अमेरिका ने आज के ही दिन नागासाकी पर बम गिराया था,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान लगातार हमले कर रहा था। जापान उस समय भी एक शक्तिशाली देश माना जाता था। साल 1939 में शुरू हुए द्वितीय विश्व युद्ध को छह साल हो चुके थे, लेकिन जंग थमने का नाम नहीं ले रहा था। ऐसे में अमेरिका ने छह अगस्त 1945 को जापान के शहर हिरोशिमा में परमाणु बम गिराया और फिर ठीक तीन बाद नौ अगस्त को नागासाकी में भी बम गिराकर जापान को सरेंडर करने पर मजबूर कर दिया।

नागासाकी में जो परमाणु बम गिराया गया था, उसका नाम फैट-मैन था। नौ अगस्त की सुबह 11 बजे के करीब नागासाकी में परमाणु विस्फोट हुआ। इस परमाणु बम का असर ऐसा था कि वहां के लोगों को सोचने तक का समय नहीं मिला कि ये क्या हुआ। सभी लोग मौत की चपेट में आ गए। नागासाकी शहर पहाड़ो से घिरा होने के कारण  करीब 6.7 वर्ग किलोमीटर के इलाके में ही तबाही का मंजर देखने को मिला, जिसमें कम से कम 75 हजार लोगों की मौत हो गई थी।

परमाणु बम का असर ऐसा दिखा की कई सालों तक जापान के इस शहर में रहने वाले लोग विकिरण बीमारी, जलन और अन्य घावों के कारण मरते रहे। इस हमले से हिरोशिमा में कुल एक लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
इस तबाही को देखते हुए जापान ने परमाणु शक्ति के शांतिपूर्ण इस्तेमाल और कभी परमाणु बम नहीं बनाने का संकल्प लिया। जापान के दो शहर को तबाह करने के बाद आज तक अमेरिका ने इसके लिए माफी नहीं मांगी है।

कुछ दिनों में यामागुची पर परमाणु धमाके से निकली रेडिएशन ने असर दिखाना शुरू किया। उनके सारे बाल झड़ गए, बांहों में गैंगरीन हो गया और उन्हें लगातार उल्टियां होने लगीं।15 अगस्त को जब जापान के सम्राट हिरोहितो ने एक रेडियो संदेश में देश के सरेंडर करने की घोषणा की, तब भी वह अपने परिवार के साथ एक बॉम्ब शेल्टर में थे।

अमेरिका ने पहले 6 अगस्त 1945 को जापान के शहर हिरोशिमा को अपना निशाना बनाया और वहीं परमाणु बम गिरा दिया. इस बम धमाके ने शहर के 13 वर्ग किलोमीटर तक भारी तबाही मचाई. इसके तीन दिन बाद यानी 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापानी शहर नागासाकी पर एक और परमाणु बम गिराकर जापान को अपनी ताकत दिखाई. इसके बाद जापान को आत्मसमर्पण करने को मजबूर होना पड़ा. बताया जाता है कि नागासाकी पर हमला करना तय नहीं था, लेकिन ऐसा कुछ हुआ जिसने अमेरिका को नागासाकी पर बम गिराने को मजबूर कर दिया.

क्यों नागासाकी पर गिराना पड़ा बम

8 अगस्त, 1945 की रात बीत चुकी थी, अमरीका के बमवर्षक बी-29 सुपरफोर्ट्रेस बॉक्स पर एक बम लदा हुआ था. यह बम किसी भीमकाय तरबूज़ की तरह दिखाई देता था. जिसका वजन 4050 किलोग्राम था. बम का नाम विंस्टन चर्चिल के सन्दर्भ में ‘फ़ैट मैन’ रखा गया. इस बम के निशाने पर औद्योगिक नगर कोकुरा था इस नगर में ही जापान की सबसे बड़ी और सबसे अधिक गोला-बारूद बनाने वाली फैक्टरियां मौजूद थी.

9 अगस्त की सुबह 9.50 बजे नीचे कोकुरा नगर दिखाई दे रहा था. इस वक्त B-29 विमान 31,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर रहा था. फैट मैन को इसी ऊंचाई से गिराया जाना तय हुआ था. लेकिन कोकुरा के ऊपर बादल छाए हुए थे. इसके बाद बी-29 को फिर से घुमा दिया गया. जब शहर पर बम गिराने की बारी आई तो फिर से शहर पर धुंए का कब्जा होने लगा. क्योंकि जमीन पर विमान-भेदी तोपें आग उगल रही थीं.

बी-29 का ईंधन तेजी से कम हो रहा था. अब तक विमान में सिर्फ इतना ईंधन रह गया था कि वह वापस जा सके. इस अभियान को अंजाम देने की जिम्मेदारी ग्रुप कैप्टन लियोनार्ड चेशर के पास थी. इस घटना के बाद उन्होंने बताया था कि, “हमने सुबह नौ बजे उड़ान शुरू की. जब हम मुख्य निशाने पर पहुंचे तो वहां पर बादल थे. तभी हमें इसे छोड़ने की सूचना मिली और हम दूसरे लक्ष्य की ओर बढ़ गए. ये दूसरा लक्ष्य नागासाकी था. उसके बाद चालक दल ने बम गिराने वाले स्वचालित उपकरण को चालू कर दिया और कुछ ही क्षण बाद भीमकाय बम तेजी से धरती पर गिरने लगा. मात्र 52 सेकेण्ड गिरने के बाद बम पृथ्वी तल से 500 फुट की ऊंचाई पर फट गया.

पूरा शहर निर्जन हो चुका था, हर तरफ सन्नाटा था और लोगों की लाशें ही लाशें नजर आ रही थी. इस दौरान लोगों के चेहरे, हाथ पैर गल रहे थे, हमने इससे पहले परमाणु बम के बारे में कभी नहीं सुना था. नागासाकी शहर पहाड़ों से घिरा हुआ था. जिसके चलते केवल 6.7 वर्ग किलोमीटर के इलाके में ही तबाही मची. इस हमले में नागासाकी में 74 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई. जबकि हिरोशिमा में हुए हमले में एक लाख 40 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे.

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