विदर्भ में NCP का चेहरा रहे अनिल देशमुख,फडणवीस सरकार छोड़ 1995 के बाद हर सरकार में मंत्री, क्यों रहे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पहले सचिन वाजे की गिरफ्तारी फिर मुंबई पुलिस कमिश्वर परमबीर सिंह का तबादला और महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप। मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक वाली कार से रोज नए विस्फोटक खुलासे हो रहे हैं। जिसकी आंच खाकी के बाद खादी तक आ गई है। मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर ने देश की सर्वोच्च अदालत में अर्जी लगाई है जिसमें पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। इसके साथ ही अनिल देशमुख के घर के बाहर के सीसीटीवी फुटेज की जांच की भी मांग की है।
इससे पहले भी परमबीर सिंह ने राज्य के गृह मंत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए सीएम उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि क्राइम ब्रांच के सीआईओ को लीड कर रहे सचिन वाजे को कई बार महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने अपने घर पर बुलाया और उनसे वसूली करने को कहा। फरवरी महीने में अनिल देशमुख ने सचिन वाजे को अपने घर बुलाकर हर महीने 100 करोड़ की मांग की। इसके साथ ही गृह मंत्री ने सचिन वाजे को वसूली का तरीका भी बताया। जिसके बाद से महाराष्ट्र की महाअघाड़ी सरकार पर बीजेपी काफी हमलावर है और गृह मंत्री अनिल देशमुख के इस्तीफे की लगातार मांग कर रही है। ऐसे में आपको बताते हैं कि कौन हैं अनिल देशमुख जो इन दिनों सुर्खियों में बने हैं।
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख विदर्भ क्षेत्र से आते हैं। वे नागपुर जिले के कटोल के पास वाडविहिरा गांव के हैं। 1970 के दशक में ही राजनीति में कदम रखने वाले देशमुख ने पहली बार 1992 में जिला परिषद के चुनाव से उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखाष वो जिला परिषद का चुनाव जीत गए थे। यहीं से उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी। साल 1995 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी से विधानसभा चुनाव का टिकट मांगा। लेकिन कांग्रेस पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद देशमुख ने शिवसेना का समर्थन किया और इसके बदले में उन्हें मंत्रीपद भी मिला।
शिवसेना और बीजेपी की गठबंधन सरकार में अनिल देशमुख स्कूली शिक्षा विभाग और सांस्कृतिक विभाग मंत्री बन गए। लेकिन 1999 में जब शरद पवार ने कांग्रेस पार्टी से अलग होकर एनसीपी की नींव रखी तो महाराष्ट्र के कई नेताओं के साथ देशमुख भी उनके साथ हो लिए। 1999 के चुनाव में उन्होंने एनसीपी के टिकट पर जीत दर्ज की और अगले ही चुनाव में काटोल से जीत की हैट्रिक लगाई। अनिल देशमुख साल 2014 से 2019 तक फडणवीस के नेतृत्व में बनी सरकार को छोड़कर 1995 के बाद महाराष्ट्र की हर सरकार में गृह मंत्री रहे हैं। लेकिन 2014 में हार की वजह से वो किसी सरकार में शामिल नहीं हो पाए थे। इस दौरान उन्होंने स्कूली शिक्षा, पीडब्ल्यूडी, आबकारी विभाग का जिम्मा संभाला और वर्तमान में गृह मंत्रालय संभाल रहे हैं।
क्यों बनाया गया गृह मंत्री
अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस का अहले सुबह शपथग्रहण और फिर नाटकीय घटनाक्रम के बाद उनकी एनसीपी में वापसी। इन सारे विवादों के बीच महाराष्ट्र के गृह मंत्री के रूप में अनिल देशमुख का नाम सामने आया। कहा जाता है कि उन्हें शरद पवार का बेहद करीबी माना जाता है और वो उनसे पूछे बिना कोई निर्णय नहीं लेते हैं। जिसकी वजह से सरकार में किसी पद पर नहीं होते हुए भी गृह जैसे अहम मंत्रालय पर शरद पवार का वर्चस्व बना रहा। कहा तो ये भी जाता है कि जब महाराष्ट्र में महाअघाड़ी सरकार बनी तो कई मंत्री पद पश्चिम महाराष्ट्र के नेताओं के खाते में चले गए। वहीं देशमुख विदर्भ क्षेत्र से आते हैं और इलाके में विस्तार के मकसद से ही देशमुख को गृह मंत्री पद दिलवाया गया।
पहले भी पूर्व पुलिस अधिकारी ने उठाए सवाल
पूर्व आईएएस अधिकारी आनंद कुलकर्णी अनिल देशमुख पर आरोप लगा चुके हैं। अप्रैल 2020 में आनंद महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के चेयरमैन थे। सोशल मीडिया पोस्ट पर उन्होंने देशमुख की पोल खोलने की धमकी तक दे डाली थी। महाराष्ट्र के सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी संजय पांडे ने भी अनिल देशमुख और उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा था कि पोस्ट दिए जाने के मामले में उन्हें नजरअंदाज किया जाता रहा।
सेलिब्रेटी ट्वीट की जांच
