और अंततः लियोनल मेस्सी ने फुटबॉल वर्ड कप की ट्रॉफी चूम ली।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्कमुझसे आप समकालीन फुटबॉल खिलाड़ियों के नाम पूछें तो मैं भुइचुंग भूटिया और सुनील क्षेत्री के अलावे शायद सिर्फ मेस्सी और रोनाल्डो के नाम बता पाऊंगा। हम इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में युवा हुए भारत के उन सामान्य लड़कों में से हैं जिनके लिए खेल का मतलब क्रिकेट ही होता था। हम वे लोग थे जिन्हें भारतीय टीम द्वारा 2011 का क्रिकेट वर्ड कप जीतने पर सबसे अधिक इस बात का सुकून था कि चलो सचिन को वर्ड कप उठा लेने का मौका मिल गया।
जीत के बाद अपने साथी खिलाड़ियों के कंधे पर बैठ कर रोते सचिन के साथ हम भी रोये थे। मुझे उम्मीद है, मेस्सी को वर्ड कप उठाते देख कर दुनिया के सारे फुटबॉल प्रेमी ऐसे ही भावुक हुए होंगे।
मेस्सी की ओर उनके देश के फुटबॉल प्रेमी पिछले अनेक वर्षों से एकटक निहार रहे थे, जैसे अरब में काम कर रहे किसी मजदूर की ओर गाँव में बैठा उसका पूरा परिवार ताकता रहता है। बाबू पइसा भेजिहें त खेती होइ, बाबू पइसा भेजिहें त घर के दीवाल खड़ा होई, बाबू पइसा भेजिहें त बेटी के बियाह के दिन-बार तय होई… अर्जेंटीना भी एकटक ताक रहा था कि मेस्सी एकदिन वर्डकप लाएंगे। एक पूरे देश की उम्मीदों का दबाव, करोड़ों आंखों के केंद्र में होने का बोझ ले कर जीना क्या होता है यह सचिन, धोनी, या मेस्सी ही जानते होंगे। मेस्सी ने अपने लोगों की वह उम्मीद पूरी कर दी है।
मेस्सी के कैरियर की यात्रा पूरी हो गयी है। अपने फुटबॉल कैरियर के लगभग बीस वर्षों में लगभग हर रोज उन्होंने वर्ड कप चूमने का स्वप्न देखा होगा। उनके जैसे शानदार खिलाड़ी की यह इच्छा अवश्य पूरी चाहिये थी। नियति ने उनकी सुन ली! या कहें तो उन्होंने नियति से अपनी बात मनवा ली।
कुछ यात्राएं अवश्य पूरी होनी चाहिये। जैसे एक दूसरे का हाथ थाम कर देव दर्शन को निकले किसी बुजुर्ग जोड़े की यात्रा! अपने राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए अपना खून पसीना एक कर चुके क्रांतिकारी की यात्रा! अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए दिन रात एक कर देने वाले विद्यार्थी की यात्रा! अपने खेल के लिए अपना सबकुछ झोंक चुके खिलाड़ी की यात्रा! “हम भारत के लोग” तो हर सच्ची प्रेम कहानी के पूरे होने की प्रार्थना करने वाले लोग हैं, और शायद यही कारण था कि फुटबॉल विश्व कप में अपनी टीम नहीं होने के बावजूद भी हमने खेल की खबर रखी।
मेस्सी से जुड़ा एक किस्सा है। एक इंटरव्यू में पत्रकार ने पूछा- आप अपने बाद दो नम्बर पर किसको देखते हैं? मेस्सी ने अनेकों नाम लिए। पत्रकार ने कहा- आप रोनाल्डो को भूल गए शायद! तो मेस्सी बोले- आप ने दो नम्बर पर पूछा था, वह तो मेरे साथ नम्बर वन पर खड़ा है।
यह तब था, तब मेस्सी ओर रोनाल्डो धुर विरोधी रहे हैं।ऐसे लोग ही विजेता होते हैं जिन्हें खुद के योग्य होने पर तो विश्वास होता ही है पर वो कभी किसी अन्य की योग्यता को भी कमतर नहीं आंकते।
मेस्सी में असंख्य चारित्रिक दोष रहे होंगे, पर अपने खेल के प्रति उनका समर्पण निर्दोष है। यही समर्पण उन्हें शीर्ष पर ले गया है, इसी समर्पण ने उन्हें उनके सपनों से मिलवाया है। यह समर्पण जिसमें भी होगा, वह अपनी फील्ड का मेस्सी होगा।
फेसबुक वॉल से साभार