अमरनाथ यात्रा:62 दिन में करीब साढ़े 4 लाख श्रद्धालु पवित्र गुफा पहुंचे
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
1 जुलाई 2023 से शुरू हुई बाबा अमरनाथ की 62 दिन की यात्रा 31 अगस्त यानी गुरुवार को समाप्त हो गई। यात्रा के आखिरी दिन अमरनाथ गुफा में विराजमान भगवान शिव को पवित्र छड़ी सौंपी गई। छड़ी मुबारक भगवा कपड़े में लिपटी भगवान शिव की पवित्र छड़ी है।
अधिकारियों के मुताबिक, 26 अगस्त को श्रीनगर के एक अखाड़े से महंत दीपेंद्र गिरि के नेतृत्व में निकले साधुओं ने 42 किलोमीटर की यात्रा के बाद गुरुवार की सुबह गुफा में पूजा-अर्चना की। इसके बाद उगते सूरज के साथ छड़ी मुबारक पवित्र गुफा में स्थापित की। इसे फिर वापस श्रीनगर लाया जाएगा।
बालटाल और पहलगाम के रास्ते शुरु हुई अमरनाथ यात्रा में इस साल 4 लाख 45 हजार 338 लोगों ने पवित्र गुफा के दर्शन किए। पिछले साल 3 लाख 65 हजार से अधिक श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल हुए थे। इस साल यात्रा के दौरान 62 लोग घायल हुए, जबकि 48 लोगों की मौत हो गई। जिसमे भक्त और सेवा देने वाले शामिल थे।
यात्रा संपन्न होने के बाद दोनों रास्तों पर सफाई अभियान चलेगा
रिपोर्ट के मुताबिक, अमरनाथ यात्रा संपन्न होने के बाद इसके दोनों रास्तों पर सफाई का अभियान चलेगा। अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के सदस्य और स्थानीय लोग रास्तों को साफ करेंगे। बाबा बर्फानी की गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। पहला पहलगाम, ये पारंपरिक रास्ता है, जिसकी चढ़ाई आसान है। करीब 47 किमी के इस रास्ते को तय करने में 2-3 तीन दिन लग जाते हैं।
दूसरा रास्ता है वाया बालटाल। ये नया ट्रैकिंग रूट है, जो 14 किमी यानी पहलगाम के मुकाबले आधे से भी कम है। इसकी चढ़ाई एक दिन में की जा सकती है।
पिछले साल दर्शन करने आए श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड 6 अगस्त को टूटा था
इस साल 1 जुलाई को शुरू हुई अमरनाथ यात्रा ने 37 दिन बाद 6 अगस्त को पिछले साल दर्शन करने आए श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस तारीख तक लगभग 4 लाख 17 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। जबकि पिछले साल पूरे सीजन में 3 लाख 65 हजार यात्रियों ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे।
क्या है अमरनाथ धाम और उसका महत्व?
अमरनाथ धाम जम्मू-कश्मीर में हिमालय की गोद में स्थित एक पवित्र गुफा है, जो हिंदुओं का सबसे पवित्र स्थल है। माना जाता है कि अमरनाथ स्थित पवित्र गुफा में भगवान शिव एक बर्फ-लिंगम यानी बर्फ के शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। बर्फ से शिवलिंग बनने की वजह से इसे ‘बाबा बर्फानी’ भी कहते हैं।
पवित्र गुफा ग्लेशियरों, बर्फीले पहाड़ों से घिरी हुई है। गर्मियों के कुछ दिनों को छोड़कर यह गुफा साल के अधिकांश समय बर्फ से ढकी रहती है। गर्मियों के उन्हीं दिनों में यह दर्शन के लिए खुली रहती है
खास बात ये है कि इस गुफा में हर वर्ष बर्फ का शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनता है। बर्फ का शिवलिंग, गुफा की छत में एक दरार से पानी की बूंदों के टपकने से बनता है। बेहद ठंड की वजह से पानी जम जाता है और बर्फ के शिवलिंग का आकार ले लेता है। यह दुनिया का एकमात्र शिवलिंग है, जो चंद्रमा की रोशनी के आधार पर बढ़ता और घटता है। यह शिवलिंग श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पूरा होता है और उसके बाद आने वाली अमावस्या तक आकार में काफी घट जाता है। ऐसा हर साल होता है।
इसी बर्फ के शिवलिंग के दर्शन के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु अमरनाथ की पवित्र गुफा की यात्रा करते हैं। बर्फ के शिवलिंग के बाईं और दो छोटे बर्फ के शिवलिंग बनते हैं, उन्हें मां पार्वती और भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है।
जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में अमरनाथ
अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में 17 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले अमरनाथ पर्वत पर स्थित है। अमरनाथ गुफा श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर दक्षिण कश्मीर में है। ये पहलगाम से 46-48 किलोमीटर और बालटाल से 14-16 किलोमीटर दूर है।
यहां केवल पैदल, घोड़ों या हेलिकॉप्टर द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। तीर्थयात्री पहलगाम से 46-48 किलोमीटर या बालटाल से 14-16 किलोमीटर की दूरी की खड़ी, घुमावदार पहाड़ी रास्ते से गुजरते हुए यहां पहुंचते हैं।
- यह भी पढ़े…………………
- स्थानीय निकाय में OBC आरक्षण,कहाँ?
- रक्षा बंधन के दिन विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति नहीं होने से दिखी उदासी
- Article 370: केंद्र जम्मू-कश्मीर में किसी भी समय चुनाव करने को तैयार