अंतरराष्ट्रीय गायिका रिहाना और एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया था। जिसके जवाब में भारत की कई जानी मानी हस्तियों ने ट्वीट किया और एक तरह से ये संकेत देने की कोशिश की कि इस मामले में बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिये। कांग्रेस की ओर से इस मामले की शिकायत राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख से कि गई और कहा गया कि इन हस्तियों पर दबाव डाला गया ऐसे ट्वीट करने के लिए। इस पर अनिल देशमुख ने बयान दिया कि जिन सेलिब्रेटी ने ट्वीट किया है उनकी जांच की जायेगी। गृह मंत्री अनिल देशमुख ने मामले की जांच के आदेश इंटेलिजेंस विभाग को दिए थे। गृह मंत्री देशमुख ने कहा कि इस मामले की जांच के दौरान बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख और 12 अन्य लोगों के नाम सामने आए।
ट्वीटर वॉर के बाद अनिल देशमुख
एक फोटो को लेकर फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री और सोनाक्षी सिन्हा के बीच ट्वीटर पर विवाद हो गया। मामला इतना बढ़ गया कि सोनाक्षी ने मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को शिकायती लहजे में पोस्ट में टैग कर दिया। एक्ट्रेस की शिकायत पर राज्य के गृह मंत्री सक्रिय हो गए। विवेक अग्निहोत्री ने दावा किया कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने सोनाक्षी के ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए विवेक ने लिखा ऐसा इसलिए हुआ है कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री बॉलीवुड स्टार्स के नखरे उठा रहे हैं। जब गलती का अहसास हुआ तो डीलीट कर दिया। स्पष्ट रूप से उन्हें शहर देखने का समय नहीं था।
बिना सीएम के मशवरा के अफसरों का तबादला
अनिल देशमुख ने गृह मंत्री का पद संभालने के बाद दस डीसीपी रैंक के अफसरों का तबादला किया था। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार ट्रांसफर करने से पहले उन्होंने सीएम उद्धव ठाकरे से कोई राय-मशवरा नहीं किया था। जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने ट्रांसफर पर रोक लगा दिया था।
चीन की जांच
पिछले वर्ष अक्टूबर के महीने में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पॉवर आउटेज की घटना हुई, जिसमें मुंबई के कई सारे इलाकों की बिजली गुल हो गई थी। जिसकी वजह से कई सारे बड़े कॉरपोरेट हाउस, बैंक, स्टॉक मार्केट के कामकाज पर विपरीत असर हुआ था। द न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक नए अध्ययन से इस बात को बल मिलता है कि ये दोनों घटनाएं जुड़ी हो सकती है। महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने प्रेस कॉनफ्रेंस करते हुए कहा था कि चीन द्वारा मुंबई के बिजली विभाग के इंफ्रांस्ट्रक्चर में मालवेयर वायरस छोड़ अटैक करने की बात अमेरिकन रिपोर्टस् में है। इसके सबूत भी सामने आई है।
परमबीर सिंह ने लगाए आरोप
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर महाराष्ट्र के गृहमंत्री के कथित कदाचार की सीबीआई से ‘पूर्वाग्रह रहित, अप्रभावित, निष्पक्ष और स्वतंत्र’ जांच कराने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया। उन्होंने मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से उनके तबादले को ‘मनमाना’ और ‘गैरकानूनी’ होने का आरोप लगाते हुए इस आदेश को रद्द करने का भी अनुरोध किया है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है, ‘‘याचिकाकर्ता ने साक्ष्यों को नष्ट कर दिये जाने से पहले, महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के कदाचार की पूर्वाग्रह रहित, अप्रभावित, निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराने का इस अदालत से अनुरोध करते हुए रिट अधिकारक्षेत्र का सहारा लिया है।’’ सिंह ने आरोप लगाया है,
‘देशमुख ने अपने आवास पर फरवरी 2021 में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अनदेखी करते हुए अपराध खुफिया इकाई, मुंबई के सचिन वाजे और समाज सेवा शाखा, मुंबई के एसीपी संजय पाटिल सहित अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की तथा उन्हें हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने का लक्ष्य दिया था। साथ ही, विभिन्न प्रतिष्ठानों एवं अन्य स्रोतों से भी उगाही करने का निर्देश दिया था।’’ सिंह ने कहा कि इस बारे में विश्वसनीय जानकारी है कि टेलीफोन बातचीत को सुनने के आधार पर पदस्थापना/तबादला में देशमुख के कदाचार को 24-25 अगस्त 2020 को राज्य खुफियाविभाग की खुफिया आयुक्त रश्मि शुक्ला ने पुलिस महानिदेशक के संज्ञान में लाया था, जिन्होंने इससे अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग, महाराष्ट्र सरकार को अवगत कराया था। उन्होंने देशमुख के कदाचार का खुलासा करने पर बदले की कार्रवाई के तहत उन पर (सिंह पर) किसी भी तरह की कठोर कार्रवाई से संरक्षण के लिए निर्देश देने का न्यायालय से अनुरोध किया है।
महाराष्ट्र में एंटिलिया केस और सचिन वाजे को लेकर हो रहे रोज नए खुलासे और अब वसूली के आरोप के बाद लगातर बीजेपी की तरफ से अनिल देशमुख का इस्तीफा मांगा जा रहा है। लेकिन जैसा की पहले भी देखा जाता रहा है कि शरद पवार अपने मंत्रियों का इस्तीफा इतनी आसानी से नहीं लेते हैं। जैसा कि धनंजय मुंडे प्रकरण में भी देखने को मिला था।