माफिया के लिए देश में लागू है एंटी पेपर लीक कानून,फिर क्यों नहीं थमा रहा अनियमितता?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत में पिछले सात सालों में 15 राज्यों में 70 से अधिक परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। इनमें भर्ती परीक्षाएं और बोर्ड परीक्षाएं शामिल हैं। पेपर लीक से 1.7 करोड़ अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं। हाल ही में हुए नीट-यूजी 2024 पेपर लीक की जांच में जो सबूत मिल रहे हैं, उससे पता लगता है कि भारत में परीक्षाओं पर पेपर लीक माफिया का नियंत्रण किस हद तक मजबूत है।
अनियमितता की जानकारी मिलने के बाद यूजीसी-नेट 2024 परीक्षा भी रद्द कर दी गई है। नीट-यूजी पेपर लीक के बीच यूजीसी-नेट परीक्षा में अनियमितता की बात सामने आने के बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ईमानदारी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सही तरीके से परीक्षाएं कराना निश्चित रूप से एक चुनौती बन गई है।
किन राज्यों में हुआ पेपर लीक?
बड़े राज्य जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और गुजरात बड़े पैमाने पर पेपर लीक से प्रभावित हैं। चुनावों में भी पेपर लीक का मुद्दा उठता है, लेकिन चुनाव खत्म होने के साथ ही यह मुद्दा गायब हो जाता है।
राजस्थान में लीक हुए 14 पेपर
राजस्थान पिछले कुछ वर्षों से पेपर लीक के मामलों को लेकर कुख्यात है। राज्य में 2015 और 2023 के बीच विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक की 14 घटनाएं सामने आईं। दिसंबर 2022 में सरकारी स्कूल शिक्षकों की भर्ती के लिए सामान्य ज्ञान परीक्षा का पेपर लीक हुआ। इसके बाद राजस्थान लोक सेवा आयोग को परीक्षा रद करनी पड़ी।
गुजरात में भी सुरक्षित नहीं छात्रों का भविष्य
गुजरात में भी पिछले सात वर्षों में 14 परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। इनमें जीपीएससी चीफ ऑफिसर परीक्षा, तलाती परीक्षा, टीचर्स एप्टीट्यूड टेस्ट और मुख्य सेविका, नायब चिटनिस जैसी अन्य परीक्षाएं शामिल हैं।
यूपी में नौ पेपर हुए लीक
उत्तर प्रदेश में 2017 से 2024 के बीच नौ परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। इनमें इंस्पेक्टर ऑनलाइन रिक्रूटमेंट टेस्ट, यूपीटीईटी, बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा, नीट- यूजी जैसी परीक्षाएं शामिल हैं। 2024 में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक से 48 लाख से अधिक आवेदक प्रभावित हुए। बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार में भी पेपर लीक के ऐसे ही मामले सामने आए हैं।
एंटी नकल कानून में क्या है सजा का प्रावधान?
नीट-यूजी और यूजीसी- नेट परीक्षा में हुई अनियमितताओं की जांच के बीच देश में एंटी पेपर लीक कानून लागू हो गया है। पेपर लीक और परीक्षाओं में धांधली के खिलाफ ये कानून इसी साल फरवरी में पारित हुआ था। इस कानून में परीक्षा में गड़बड़ी करने वाले व्यक्तियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
- कानून के तहत परीक्षा में नकल करने वाले छात्रों से लेकर पेपर लीक में शामिल अधिकारियों या धांधली में शामिल समूहों के खिलाफ तीन से लेकर 10 वर्ष तक की सजा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
- इस नए कानून के तहत, परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का उपयोग करते हुए पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम तीन वर्ष की कैद की सजा हो सकती है। इस सजा को बढ़ाकर पांच वर्ष तक किया जा सकता है, साथ ही 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- नकल कराने का दोषी पाए जाने वाले सेवा प्रदाताओं पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा, परीक्षा संचालन का खर्च भी उनको भरना पड़ेगा। ऐसे सेवा प्रदाता अगले चार वर्ष तक किसी भी परीक्षा का संचालन नहीं कर पाएंगे।
- यदि जांच में पता चलता है कि परीक्षा में धांधली या गड़बड़ी, किसी डायरेक्टर, सीनियर मैनेजमेंट या सेवा प्रदाता फर्म के प्रभारी व्यक्ति की मिलीभगत से की गई है तो ऐसे व्यक्तियों को तीन से 10 वर्ष की कैद हो सकती है और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- ये कानून उन लोगों को सुरक्षा भी देता है, जो ये साबित कर पाएंगे कि धांधली उनकी जानकारी के बिना हुई है और उन्होंने गड़बड़ी रोकने के लिए पर्याप्त जरूरी सावधानियां बरती थीं।
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