्शन

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अमरनाथ यात्रा इस साल 1 जुलाई से शुरू होगी। सरकार ने शुक्रवार को शेड्यूल जारी किया। पहला जत्था 30 जून को जम्मू से रवाना किया जाएगा। यात्रा इस बार 31 अगस्त तक चलेगी। 62 दिनों की यात्रा को लेकर सुरक्षा व्यवस्था भी सरकार मजबूत करने में जुट चुकी है। 17 अप्रैल से ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड के माध्यम से रजिस्ट्रेशन शुरू होगा।

जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने कहा है कि यात्रा को सुगम और आसान बनाने के लिए सरकार सभी प्रकार के इंतजाम कर रही है। प्रदेश में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।

तीर्थयात्रा शुरू होने से पहले दूरसंचार सेवाओं को और बेहतर तरीके से संचालित किया जाएगा। शेड्यूल जारी होने के बाद यात्रियों और भंडारा संचालकों में खुशी है। वहीं आज से सिविल अस्पताल लुधियाना में भी विशेष डॉक्टर अमरनाथ यात्रियों के मेडिकल के लिए बैठने शुरू हो जाएंगे, ताकि यात्रियों का मेडिकल करवा पंजीकरण हो सके।

गुफा में बर्फ से बना शिवलिंग।
गुफा में बर्फ से बना शिवलिंग।

लंगर कमेटियों ने भी बैठकें की शुरू
अमरनाथ यात्रा की पहले से लंगर कमेटियों ने तैयारियां शुरू कर दी है। श्री अमरनाथ सेवा समिति, बाबा अमरनाथ लंगर कमेटी आदि ने बैठकें करनी शुरू कर दी हैं। लंगर कमेटियों द्वारा जून 10 के बाद से ही भक्तों के लिए रसद सामग्री आदि पहलगाम, बालटाल व अन्य जगहों पर पहुंचाना शुरू कर दिया जाता है। बड़े स्तर पर यात्रियों की सेवा के लिए पूरे भारत वर्ष से लंगरों का खास प्रबंध किया जाता है।

इन खाद्य सामग्री पर रह सकती पाबंदी
पनीर, हैवी पुलाव, तले चावल, पूरी, भटूरा, पिज्जा, बर्गर, भरवां परांठा, डोसा, भरवां रोटी, मक्खन के साथ ब्रेड, क्रीम आधारित खाद्य पदार्थ, अचार, तला पापड़, चटनी, नूडल्स, कोल्ड ड्रिंक, हलवा, मिठाइयां, खोये की कुल्फी, चिप्स, मट्ठी, नमकीन, पकौड़े, समोसे, फ्राइड ड्राई फ्रूट व डीप फ्रीज पर पाबंदी रह सकती है। इसके अलावा मांसाहारी भोजन, तंबाकू, गुटखा व पान मसाला आदि पर पिछले वर्ष 2022 की तरह ही इस बार भी सख्ती रहने की उम्मीद है। फिलहाल अभी लंगर कमेटियों भी इस बार भक्तों के लिए परोसे जाने वाले पकवानों को लेकर विचार चर्चा करने की तैयारी में है।

क्या है अमरनाथ धाम और उसका महत्व?
अमरनाथ धाम जम्मू-कश्मीर में हिमालय की गोद में स्थित एक पवित्र गुफा है, जो हिंदुओं का सबसे पवित्र स्थल है। माना जाता है कि अमरनाथ स्थित पवित्र गुफा में भगवान शिव एक बर्फ-लिंगम यानी बर्फ के शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। बर्फ से शिवलिंग बनने की वजह से इसे ‘बाबा बर्फानी’ भी कहते हैं।

पवित्र गुफा ग्लेशियरों, बर्फीले पहाड़ों से घिरी हुई है। गर्मियों के कुछ दिनों को छोड़कर यह गुफा साल के अधिकांश समय बर्फ से ढकी रहती है। गर्मियों के उन्हीं दिनों में यह दर्शन के लिए खुली रहती है।

अमरनाथ यात्रा के दौरान कई लोग घोड़ों पर बैठकर पवित्र गुफा तक पहुंचते हैं।
अमरनाथ यात्रा के दौरान कई लोग घोड़ों पर बैठकर पवित्र गुफा तक पहुंचते हैं।

खास बात ये है कि इस गुफा में हर वर्ष बर्फ का शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनता है। बर्फ का शिवलिंग, गुफा की छत में एक दरार से पानी की बूंदों के टपकने से बनता है। बेहद ठंड की वजह से पानी जम जाता है और बर्फ के शिवलिंग का आकार ले लेता है। यह दुनिया का एकमात्र शिवलिंग है, जो चंद्रमा की रोशनी के आधार पर बढ़ता और घटता है। यह शिवलिंग श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पूरा होता है और उसके बाद आने वाली अमावस्या तक आकार में काफी घट जाता है। ऐसा हर साल होता है।

इसी बर्फ के शिवलिंग के दर्शन के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु अमरनाथ की पवित्र गुफा की यात्रा करते हैं। बर्फ के शिवलिंग के बाईं और दो छोटे बर्फ के शिवलिंग बनते हैं, उन्हें मां पार्वती और भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है।

जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में अमरनाथ
अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में 17 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले अमरनाथ पर्वत पर स्थित है। अमरनाथ गुफा श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर दक्षिण कश्मीर में है। ये पहलगाम से 46-48 किलोमीटर और बालटाल से 14-16 किलोमीटर दूर है। यहां केवल पैदल, घोड़ों या हेलिकॉप्टर द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। तीर्थयात्री पहलगाम से 46-48 किलोमीटर या बालटाल से 14-16 किलोमीटर की दूरी की खड़ी, घुमावदार पहाड़ी रास्ते से गुजरते हुए यहां पहुंचते हैं।

क्या है अमरनाथ यात्रा का पुराना और नया रास्ता?
अमरनाथ यात्रा का मार्ग समय के साथ बदलता रहा है। इस इलाके में सड़कों के निर्माण के साथ ही यात्रा मार्ग में भी बदलाव हुआ है। अब अमरनाथ की यात्रा के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता पहलगाम से शुरू होता है, जो करीब 46-48 किलोमीटर लंबा है। इस रास्ते से यात्रा करने में 5 दिन का समय लगता है। वहीं दूसरा रास्ता बालटाल से शुरू होता है, जहां से गुफा की दूरी 14-16 किलोमीटर है, लेकिन खड़ी चढ़ाई की वजह से इससे जा पाना सबके लिए संभव नहीं होता, इस रास्ते से यात्रा में 1-2 दिन का समय लगता है।

अमरनाथ यात्रा पर हुए हैं 36 आतंकी हमले

  • अमरनाथ तीर्थयात्रियों को पहली धमकी 1993 में पाकिस्तान स्थित हरकत-उल-अंसार आतंकी संगठन की ओर से दी गई थी।
  • अमरनाथ यात्रा पर पहला आतंकी हमला 2000 में हुआ था। इनमें 32 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 21 तीर्थयात्री थे।
  • 2001 में तीर्थयात्रियों के कैंप पर आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई थी।
  • 2002 में दो आतंकी हमलों में 11 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी। 2017 में आतंकियों की गोलीबारी में 8 तीर्थयात्री मारे गए थे।
  • 2017 में सरकार ने लोकसभा में बताया था कि 1990 से 2017 तक यानी 27 वर्षों में अमरनाथ यात्रा पर 36 आतंकी हमले हुए, जिनमें 53 तीर्थ यात्रियों की मौत हुई। जबकि 167 घायल हुए।

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