संक्रमण से बचाव के लिये जरूरी व्यावहारिक पहलूओं के प्रति लोगों को जागरूक कर रही हैं एएनएम दीपशीखा
टीकाकरण के साथ-साथ कोविड अनुरूप व्यवहार के प्रति संजीदा होने की है जरूरत:
सत्र स्थलों पर टीकाकरण के लिये जुटी भीड़ में व्यक्तिगत सुरक्षा का ध्यान रखना महत्वपूर्ण:
श्रीनारद मीडिया, अररिया, (बिहार):
सत्र स्थलों पर जुटने वाली भीड़ इस बात का प्रमाण है कि कोरोना टीकाकरण को लेकर लोग पहले की तुलना में ज्यादा जागरूक व गंभीर हो चुके हैं। लिहाजा पहले जहां जिले में एक दिन में 15 से 17 हजार लोगों को टीका लगाने में संबंधित विभागीय अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगते थे। वहीं बीते दो दिनों से जिले में संचालित विशेष अभियान के दौरान टीका लगाने के लिये केंद्रों पर लोगों की अप्रत्याशित भीड़ जुट रही है। एक दिन में 60 से 70 हजार लोगों का टीकाकरण संभव हो पा रहा है। जो यह दर्शाता है कि आम लोगों में टीका की उपयोगिता व विश्वसनीयता का निरंतर इजाफा हो रहा है। बावजूद इसके कोरोना से जुड़ी चुनौतियां यथावत बनी हुई हैं। इक्का-दुक्का ही सही संक्रमण के मामले हर दिन सामने आ रहे हैं। यही नहीं तीसरी लहर के मामले भी कुछ एक जगहों पर सामने आने लगे हैं। इस पर चिंता जाहिर करते हुए सिकटी प्रखंड अंतर्गत बरदाहा पंचायत के निर्वतमान मुखिया मो परवेज बताते हैं कि हम कोरोना का टीका तो ले रहे हैं। लेकिन संक्रमण के खतरों से बचाव के लिये जरूरी व्यावहारिक पहलुओं को हम पूरी तरह नजरअंदाज कर चुके हैं। जो चिंताजनक ही नहीं संभावित खतरों को आमंत्रित करने जैसा है। जाहिर चिंताएं वाजिब हैं। बावजूद इसके हमें क्षेत्र में कुछ एक उदाहरण ऐसे दिखते हैं। जो टीकाकरण अभियान को गति देने के साथ-साथ इससे जुड़े व्यावहारिक पहलुओं के प्रति भी लोगों को जागरूक करने की कोशिशों में जुटे हैं। सिकटी पीएचसी में कार्यरत एएनएम दीपशीखा का प्रयास इस मामले में उल्लेखनीय है।
टीकाकरण के महत्व को लेकर जागरूक हुए हैं लोग:
कोरोना काल के शुरुआती दौर से ही एएनएम दीपशीखा प्रखंड के सुदूरवर्ती इलाकों में बसे लोगों तक जरूरी स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के प्रयास में जुटी हैं है। जो फिलहाल क्षेत्र में संचालित टीकाकरण अभियान की सफलता में अपना सक्रिय योगदान दे रही हैं। नियमित रूप से ससमय सत्र का संचालन उनकी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुका है। दीपशीखा बताती हैं कि कोरोना टीका को विभिन्न स्तरों पर संचालित अभियान का असर है कि लोग अब टीकाकरण के प्रति पहले की तुलना में ज्यादा गंभीर हो चुके हैं। सत्र संचालन की सूचना पाकर ही लोगों की भीड़ सत्र स्थलों पर जुटने लगी है। जो कोरोना संक्रमण से बचाव का लेकर अहम टीकाकरण अभियान की सफलता के लिये महत्वपूर्ण है।
व्यावहारिक पहलुओं के प्रति करती हैं लोगों को जागरूक:
बावजूद इसके संक्रमण से बचाव को लेकर जरूरी व्यावहारिक पहलुओं के प्रति उनमें जागरूकता की कमी बनी हुई है। सत्र स्थलों पर टीका लेने के जो लोग आ रहे हैं, उनमें गाहे-बगाहे ही कोई मास्क पहने मिलता है। भीड़-भाड़ में तो शारीरिक दूरी का कोई सवाल भी नहीं उठता। लोग नियमित अंतराल पर हाथों की सफाई के प्रति भी गैर जिम्मेदार नजर आते हैं। इस कारण उन्हें टीकाकरण के साथ इन व्यावहारिक चीजों के महत्व से भी अवगत कराना होता है। टीकाकरण के लिये आने वाले लोगों को मैं अपने स्तर से व अपने सहयोगियों की मदद से मास्क पहनने, अगर मास्क न हो तो किसी भी साफ कपड़े से मुंह ढ़कने की सलाह तो देती हूं। साथ ही घर लौटने के बाद तुरंत अपने हाथों की सफाई के साथ-साथ इसे अपने नियमित आदतों में शुमार करने के लिये प्रेरित करती हूं। लोग समझदार हैं। एक बार सही से उन्हें कुछ बताया जाये तो व्यवहार में उनकी यह समझदारी स्पष्ट देखी जा सकती है। लोगों के व्यवहार में आये इस बदलाव को देखकर बेहद संतोष होता है।
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