भ्रष्ट IAS अभिषेक प्रकाश का एक और बड़ा कांड
डेढ़ हजार करोड़ की सरकारी जमीन में किया खेल
श्रीनारद मीडिया, यूपी डेस्क:
एक बार फिर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, और इस बार आरोपों के घेरे में हैं उत्तर प्रदेश के चर्चित और भ्रष्ट IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश। पिछले दिनों एक और बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें अभिषेक प्रकाश पर आरोप है कि उन्होंने डेढ़ हजार करोड़ की सरकारी जमीन में घोटाला किया है। यह मामला मोदी रबर की जमीन की लीज रद्द करने में हुए बड़े घोटाले से जुड़ा हुआ है।
मंडलायुक्त की रिपोर्ट पर DM ने भेजी थी सिफारिश, लेकिन अभिषेक ने फाइल दबाई
मंडलायुक्त की रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी (DM) ने इस मामले में कार्रवाई करने के लिए सिफारिश की थी, लेकिन अधिकारी अभिषेक प्रकाश ने फाइल को दबा दिया और उसे नजरअंदाज कर दिया।
उद्यमी को 15 दिन में जवाब के लिए नोटिस दिया, 3 साल तक फाइल पर बैठा रहा IAS अधिकारी
दिलचस्प बात यह है कि अभिषेक प्रकाश ने एक उद्यमी को 15 दिन के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया था, लेकिन 15 दिन का समय बीतने के बाद 3 साल का वक्त गुजर गया और IAS अधिकारी ने उस फाइल को अपने दफ्तर में दबा कर रख लिया, जिससे यह भ्रष्टाचार का मामला और भी गंभीर हो गया।
दलाल निकांत जैन के जरिए मेरठ में किया गया भ्रष्टाचार
मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, इस पूरे भ्रष्टाचार का खेल मेरठ में दलाल निकांत जैन के माध्यम से किया गया। निकांत जैन का नाम अब भ्रष्टाचार और घोटालों में संलिप्त होने के चलते चर्चा में आ गया है।
नियमानुसार उद्यमी को नोटिस देने का प्रावधान नहीं
इसके अलावा यह भी कहा गया है कि नियमानुसार उद्यमी को नोटिस देने का कोई प्रावधान नहीं था, फिर भी अभिषेक प्रकाश ने इसे किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पूरी प्रक्रिया को गलत तरीके से अंजाम दिया गया था।
मोदी रबर ने सरकारी जमीन बेच दी
इस पूरे घोटाले में सबसे बड़ा पहलू यह है कि मोदी रबर ने अपनी ग्रांट लीज की जमीन को कांटीनेंटल टायर नामक जर्मनी की कंपनी को बेच दिया। जर्मनी की इस कंपनी को अरबों रुपये की सरकारी जमीन बेची गई, जो कि पूरी तरह से अवैध और भ्रष्ट तरीके से की गई कार्रवाई थी।
औद्योगिक विकास सचिव रहते अभिषेक प्रकाश का यह कांड
यह घोटाला उस समय का है जब अभिषेक प्रकाश औद्योगिक विकास सचिव थे, और उनके इस घोटाले ने पूरे प्रशासन और सरकार को शर्मसार कर दिया है। यह भ्रष्टाचार और सरकारी संपत्ति की लूट को उजागर करता है, जिससे यह साबित होता है कि कैसे उच्च पदस्थ अधिकारियों द्वारा अपनी ताकत का गलत उपयोग किया जाता है।
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