अंजनी के ललनवा हो रामा अंजनी ललनवा…
*बड़हरिया प्रखंड के नबीहाता गांव में हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):
चैता लोकजीवन की परछाई है।लोकगायन इस विधा में जिंदगी की हर गतिविधि,हर पहलू,रिश्तों की अहमियत, प्रकृति चित्रण, सामाजिक तानाबाना सहित तमाम चीजों का उल्लेख संगीत के माध्यम से होता है।
ये बातें सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड के नबीहाता गांव में शिक्षा विभाग के उपनिदेशक आर चंद्रा के सौजन्य से सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत आयोजित चैता गायन के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि समाजसेवी डॉ अशरफ अली ने कहीं। गुरुवार की रात में सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत चैता गायन और मैजिक शॉ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य अतिथि समाजसेवी डॉ अशरफ अली ने की।
जबकि संचालन एजुकेशन डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर सह साहित्यकार रमेश चंद्रा और मजिस्टर मांझी ने किया। इस मौके पर साहित्यकार रमेश चंद्रा ने कहा कि हमारी जड़ें गांवों में गड़ी हैं।इसी ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े हैं और रिश्तों को जिया है और निभाया है। हमें बार-बार गांव और पीपल का छांव बुलाते हैं। उन्होंने कहा कि चैता गायन में ग्रामीण परिवेश की हर चीजें समाहित हैं।यह ग्राम्य जीवन का आईना है।
लेकिन यह आईना धूमिल होता जा रहा है। हमारा दायित्व है कि लोकसंस्कृति को संजोकर रखना होगा। उन्होंने कहा कि लोकजीवन को प्रतिबिंबित करने वाली कुछ चीजें विलुप्त-सी होती जा रही हैं,जिसका हमें मलाल है।हम आधुनिकता की दौड़ में गांव-गंवई से लोकसंस्कृति की विधाओं नहीं छोड़ सकते। इस मौके पर आयोजक रमेश चंद्रा ने मुख्य अतिथि डॉ अशरफ अली, जादूगर सह शिक्षक अमन सरकार, संगीत शिक्षक कृष्ण कुमार सहित अन्य आगंतुकों को शॉल ओढ़ाकर व डायरी देकर सम्मानित किया।
वहीं बिहार विजेता लोकगायक रमाशंकर यादव और व्यास हरीश पटेल सभी सभी वादकों को शॉल,डायरी व आर चंद्रा द्वारा लिखित किताबें देकर सम्मानित किया गया।वहीं जादूगर सह शिक्षक अमन सरकार ने जादू की अद्भुत कला का प्रदर्शन कर दर्शकों को अभिभूत कर दिया।उसके बाद गायन का सिलसिला शुरु हुआ,जो देर रात तक चलता रहा। श्रोता रातभर जमे रहे। मशहूर लोकगायक रमाशंकर यादव और हरीश पटेल ने संयुक्त रुप से सुमिरन से चैता गायन का शुभारंभ किया।
व्यास हरीश पटेल ने गायकी की शुरुआत यूं की-‘अंजनी के ललनवां हो रामा,अंजनी के ललनवा के करीं सुमिरनवां हो रामा’। जबकि व्यास रमाशंकर यादव ने पढ़ाई-लिखाई व निर्धन लोगों को इंगित करते हुए चैता की अपनी गायकी कुछ इस तरह प्रस्तुत की-‘सीखे हम जाईब अक्षरिया हो रामा ओही ठईयां..’, और ‘ हमनी गरीबवन के ईहे मजबूरिया हो,भरी नाही कईले मजूरिया हो’।
यूंही रातभर पारंपरिक चैता का गायन शुक्रवार की भोर तक चलता रहा। मौके पर मुखिया राबलक साह उर्फ भूटेली बाबू, उपसरपंच उमेश कुमार सिंह, बिहार उद्योग सेवा के जेनरल मैनेजर सुजात,आपदा प्रबंधन पदाधिकारी शबनम, शिक्षक बबलू, शिक्षक मो कासिम, मुर्तुज़ा अली, प्रो राजेंद्र रावत, ज्योतिशंकर मिश्र, मैनेजर गद्दी,अभय सिंह, मो गुलशन,अरविंद कुशवाहा, मुन्ना कुमार विद्यार्थी, अखिलेश सिंह,भोला भाई,फिल्मी आर्टिस्ट रोशन, टाईगर बाबू, खलील अहमद सहित अन्य गणमान्य मौजूद थे।
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